प्रगति यात्रा के आगे बजट दिख रहा फीका!

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बिहार सरकार द्वारा जारी बजट में शिक्षा पर ध्यान दिया गया, स्वास्थ्य और ऊर्जा क्षेत्र पर और ध्यान देने की थी दरकार

✍️डॉक्टर गणेश दत्त पाठक, श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

बिहार के लिए वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए बजट जारी कर दिया गया है। वैसे उम्मीद लगाई जा रही थी कि बिहार में विधानसभा चुनाव इसी साल होने हैं। इसलिए सरकार लोकलुभावन बजट जारी कर सकती है लेकिन सरकार ने एक संतुलित और भविष्योन्मुखी बजट जारी किया है। जो सरकार के आत्मविश्वास को भी रेखांकित कर रही है। बिहार के बजट में शिक्षा पर तो फोकस किया गया है लेकिन स्वास्थ्य, ऊर्जा, बुनियादी संरचना और ग्रामीण विकास पर कम ध्यान दिया जाता दिख रहा है। शायद इसका कारण यह है कि प्रगति योजना के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हर जिले का दौरा कर रहे हैं और हर जिले में विकास की योजनाओं की घोषणा की जा रही है। इस कारण बजट को सरसरी निगाह से देखने पर ऐसा महसूस हो रहा है कि प्रगति यात्रा ने बजट के प्रभाव को कम कर दिया है। फिर भी यह बात तो उल्लेखनीय है कि बिहार के विकास के संदर्भ में अभी भी बुनियादी संरचना का अभाव, ऊर्जा की अनुपलब्धता एक बड़ी चुनौती है। बदलती जीवन शैली के कारण आरोग्य रक्षण वर्तमान में बड़ी चुनौती है। बिहार की खस्ताहाल चिकित्सकीय संरचना के विकास की आवश्यकता है। लेकिन लग रहा है बजट में स्वास्थ्य, ऊर्जा, बुनियादी संरचना के त्रिवेणी बहने का इंतजार अभी इंतजार ही रहने वाला है।

बिहार सरकार अभी शिक्षा को बहुत ज्यादा तवज्जो देती दिख रही है। यह सकारात्मक भी है
। इस बार के बजट में भी सबसे अधिक धनराशि का आवंटन शिक्षा विभाग को ही किया गया है। 3 लाख 16 हजार 895 करोड़ रुपए के बजट में शिक्षा विभाग के लिए कुल 60974 करोड़ रुपए की राशि का आवंटन किया गया है। साथ ही 358 प्रखंडों में डिग्री कॉलेज खोलने की घोषणा की गई है। भारतीय शिक्षा प्रणाली की विसंगतता रही है कि हमारे यहां डिग्री पर ध्यान दिया गया और कौशल विकास पर कम। ऐसे में इसके कारण डिग्री और कौशल विकास के असंतुलन ने बेरोजगारी को बढ़ाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ऐसे में यह देखना होगा कि प्रखंडों में स्थापित होनेवाले ये डिग्री कॉलेज सिर्फ डिग्री ही वितरित करेंगे या वोकेशनल ट्रेनिंग पर भी ध्यान देंगे। शिक्षा विभाग को आवंटित बजट का कितना सकारात्मक उपयोग किया जाता है ये तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन गुणवतापूर्ण शिक्षा अभी भी बिहार के लिए एक बड़ी चुनौती अवश्य है।

वर्तमान में बदलते जीवन शैली, मौसम और जलवायु संबंधी चरम घटनाओं के कारण आरोग्य रक्षण बड़ी चुनौती बन गया है। हृदय रोग, रक्तचाप, मधुमेह आदि व्याधियों का दायरा बढ़ता जा रहा है। कैंसर के प्रसार की गति भी तीव्र है। कई सर्वे में यह बात सामने आ रही है कि तकरीबन 10 फीसदी की दर से कैंसर रोगियों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। ऐसे में आरोग्य रक्षण पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता महसूस की जा रही है लेकिन बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र पर और ज्यादा ध्यान दिया जाता तो ज्यादा बेहतर होता। बिहार सरकार के बजट में स्वास्थ्य के लिए 20365 करोड़ रुपए का आवंटन भी किया गया है। कुछ घोषणाएं निश्चित तौर पर शानदार हैं जिसमें प्रमंडलीय स्तर पर कैंसर अस्पताल के निर्माण की घोषणा, बेगूसराय में कैंसर रोगियों की अधिकता के कारण वहां स्थानीय स्तर पर आधुनिक कैंसर अस्पताल की घोषणा, बिहार कैंसर सोसाइटी की स्थापना की घोषणा आदि शामिल है। कैंसर जैसे व्याधियों में प्राथमिक स्तर पर जांच और परीक्षण की सुविधाओं की आवश्यकता लम्बे अरसे से महसूस की जा रही है। पीपीडी मोड में मेडिकल कॉलेज खोले जाने और अन्य सरकारी मेडिकल कॉलेज की स्थापना की घोषणा एक उम्मीद की किरण जगाती है। बड़े अनुमंडल कार्यालयों में रेफरल अस्पताल के निर्माण की घोषणा, 108 नगर चिकित्सा सुविधा केंद्र खोलने की घोषणा भी सकारात्मक है।

बिहार के बजट में महिला सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दिया गया है। विभिन्न नौकरियों में आरक्षण, जागरूकता के बढ़ने, महिला शिक्षा के प्रोत्साहन के चलते कामकाजी महिलाओं का एक बड़ा समूह अस्तित्व में आ चुका है। ऐसे में इन कामकाजी महिलाओं की सुविधा, सुरक्षा के लिए इस बार के बजट में तमाम व्यवस्थाएं संजोई गई हैं। मसलन प्रमुख शहरों में कामकाजी महिलाओं के लिए हॉस्टल का निर्माण किए जाने की घोषणा की गई है। इसका विस्तार हर शहर और अनुमंडल तक हो तो और बेहतर रहेगा। प्रमुख शहरों में पिंक बस चलाने की घोषणा भी की गई है जिसकी महिलाएं ही कंडक्टर और ड्राइवर हुआ करेगी। सरकार द्वारा कन्या मंडप में गरीब बेटियों की शादी करवाएं जाने की घोषणा की गई है। हर पंचायत में सरकारी विवाह मंडप बनाया जाएगा। महिला चालकों को ई रिक्शा एवं दो पहिया वाहन खरीदने के लिए नगर अनुदान दिया जाएगा। प्रमुख शहरों में महिला वाहन चालक प्रशिक्षण केंद्र बनाए जाएंगे जिसमें प्रशिक्षक महिलाएं ही होंगी। ये सभी योजनाएं सकारात्मक हैं। लेकिन आज आवश्यकता महिला सशक्तिकरण के लिए सुनियोजित और सुव्यवस्थित कार्ययोजना के क्रियान्वयन की है । जिस संदर्भ में यह बजट कोई बहुत आशान्वित रूपरेखा प्रस्तुत करता नहीं दिखाई देता है।

किसी भी राज्य में विकास को गति प्रदान करने के लिए ऊर्जा संसाधनों की उपलब्धता अनिवार्य तथ्य हुआ करती है। बिहार में ऊर्जा की उपलब्धता और उसकी बुनियादी संरचना अभी बेहतर स्थिति में नहीं है। इस बार के बजट में यद्यपि ऊर्जा क्षेत्र के लिए 13484 करोड़ रुपए का आवंटन भी किया गया है। नहरों के किनारे सोलर प्लांट लगाने और इसके लिए 25 करोड़ के फंड बनाने की घोषणा सकारात्मक है। बिहार में गैर परंपरागत ऊर्जा जैसे सौर, बायोमास आदि के विकास की आवश्यकता है। कंप्रेस्ड बायो गैस इकाई की स्थापना से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएं बिना ऊर्जा का उत्पादन होगा।लेकिन बिहार के ऊर्जा क्षेत्र के विकास के लिए शायद कहीं बड़ी ऊर्जा परियोजनाओं की आवश्यकता अवश्य है। भविष्य की ऊर्जा आवश्यकताओं को देखते हुए इस बार का बजट अपर्याप्त दिखाई देता है।

बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है। यहां एग्रोबेस्ड और फूड प्रॉसेसिंग इंडस्ट्री के विकास की संभावनाओं की तरफ तमाम विशेषज्ञ ध्यान दिलाते रहे हैं। बिहार के कई क्षेत्रों में सब्जी की अच्छी खेती हुआ करती है। इस संदर्भ में हर प्रखंड में सब्जी उत्पादक समितियों का गठन इस साल करने की घोषणा की गई है। सरकार के नए खाद्य प्रसंस्करण कानून लाने की घोषणा की है इससे नई उम्मीदें जगी हैं। बिहार में फसल उत्पादन के बाद फसलों के खराब होने की समस्या एक बड़ी चुनौती रही है। कोल्ड स्टोरेज के अभाव में किसानों की मेहनत की कमाई बर्बाद होती रही है। इस बार के बजट में बिहार सरकार ने घोषणा की है कि पूरे राज्य के प्रखंडों में कोल्ड स्टोरेज बनाया जाएगा। इससे किसानों को काफी राहत मिलेगी। वे अपने फसलों को कोल्ड स्टोरेज में रख कर फसलों को स्टोर कर सकते हैं। बिहार में बाजार समितियों की स्थापना के लिए सरकार ने 1289 करोड़ रुपए खर्च करेगी। सबसे बड़ी घोषणा बिहार सरकार ने इस बार के बजट में यह की है कि सरकार इस साल से जैसे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदती रही है वैसे हीं अरहर दाल और मूंग भी खरीदेगी। यह किसानों के लिए एक शानदार घोषणा है। इसके दूरगामी सकारात्मक प्रभाव होंगे।

बिहार के लिए पलायन एक बड़ी समस्या रही है। यहां के कामगार बड़े शहरों में काम करते रहे हैं जहां उनका शोषण भी होता रहा है। ऐसे में बिहार सरकार ने इस बार के बजट में घोषणा की है कि देश के बड़े शहरों में प्रवासी मजदूरों के लिए सेंटर खोले जाएंगे। इस प्रयास की आवश्यकता भी लंबे समय से महसूस की जा रही थी। वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने यह भी कहा है कि बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति विकसित किया जा रहा है। जिसकी आवश्यकता महसूस की जाती रहती है। वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए बिहार क्लीन एयर ट्रांसफॉर्मेशन का निर्माण भी एक सकारात्मक पहल है। वर्तमान समय में साइबर ठगी बिहार की एक बड़ी चुनौती के रूप में उभर रही है। ऐसे में बिहार सरकार के इस बार के बजट में साइबर अपराध रोकने के लिए डाटा सेंटर बनाए जाने की घोषणा स्वागतयोग्य है। हालांकि बिहार में बढ़ते साइबर अपराधों का सामना करने के लिए और भी बड़े प्रयासों की आवश्यकता अवश्य है।

बिहार सरकार के बजट में इस बार हवाई परिवहन को लेकर बड़ी घोषणाएं की गई हैं। पूर्णिया हवाई अड्डा शीघ्र चालू होगा। तीन महीने में वहां से उड़ाने चालू हो जाएंगी। बिहार सरकार ने फैसला किया है कि राजगीर, सुल्तानगंज, रक्सौल में ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट बनाए जाएंगे। वाल्मिकीनगर, मुंगेर, सहरसा, और मुजफ्फरपुर में छोटे छोटे हवाई जहाजों के लिए हवाई सेवा शुरू होगी। हवाई परिवहन आज की आवश्यकता बन चुकी है। इसके लिए और भी प्रयासों की आवश्यकता है। प्रगति यात्रा के दौरान पूर्व में ही मुख्यमंत्री द्वारा विभिन्न जिलों में सड़कों आदि के निर्माण की घोषणा की जा चुकी है।

खेल के विकास के लिए भी बिहार सरकार द्वारा विशेष तौर पर बुनियादी संरचना के विकास पर ध्यान दिया जा रहा है। बिहार के सभी प्रमंडलों में खेल संरचना के निर्माण का कार्य शुरू हो चुका है। प्रत्येक प्रखंड में आउटडोर स्टेडियम को भी इस बार के बजट में स्वीकृति प्रदान की गई है।

किसी भी सरकार का बजट भविष्य की दिशा का निर्धारण करता है। नई उम्मीदों को जागृत करता है। नए सपनों की आस जगाता है। निश्चित तौर पर कुछ उम्मीदें पूरी होती हैं। कुछ के लिए इंतजार करना होता है। यह क्रम तो चलता ही रहता है।

 

 

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