सीमा अवसंरचना एवं प्रबंधन, सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम क्या है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
गृह मंत्रालय ने 13,020 करोड़ रुपए की लागत से वर्ष 2021-22 से वर्ष 2025-26 तक 15वें वित्त आयोग की अवधि के दौरान “सीमा अवसंरचना और प्रबंधन” (Border Infrastructure and Management) की केंद्रीय क्षेत्र की समग्र योजना को जारी रखने की मंज़ूरी दी है।
BIM योजना:
- BIM योजना से भारत-पाकिस्तान, भारत-बांग्लादेश, भारत-चीन, भारत-नेपाल, भारत-भूटान और भारत-म्यांँमार सीमाओं को सुरक्षित करने के लिये विभिन्न अवसंरचना जैसे- सीमा बाड़, बॉर्डर फ्लड लाइट, तकनीकी समाधान, सीमा सड़कों और सीमा चौकियों (बीओपी)/कंपनी संचालन केंद्रों या ऑपरेटिंग बेस (Company Operating Bases (COBs) के निर्माण में काफी मदद मिलेगी।
- यह सीमा प्रबंधन, पुलिसिंग और सीमाओं की रखवाली में सुधार के लिये सीमा के बुनियादी ढांँचे को मज़बूत करेगा।
- पाकिस्तान के साथ भारत की 3,323 किमी. लंबी सीमा है, जिसमें लगभग 775 किमी. लंबी नियंत्रण रेखा शामिल है। भारत की कुल सीमा में बांग्लादेश के साथ 4,096 किमी., चीन के साथ 3,488 किमी., नेपाल के साथ 1,751 किमी., भूटान के साथ 699 किमी., म्यांँमार के साथ 1,643 किमी. शामिल है।
सीमाओं को सुरक्षित करने हेतु की गई अन्य पहलें:
- जीवंत ग्राम कार्यक्रम:
- विरल आबादी वाले सीमावर्ती गाँव सीमित संपर्क एवं बुनियादी ढाँचे के अभाव के कारण प्रायः ‘विकास के लाभ’ से वंचित रह जाते हैं। उत्तरी सीमा पर ऐसे गाँवों को बजट 2022-23 के तहत घोषित नए जीवंत ग्राम कार्यक्रम’ में कवर किया जाएगा।
- इन गतिविधियों में ग्रामीण बुनियादी ढाँचे का निर्माण, आवास, पर्यटन केंद्र, सड़क संपर्क, विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा का प्रावधान, दूरदर्शन एवं शैक्षिक चैनलों का प्रत्यक्ष प्रसारण और आजीविका सृजन हेतु समर्थन शामिल होगा।
- वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के करीब चीनी ‘मॉडल गाँवों’ का मुकाबला करने के लिये यह कदम उठाया गया है।
- यह मौजूदा सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम का एक उन्नत संस्करण होगा।
- सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम:
- ‘सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम’ (BADP) की शुरुआत सातवीं पंचवर्षीय योजना (1985-90) के दौरान पश्चिमी सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे के विकास और सीमावर्ती आबादी के बीच सुरक्षा की भावना को बढ़ावा देने हेतु सीमावर्ती क्षेत्रों के संतुलित विकास को सुनिश्चित करने के लिये की गई थी।
- इस कार्यक्रम का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास स्थित दूरस्थ एवं दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की विशेष विकास आवश्यकताओं को पूरा करना और केंद्रीय/राज्य/BADP/स्थानीय योजनाओं के अभिसरण तथा भागीदारी दृष्टिकोण के माध्यम से आवश्यक बुनियादी ढाँचे के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों को संतृप्त करना है।
- भारत में स्मार्ट फेंसिंग (CIBMS):
- भारत-पाकिस्तान सीमा (10 किलोमीटर) और भारत-बांग्लादेश सीमा (61 किलोमीटर) पर व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (CIBMS) के तहत 71 किलोमीटर की दो पायलट परियोजनाएंँ पूरी हो चुकी हैं।
- CIBMS के तहत सीमाओं पर अत्याधुनिक निगरानी तकनीकों की एक शृंखला को तैनात किया जाना शामिल है- थर्मल इमेजर्स, इन्फ्रा-रेड और लेज़र-आधारित घुसपैठ अलार्म, हवाई निगरानी हेतु एयरोस्टेट, बिना सेंसर वाले ग्राउंड सेंसर जो रडार, सोनार सिस्टम का पता लगाने में मदद कर सकते हैं, फाइबर-ऑप्टिक सेंसर तथा एक कमांड एवं कंट्रोल सिस्टम जो वास्तविक समय (Real Time) में सभी निगरानी उपकरणों से डेटा प्राप्त करने में सक्षम है।
- बॉर्डर इलेक्ट्रॉनिकली डोमिनेटेड क्यूआरटी इंटरसेप्शन टेक्नीक (BOLD-QIT) का इस्तेमाल CIBMS के तहत असम के धुबरी ज़िले में भारत-बांग्लादेश सीमा पर भी किया जा रहा है।
- भारत-पाकिस्तान सीमा (10 किलोमीटर) और भारत-बांग्लादेश सीमा (61 किलोमीटर) पर व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (CIBMS) के तहत 71 किलोमीटर की दो पायलट परियोजनाएंँ पूरी हो चुकी हैं।
- सीमा सड़क संगठन (BRO):
- वर्ष 1960 में स्थापित यह संगठन सड़कों, पुलों, राजमार्गों, हवाई अड्डों, सुरंगों, इमारतों और ऐसी अन्य संरचनाओं सहित रक्षा बुनियादी ढांँचा प्रदान करने में एक प्रमुख भूमिका निभाता है।
- BRO द्वारा सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मिज़ोरम, मणिपुर, नगालैंड, त्रिपुरा, मेघालय, लद्दाख, जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के लोगों के लिये 53,600 किलोमीटर से अधिक की जीवन रेखा (सड़क) का निर्माण किया गया है।
सीमा क्षेत्र अवसंरचना विकास संबंधी सारिणी:
पकिस्तान | चीन | बांग्लादेश | |
मुख्य खतरा | युद्ध, उग्रवाद, तस्करी | युद्ध | तस्करी, मानव तस्करी |
क्या किये जाने की आवश्यकता है?
| सी.आई.बी.एम.एस. एक अच्छी तरह से प्रशिक्षित और बड़े ‘बोल्ड-क्यूआईटी’ के साथ निगरानी, दूर-दराज़ के क्षेत्रों, विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर को जोड़ने वाले एक से अधिक मार्ग | बख्तरबंद वाहन सक्षम बुनियादी ढाँचा, उच्च ऊंचाई वाले हवाई क्षेत्र | सी.आई.बी.एम.एस. द्वारा नदी के हिस्सों सहित पूरे क्षेत्र में बोल्ड-क्यूआईटी के साथ निगरानी |
क्या कदम उठाए गए हैं? | वर्ष 2023 तक सी.आई.बी.एम.एस. वाले कुछ हिस्सों में लेह के लिये तीसरा मार्ग खोला जाएगा | दौलत बेग ओल्डी हवाई क्षेत्र कुछ पुलों और सुरंगों के साथ बख्तरबंद वाहनों के आवागमन सक्षम हैं | ब्रह्मपुत्र नदी सीमा पर निगरानी, बाकी नदियाँ अभी बाकी हैं |
नेपाल | भूटान | म्याँमार | |
मुख्य खतरा | तस्करी, मानव तस्करी | तस्करी | युद्ध, उग्रवाद, तस्करी |
क्या किये जाने की आवश्यकता है? | सी.आई.बी.एम.एस. BOLD-QIT के साथ निगरानी | भूटान-चीन सीमा तक बख्तरबंद वाहन सक्षम सड़क संपर्क | सी.आई.बी.एम.एस. उग्रवाद से निपटने के लिये बड़े और अधिक कुशल बोल्ड-क्यूआईटी के साथ निगरानी, तेज़ी से सैनिकों की आवाजाही के लिये सड़कें |
क्या कदम उठाए गए हैं? | नियोजन स्तर | B.R.O. इस पर कार्य कर रहा है | कुछ सड़कें मौजूद हैं। सी.आई.बी.एम.एस. नियोजन स्तर |
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