सीवान के एक दूकान में पुस्तकें हुई जलकर राख

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समाज को दे गई निरक्षर रहने का संदेश

पुस्तक करती हैं बातें, हार की, जीत की, खुशियों की,गम की

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार में सीवान नगर स्थित एक केरल प्रवासी के पुस्तक दूकान में असमाजिक तत्वों ने आग लगा दी। दूकान में रखी पहली कक्षा से लेकर 12वीं कक्षा तक की पुस्तक जलकर राख हो गई। पूरे मामले पर तेज तर्रार पुलिस ने संज्ञान लेते हुए कहा कि किसी भी कीमत पर इस कुकृत्य करने वाले को छोड़ा नहीं जाएगा। चोरी करने के नियत से दुकान के पिछले हिस्से के दीवार तोड़कर चोर अंदर दाखिल हुए।

चार-पांच हजार रुपए पर हाथ साफ किया फिर अपनी नियोजित नियत के मुताबिक दुकान में आग लगा दी। नगर में 16-17 मई की मध्य रात्रि को हुए इस अग्निकांड ने नालंदा विश्वविद्यालय की पुस्तकालय को जलाने की याद ताजा कर दी। जब समाज की अधोगति आती है तो इस प्रकार के कृत्यों को अवश्य अंजाम दिया जाता है। पुस्तकों के पंक्तियों से गुजरना संसार के श्रेष्ठ अनुभवों के बीच से होकर जाना है। पुस्तक पढ़ने में जो सुख है, वह शायद किसी और में नहीं हो सकती, इसलिए पुस्तक हमारी सबसे अच्छी मित्र होती है। हमारे व्यक्तित्व के विकास में पुस्तकें श्रेष्ठ विकल्प है।

चोरी के साक्ष्य छुपाने हेतु लगाई आग।

पुस्तक दुकान के संचालक केरल निवासी नरगिस इब्राहिम ने बताया चोरी के साक्षी को छुपाने के लिए सामाजिक तत्वों ने दुकान में आज लगा दी। रात 12:00 बजे मुझे अपने आनंद नगर आवास पर फोन द्वारा सूचना मिली और मैं भागा-भागा अपनी दुकान पर आया। आनन-फानन में अग्निशमन की गाड़ियों के आ जाने से आग अन्य दुकानों तक नहीं पहुंच पाई और एक बड़ा हादसा होने से बच गया।

पंचतत्व में अग्नि की प्रधानता ।

अब यक्ष प्रश्न है यह है कि इन पुस्तकों से किसका झगड़ा-बैर-अदावत हो सकता है। जिसने इन पुस्तकों को अग्निकुंड में झोंक दिया। समाज के नैनीहालों का जीवन बर्बाद किया, जो एक बहुत बड़े संकट का सूचक है। विश्व में कुछ पुस्तकों ने हमारी दुनिया को बदल दिया है। पुस्तक अतिशय कल्पना में गोते लगाने का अवसर पैदा करती हैं और हमारी कई आयामों को दृष्टि प्रदान करती है।
यह सृष्टि पंचतत्व से बनी है, जिसमें अग्नि की भी भूमिका है। लेकिन पुस्तकों में भी आग है जो जीवन भर हमारे जीविका का उपाय करती है। आपसी द्वेष-कटुता-वैमनस्य एवं गलाकाट पैसे कमाने प्रतियोगिता ने इन लाखों रुपए की हजारों पुस्तकों को स्वाहा कर दिया।

विकसित भारत में शिक्षा की भूमिका।

प्रधानमंत्री का दावा है कि 2047 तक भारत विकसित देश बनेगा। इसके लिए आवशयक है कि शिक्षा और स्वास्थ्य में आमूल-चूल परिवर्तन करते हुए उसे सर्वश्रेष्ठ बनाना होगा। शिक्षा के मंदिर विद्यालय,महाविद्यालय एवं उच्च संस्थाओं को सर्वश्रेष्ठ बनाना होगा।उन्नत एवं प्रस्कृत विचारों के साथ पुस्तकों का प्रकाशन करते हुए उनकी सुरक्षा भी अवश्य करनी होगी, तभी जाकर हम एक विकसित भारत के लक्ष्य अपनी शिक्षा के माध्यम से प्राप्त कर सकते है।

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