हल्द्वानी में नहीं चलेगा बुलडोजर-SC
50 साल पुरानी है हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर अवैध कब्जे की कहानी
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
उत्तराखंड के हल्द्वानी में बनभूलपुरा व गफूर बस्ती में बुलडोजर चलाने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। रेलवे की 29 एकड़ जमीन से अतिक्रमण हटाने के हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट अभी और सुनवाई करेगा। रेलवे ने इस जमीन पर 50000 लोगों द्वारा कब्जा करने की बात कही है।
उन्होंने इसी को लेकर हाईकोर्ट का रुख किया था, जहां जमीन से कब्जा हटाने की बात कही गई थी। सुनवाई के दौरान आज शीर्ष न्यायालय ने मानवीय एंगल को देखते हुए फिलहाल बुलडोजर न चलाने का आदेश दिया है। अब मामले में अगली सुनवाई 7 फरवरी को होगी। कोर्ट द्वारा कई बाते इस सुनवाई में कही गई.
- सुप्रीम कोर्ट ने आज मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इस मामले में मानवीय एंगल जुड़ा है और बुलडोजर चलाकर एकदम सभी 50 हजार लोग कैसे हटेंगे।
- शीर्ष न्यायालय ने आगे उत्तराखंड हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए कहा कि वे इस मामले में अभी और सुनवाई करेंगे और 7 फरवरी की अगली तारीख भी दी।
- सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि रातोंरात 50 हजार लोग आखिर कैसे हटाए जा सकते हैं।
- कोर्ट ने मामले में रेलवे और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा।
- न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति ए एस ओका की पीठ ने कहा कि यह एक ‘मानवीय मुद्दा’ है और पुनर्वास योजना जैसे कुछ व्यावहारिक समाधान खोजने की जरूरत है।
- उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने फैसला आने पर कहा कि वे इस बात पर कायम है कि यह रेलवे की जमीन है। धामी ने कहा कि हम कोर्ट के आदेश के अनुसार आगे बढ़ेंगे।
- उच्च न्यायालय ने पिछले साल 20 दिसंबर को हल्द्वानी के बनभूलपुरा में रेलवे की अतिक्रमण की गई जमीन पर निर्माण को गिराने का आदेश दिया था।
- रेलवे के आदेश के अनुसार अतिक्रमणकारियों को एक सप्ताह का नोटिस देने के बाद अतिक्रमणों को तोड़ने की बात कही गई थी।
- SC में निवासियों द्वारा दाखिल अर्जी में कहा गया था कि उच्च न्यायालय ने विवादित आदेश पारित करने में गंभीर गलती की है। याचिका में कहा गया था कि याचिकाकर्ताओं सहित कई लोगों के मामले जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष अभी तक लंबित हैं।
- बता दें कि बनभूलपुरा में रेलवे की कथित अतिक्रमित 29 एकड़ जमीन पर धार्मिक स्थल, स्कूल, व्यापारिक प्रतिष्ठान और आवास हैं।
50 साल पुरानी है हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर अवैध कब्जे की कहानी
रेलवे भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर रेलवे ने सार्वजनिक नोटिस जारी कर दिया। इसमें रेलवे स्टेशन से 2.19 किमी दूर तक अतिक्रमण हटाया जाना है। खुद अतिक्रमण हटाने के लिए सात दिन की मोहलत दी गई थी। जारी नोटिस में कहा गया कि हल्द्वानी रेलवे स्टेशन 82.900 किमी से 80.710 किमी के बीच रेलवे की भूमि पर सभी अनाधिकृत कब्जों को तोड़ा जाएगा।
सात दिन के अंदर अतिक्रमणकारी खुद अपना कब्जा हटा लें, अन्यथा हाईकोर्ट के आदेशानुसार अतिक्रमण तोड़ दिया जाएगा। उसका खर्च भी अतिक्रमणकारियों से वसूला जाएगा। अतिक्रमण मामले में हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने के लिए सोमवार 2 जनवरी, 2023 को सुप्रीम कोर्ट में हल्द्वानी के शराफत खान समेत 11 लोगों की याचिका वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद की ओर से दाखिल की गई है।
करीब 50 साल पहले शुरू हुआ खेल
बताया जाता है कि बनभूलपुरा और गफूर बस्ती में रेलवे की भूमि पर करीब 50 साल पहले अतिक्रमण शुरू हुआ था। अतिक्रमण अब रेलवे की 78 एकड़ जमीन पर फैल गया है। स्थानीय लोगों का दावा है कि वो 50 साल से भी अधिक समय से यहां रह रहे हैं। उन्हें वोटर कार्ड, आधार कार्ड, राशन कार्ड, बिजली, पानी, सड़क, स्कूल आदि सभी सुविधाएं भी सरकारों ने ही दी हैं। लोग सभी सरकारी योजनाओं का लाभ भी उठा रहे हैं। पीएम आवास योजना से भी लोग लाभान्वित हो चुके हैं। दावा है कि वो नगर निगम को टैक्स भी देते हैं। इनमें मुस्लिम आबादी की बहुलता है।
2016 में आरपीएफ ने दर्ज किया मुकदमा
बता दें कि, नैनीताल हाईकोर्ट की सख्ती के बाद 2016 में आरपीएफ ने अतिक्रमण का मुकदमा दर्ज किया। लेकिन तब तक करीब 50 हजार लोग रेलवे की जमीन पर आबाद हो चुके थे। नैनीताल हाईकोर्ट ने नवंबर 2016 में रेलवे को 10 सप्ताह में अतिक्रमण हटाने के सख्त आदेश दिए। इसके बाद भी रेलवे, आरपीएफ और प्रशासन नरमी दिखाता रहा। रेलवे का दावा है कि उसकी 78 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा है। रेलवे की जमीन पर 4365 कच्चे-पक्के मकान बने हैं।
अतिक्रमणकारी नहीं दिखा सके ठोस सबूत
2016 में नैनीताल हाईकोर्ट ने अतिक्रमण हटाने का आदेश तो दिया लेकिन इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए अतिक्रमणकारियों को व्यक्तिगत रूप से नोटिस जारी करने और उनकी आपत्तियों को तीन महीने में निस्तारित करने का आदेश रेलवे को देते हुए मामले को वापस हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए भेज दिया।
इसके बाद नैनीताल हाईकोर्ट ने रेलवे को 31 मार्च 2020 तक उनके समक्ष दायर वादों को निस्तारित करने का आदेश दिया। रेलवे की रिपोर्ट के मुताबिक, अतिक्रमण की जद में आए 4365 वादों की रेलवे प्राधिकरण में सुनवाई हुई। जिसमें 4356 वादों का निस्तारण हो चुका है। अतिक्रमणकारी कब्जे को लेकर कोई ठोस सबूत नहीं दिखा पाए।
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