गोबर की ईंट पर खड़ी होंगी इमारतें,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

पुराने जमाने के घर मौसम के अनुकूल हुआ करते थे क्योंकि उनके ऊपर गोबर की परत होती थी। विज्ञान की तरक्की के साथ अब ऐसे घर दिखना बंद हो गए हैं। इसकी जगह कंक्रीट की इमारतों ने ले ली है। इससे पर्यावरण को भी नुकसान हो रहा है। लेकिन अब जल्द ही कंक्रीट की जगह गोबर की ईंटों से बनी इमारते खड़ी देखी जा सकेंगी। इसकी पहल शुरु हो गई है। इगलास क्षेत्र की मोहनपुर गौशाला में गाय के गोबर से ईंट तैयार की जा रही है। इन ईंटों से बना भवन मौसम के अनुकूल होगा।

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प्रशासन की पहल पर शुरू किया गोकाष्‍ट बनाना

गौसेवा समिति के संचालक शशिपाल सिंह उर्फ सत्यानंद दास बताते हैं कि उनकी गौशाला में 700 से अधिक गोवंश है। प्रशासन से मिलने वाली धनराशि व स्वयं के प्रयास से वह गोशाला का संचालन कर रहे हैं। प्रशासन की पहल पर उन्होंने गाय के गोबर से गोकाष्ट बनाने प्रारंभ किए। इन गोकाष्टों को प्रशासन की मदद से शमशाम घाटों में अंतिम संस्कार के लिए प्रयोग किया जा रहा है। अब उन्होंने गोबर से निर्मित ईंटों का निर्माण शुरु किया है। गोबर से बनी ईंट एक ओर जहां पर्यावरण के लिए अच्छी है वहीं इससे बने भवन मौसम के अनुकूल भी रहते हैं। आगे उनकी गाय के गोबर से धूप वत्ती, स्वास्तिक, ओम, वैदिक सीमेंट तैयार करने की भी योजना है। उन्होंने बताया कि उन्हें पहला आर्डर 50 हजार ईंटों का (रमणरेती) मथुरा से मिला है।

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4.5 रुपये आती है ईंट की लागत

शशिपाल बताते हैं कि उन्होंने गोबर की ईंट बनाने का प्रशिक्षण हरियाणा के डा. मलिक से लिया है। एक ईंट तैयार करने में 4.5 रुपये की लागत आती है। बाजार में इसकी कीमत छह रुपये है। इससे घर सर्दी और गर्मी दोनों के अनुकूल रहता है। न तो गर्मी में ज्यादा गर्मी महसूस होती है, न ठंड में ज्यादा ठंड, क्योंकि गोबर थर्मल इंसुलेटेड होता है। ईंट में न आग लगती है और न पानी से गलती है।

ऐसे बनाते हैं ईंट

देशी गाय के गोबर में चूना व चार अन्य तरह के कैमिकल मिलाकर ईंट तैयार की जाती है। ईंट पूरी तरह से हैंड मेड है। धूप में सूखने के बाद ये ईंट घर बनाने के लिए तैयार हो जाती है। इस ईंट को भट्ठी में पकाने की आवश्यकता नहीं होती। सूखने के बाद ईंट का वजन 400 से 500 ग्राम तक रह जाता है। इसकी मोटाई और लंबाई सामान्य ईंट के बराबर रखी गई है।

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