मैं सीवान हूँ……सुनिए मेरी लोकतंत्र के पथ पर सफर की कहानी

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

मैं सीवान हूं। नई पीढ़ी मुझे अपने पते के रूप में प्रयोग करती है। पुरानी पीढ़ी अपनी आस्था व श्रद्धा का केंद्र मानती है। बाबा हंसनाथ, बाबा महेंद्रनाथ, जरती माई, जंगली बाबा, बुढ़िया माई की मैं स्थली हूँ ।

सीवान का मतलब किनारा होता है हमें सीवाना भी कहा जाता है। प्रारंभ से ही मैं काशी क्षेत्र के निकट रही हूं। तीन तरफ से उत्तर प्रदेश की जिलों से घिरे होने के कारण मैं अपना सुख-दुख, बेटी-रोटी भी इनके साथ बांटती हूं। हिंदी में हमें कुछ लोग दीर्घ के साथ तो कुछ लोग छोटी ई के साथ लिखते हैं। रेलवे स्टेशन एवं समाहरणालय भवन पर छोटी ई के साथ सीवान लिखा हुआ है तो जिला एवं जिला सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय पर बड़ी ई के साथ ‘सिवान’ लिखा हुआ है। तर्क दिया जाता है कि सिवान का अंग्रेज़ी अनुवाद SIWAN है तो यहां आई बड़ी ई के साथ आएगा। अगर E होता तो सीवान छोटी ई के साथ आता। मुझे लिखने को लेकर बड़ा रोचक मामला है। आप भी इस पर सोचिए।

बहरहाल यह चुनावी वर्ष है। देश अपनी संसद के 18वीं लोकसभा का पर्व मना रहा है। जो 15 मार्च से प्रारंभ होकर 06 जून 2024 तक चलेगा। भारत का निर्वाचन आयोग इस लोकतंत्र की सुदृढ़ स्तंभ को अक्षुण रखने में अपनी महती भूमिका का निर्वहन कर रहा है। मेरे सीवान में भी लोकसभा का चुनाव हो रहा है। मैं 1957 से लोकसभा का प्रतिनिधित्व करती रही हूं। पहले लोकसभा चुनाव 1952 में मैं तो अनुमंडल होते हुए भी अपनी बड़ी बहन सारण के साथ थी। लेकिन 1957 से अलग हो गई। कई बार परिसीमन हुआ और आज हमारे जिले में आठ विधानसभा क्षेत्र हैं। विधानसभा में सीवान सदर, जीरादेई, दरौली, रघुनाथपुर, दरौंदा एवं बड़हरिया हमारे क्षेत्र में है जबकि महाराजगंज और गोरेयाकोठी विधानसभा क्षेत्र महाराजगंज लोकसभा के अंतर्गत आते हैं।

आंकड़ों पर गौर करें तो मेरा क्षेत्रफल 2219 वर्ग किलोमीटर है। मेरे क्षेत्र में 41 लाख जनता निवास करती है। मेरे एक किलोमीटर में लगभग दो हजार जनता रहती है। मैं सघन घनत्व वाली जिला हूँ। मेरी भूमि काफी उपजाऊ है। धान, गेहूं, सरसों, अरहर एवं सब्जी की भरपूर पैदावार होती है। सरयू, झरही, धमही एवं दहा नदियों का हमारे क्षेत्र में विस्तार है। मेरे दहा नदी का हाल बुरा है। गंदे नाले का पानी, कचड़ा एवं अतिक्रमण से यह अपना अस्तित्व खो रही है। विडंबना है यह है कि यह न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका के लिए कोई मुद्दा ही नहीं है। कहा जाता है कि मनुष्य की सभ्यता नदियों के किनारे विकसित हुई और मनुष्य जब विकसित हो गए तो उन्होंने नदियों को कलुषित कर दिया।

मैं 1972 तक सारण जिले की एक अनुमंडल थी। हमारे सपूत धरती के लाल डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी के जन्म जयंती के दिन 3 दिसंबर 1972 को मैं जिला बनी। हमारे पहले जिलाधिकारी के.आर. पॉल साहब थे जबकि पुलिस अधीक्षक विश्वनाथन सर रहे। आज 36 वें जिलाधिकारी के रूप में मुकुल कुमार गुप्ता पद को सुशोभित कर रहे है और पुलिस अधीक्षक अमितेश कुमार हैं। मेरा विस्तार 19 प्रखंड, दो अनुमंडल, 283 पंचायत, 6 नगर पंचायत और 1534 गांवों में है। कानून व्यवस्था संभालने के लिए 28 थाने एवं पुलिस लाइन है। आज गांव-गांव तक सड़कों का जाल है। मेरे मुख्यालय से जिले के किसी भी कोने में आप एक घंटे में पहुंच सकते हैं।

 

मेरी भूमि पर एक मेडिकल कॉलेज निर्माणाधीन है जबकि इंजीनियरिंग महाविद्यालय, आयुर्वेदिक कॉलेज, युनानी कॉलेज, ऐतिहासिक डी.ए.वी स्नातकोत्तर महाविद्यालय एवं जेड.ए. इस्लामिया महाविद्यालय स्थित है। लेकिन मैरवा स्थित दीन बाबा की राजेंद्र कुष्ठ आश्रम की दयनीय स्थिति एवं उसके पुनरुद्धार नहीं होने से मैं अत्यंत दुखी हूँ। जाम से जनता नगर से कस्बे तक कराह रही है। सिसवन ढाला एवं श्रीनगर रेलवे क्रॉसिंग पर ओवर ब्रिज का निर्माण नहीं होने के कारण जनता को असह्य दुख का सामना करना पड़ रहा है, इससे मैं विचलित हो जाती है।

 

अब मैं अपने सासंदों की कथा सुनाती हूँ। मेरे पहले सांसद कांग्रेस के 1957 में झूलन सिंह थे जबकि 1962, 1967 एवं 1971 लगातार तीन बार कांग्रेस के मोहम्मद यूसुफ ने इस क्षेत्र से जीत की हैट्रिक लगाई थी। 1977 के चुनाव में भारतीय लोक दल के मृत्युंजय प्रसाद सिंह विजय रहे। जबकि 1980 में कांग्रेस के मोहम्मद यूसुफ एक बार फिर मेरे सांसद बने। 1984 के कांग्रेस लहर में गोपालगंज निवासी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर हमारे क्षेत्र से सांसद बने। मेरे भूमि के लाल एवं बिहार में जनसंघ के पहले विधायक जनार्दन तिवारी 1989 में भारतीय जनता पार्टी की ओर से सांसद बने।

लेकिन अब बिहार लालूमय हो गया और मैं भी इससे अछूती नहीं रही। वैशाली निवासी वृषिण पटेल 1991 में हमारे सांसद हुए। इसके बाद मेरी फिजा ही बदल गई और 1996, 1998, 1999 और 2004 में लगातार चार बार लालू यादव की पार्टी से सीवान के डाॅन मोहम्मद शहाबुद्दीन सांसद रहे। इनके सजायाफ्ता होने के बाद 2009 में भाजपा एवं जनता दल यूनाइटेड ने मिलकर चुनाव लड़ा। वृषिण पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया लेकिन पिछले दो चुनाव से चोट खाने वाले ओम प्रकाश यादव ने चारपाई चिन्ह से निर्दलीय ताल ठोकी और शहाबुद्दीन की पत्नी राजद प्रत्याशी हेना शहाब को 63,430 मतों से पराजित कर दिया।

देश के 16 में लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा की ओर से ओम प्रकाश यादव और राजद के तरफ से हेना शहाब ने चुनाव लड़ा, जीत ओमप्रकाश की हुई। इस चुनाव की सबसे बड़ी बात यह थी कि भाजपा व जदयू ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। 2009 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार ओम प्रकाश यादव की पुरजोर मदद करने वाले मनोज सिंह इस बार जदयू के टिकट से चुनाव लड़े और उनकी हार हुई।

देश में 17वीं लोकसभा 2019 के चुनाव में जदयू-भाजपा का तालमेल हुआ मेरे क्षेत्र से जदयू को चुनाव लड़ने का मौका मिला। दरौधा की विधायक कविता सिंह पति अजय सिंह नंदामुडा सिसवन को चुनाव लड़ने का मौका मिला। उन्होंने मोहम्मद शहाबुद्दीन व राजद नेत्री हेना शहाब को 116000 मतों के अंतर से हराया।

इस बार देश के 18वीं लोकसभा 2024 में जदयू की ओर से रमेश सिंह कुशवाहा की पत्नी विजय लक्ष्मी कुशवाहा को टिकट मिला। विरोध प्रारंभ हो गया कि रमेश सिंह कुशवाहा ने मेरी धरती पर आईपीएफ यानी वामपंथी राजनीति की शुरुआत की। इससे समाज में विरोध हुआ और एक सूची भी प्रस्तुत की गई जिसमें 46 सवर्ण समुदाय के लोगों को हताहत करने पर का उन पर आरोप है। दूसरी तरफ से 63 लोगों की सूची भी प्रस्तुत की गई, जिसे जंगल राज का कारनामा कहा गया।

ऐसे में इस क्षेत्र से राजद से नाराज़ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी हेना शहाब ने ताल ठोकी और उन्होंने मुसलमान, सवर्ण एवं अन्य समुदाय के साथ एक नए गठजोड़ की शुरुआत की। वहीं महागठबंधन राजद की ओर से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं सीवान सदर के विधायक अवध बिहारी चौधरी ने अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत की। अब परिणाम की प्रतीक्षा है।

सीवान में कुल 18 लाख 91000 मतदाता है। मतदाताओं के लिए 1868 मतदान केंद्र बनाए गए थे। जिसमें छठे चरण के तहत 25 मई 2024 को जिले की 52.50% जनता ने मतदान किया जबकि 2019 में 54% और 2014 में 56% मतदान हुआ था। प्रशासन को यह अनुमान था कि इस बार 71% तक मतदान होगा।
जिले में स्वच्छ निष्पक्ष और भयमुक्त चुनाव संपन्न करने के लिए प्रशासन के प्रयासों की मैं भूरि-भूरि प्रशंसा करती हूँ।
अभी और कथा है, फिर कहूँगी।

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