नौ सेकंड में ढहाए जाएंगे सुपरटेक के दोनों टावर,लगेगा 4000 किलो विस्फोटक.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
50 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में बने एमराल्ड कोर्ट के अंदर नौ हजार वर्ग मीटर में दोनों टावर बने हैं। दोनों टावर का बिल्डअप एरिया 750 लाख वर्ग फीट है। एडफिस कंपनी के पार्टनर उत्कर्ष मेहता ने बताया कि दोनों टावरों को गिराने के लिए दो विस्फोट (प्राइमरी और सेकेंडरी) होंगे। इन्हें गिराने में लगभग नौ सेकंड का वक्त लगेगा।
प्राइमरी विस्फोट ग्राउंड फ्लोर, पहले, दूसरे, छठे, 10वें, 14वें, 22वें, 26वें और 30वें फ्लोर पर विस्फोट किया जाएगा। इस विस्फोट के लिए पूरे एरिया को रेड जोन 0 से 7.0 सेकेंड में किया जाएगा। इसी तरह सेकेंडरी ब्लास्ट 0 से 3.5 सेकेंड का होगा। ब्लास्ट के दौरान जरूरी सावधानी भी बरती जाएगी।
ब्लास्ट के दौरान मलबा टावर परिसर से बाहर नहीं जाएगा। इसके लिए प्रत्येक कालम में विस्फोट कराया जाएगा। कालम को वायर गेज और जियो टेक्सटाइल फाइबर से कवर किया जा रहा है। पूरी इमारत को ग्रीन शीट या सेफ्टी नेट से कवर किया जाएगा। आसपास के टावर की सुरक्षा के लिए कवर शीट लगाई जाएगी।
यह शीट डस्ट और मलबे को रोकेगी। उन्होंने बताया कि अभी तक जिस प्रकार से काम चल रहा है, उससे तय समय में टावर का ध्वस्तीकरण होगा, यदि तय समय में टावर ध्वस्त नहीं किए जा सके तो नोएडा प्राधिकरण के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट से कुछ अतिरिक्त समय की मांग भी की जा सकती है।
विस्फोट परीक्षण में ध्वस्तीकरण की बारीकियों का होगा अध्ययन
उत्कर्ष मेहता ने बताया कि 22 मई को दोनों टावर का ध्वस्तीकरण करने से पहले विस्फोट परीक्षण किया जाएगा। यह मार्च के अंत या अप्रैल के प्रथम सप्ताह में होगा। इसमें कालम की स्ट्रेंथ जांचने के लिए विस्फोट परीक्षण होगा। जिसे दोनों टावरों के कुछ कालम पर इस्तेमाल किया जाएगा। जिसके आकलन के बाद यह तय होगा कि दोनों टावर को गिराने के लिए कितना विस्फोटक इस्तेमाल किया जाएगा।
अभी पूरे एरिया को रेड जोन में 25 सौ से चार हजार किलो तक विस्फोटक का इस्तेमाल होने का अनुमान है। पूरा विस्फोटक दोनों टावर पर ही असेंबल किया जाएगा। ऐसे में रोजाना करीब 200 किलो विस्फोटक लगाने का लक्ष्य रहेगा। जिससे करीब 12 दिन में पूरी तरह से लगाए जाने की योजना है। ध्वस्तीकरण के 15 दिन पहले से यह विस्फोटक लगाने का काम शुरू किया जाएगा।
कंक्रीट वेव के जरिये वाइब्रेशन को किया जाएगा कंट्रोल
मेहता ने बताया कि नोएडा सिस्मिक जोन-4 में आता है। यहां बनाई गई सभी इमारतें सात और आठ रिक्टर का भूकंप का झटका ङोल सकती हैं। ऐसे में यहां वाइब्रेशन को कम करने के लिए दोनों टावरों के बेसमेंट में कंक्रीट वेव बनाए जाएंगे। विस्फोट में अंतराल रखा जाएगा। गेल की लाइन को बचाने के लिए तीन एमएम की स्टील प्लेट, 2.5 मीटर की डिबरीस, तीन लेयर के कुशन लगाए जाएंगे। यानी 110 प्रतिशत सुरक्षा होगी।
मैगजीन में रखा जाएगा विस्फोटक
ध्वस्तीकरण के इस्तेमाल में आने वाले विस्फोटक को टावर से सौ किलोमीटर दूर रखे मैगजीन (विस्फोट रखने की जगह) में रखा जाएगा। टावरों के ब्लाक में लगाने के लिए प्रतिदिन थोड़ा थोड़ा विस्फोटक पुलिस के सुरक्षा घेरे में लाया जाएगा। शाम साढ़े पांच बजे तक उसको लगा दिया जाएगा। बचने पर वापस मैगजीन भेज दिया जाएगा।
100 करोड़ का होगा बीमा
दोनों टावरों को गिराने से आसपास की इमारतों को नुकसान न हो। इसके लिए 100 करोड़ रुपये का बीमा कराया जा रहा है। इसके लिए तीन सरकारी कंपनियों से बातचीत की जा रही है, लेकिन एक दिन के बीमा के लिए कंपनी से रजामंदी होने में समय लग रहा है। चूंकि पहली बार देश में इतने ऊंचे निर्माणाधीन टावर को ध्वस्त किया जा रहा है, जिससे बीमा कंपनियों के सामने बड़ी चुनौती है। नियम व कायदा कानून के लिए वह बार मौका मुआयना कर रही है।
ब्लास्ट के दौरान बरती जाएंगी सावधानी
– दोनों टावरों के आसपास का क्षेत्र रेड जोन में शामिल रहेगा।
– एमराल्ड कोर्ट, एटीएस विलेज, पाश्र्वनाथ सोसायटी को तीन घंटे पहले खाली कराया जाएगा।
– ध्वस्तीकरण के दो घंटे बाद जांच पड़ताल पर ही लोगों को सोसायटी के अंदर जाने की अनुमति मिलेगी।
– विस्फोट के तुरंत बाद फायर ब्रिगेड की गाड़ियां डस्ट को दबाने के लिए छिड़काव और वाटर गन का प्रयोग करेंगी।
– मौके पर एंबुलेंस, नजदीकी अस्पताल, एनडीआरएफ की टीम स्टैंड बाई में होगी।
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