समर्पण, संवेदना, संचेतना के संगम थे बृजकिशोर बाबू: गणेश दत्त पाठक
अयोध्यापुरी स्थित पाठक आईएएस संस्थान पर बृजकिशोर बाबू की जयंती पर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए गए
श्रीनारद मीडिया‚ सीवान (बिहार)
सीवान के श्रीनगर के मूल निवासी बृजकिशोर बाबू समर्पण, संवेदना, संचेतना के प्रतीक पुरुष थे। उनका भारत की स्वतंत्रता के लिए चले राष्ट्रीय आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान रहा। चंपारण सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह आदि में उनकी रणनीति ने ब्रिटिश हुकूमत को खासी चुनौती पेश की थी।
बिहार भूकंप के समय आम जन की सहायता और अलग बिहार प्रांत के गठन में भी उनकी विशेष भूमिका रही।गांधी जी और राजेंद्र बाबू भी उनकी विनम्रता के प्रशंसक थे।
ये बातें शिक्षाविद् श्री गणेश दत्त पाठक ने अयोध्यापुरी में स्थित पाठक आईएएस संस्थान में शुक्रवार को बृज किशोर बाबू की जयंती पर श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कही। श्रीनगर स्थित बृजकिशोर बाबू की प्रतिमा पर संस्थान के सदस्यों द्वारा माल्यार्पण भी किया गया। हालांकि कोरोना महामारी के सरकार के निर्देशानुसार संस्थान के बंद रहने के चलते पूर्व आयोजित विशेष परिचर्चा को स्थगित कर दिया गया।
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