बिहार में आया बम्‍पर बहाली:  4050 सीएचओ की होगी नियुक्ति

बिहार में आया बम्‍पर बहाली:  4050 सीएचओ की होगी नियुक्ति

47 साल तक के लोग कर सकते हैं अप्लाई; मिलेगी इतनी सैलरी

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क-

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स्वस्थ बिहार के सपने को साकार करने और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर को सुदृढ़ करने के लिए राज्य सरकार ने 4050 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत इनकी नियुक्ति की जा रही है। इसके लिए 21 से 47 वर्ष के अभ्यर्थी तीन मार्च तक आनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इन्हें हर माह 25 हजार रुपये मानदेय के साथ मानक अनुसार बेहतर कार्य करने पर 15 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जाएगा।

राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यकारी निदेशक के निर्देशानुसार आवेदन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इस पद के लिए शैक्षणिक योग्यता बीएससी नर्सिंग, जीएनएम या पोस्ट बेसिक बीएससी नर्सिंग की डिग्री है।

01 जनवरी तक इंडियन नर्सिंग काउंसिल या स्टेट नर्सिंग काउंसिल के तहत पंजीयन व अन्य योग्यता सर्टिफिकेट होना अनिवार्य है। इसके अलावा तीनों कोटि के अभ्यर्थियों के लिए सर्टिफिकेट कोर्स इन कम्युनिटी हेल्थ का डिप्लोमा अनिवार्य है।

अनारक्षित, बीसी, एमबीसी व ईडब्ल्यूएस कोटि के लिए 500 और अन्य कोटि के अभ्यर्थियों को 250 रुपये शुल्क देना होगा। नियुक्ति की तिथि से 18 माह तक सेवा देना अनिवार्य होगा। इसके पूर्व कार्य छोडऩे पर उन्हें छह माह के बराबर मानदेय यानी डेढ़ लाख रुपये का भुगतान करना होगा।

आरक्षण रोस्टर का होगा पालन

सीएचओ के 4050 पदों पर नियुक्ति में आरक्षण रोस्टर का पालन किया जाएगा। सामान्य कोटि के 936 पदों में सामान्य (महिला) के लिए 499, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के 556 पदों में इस वर्ग की महिला के लिए 238, पिछड़ा वर्ग के 276 पदों में इस वर्ग की महिला के लिए 143, अनुसूचित जाति के  692 पदों में इस वर्ग की महिला के लिए 214, अनुसूचित जनजाति के 24 पदों में से महिला के लिए 11, पिछड़ा वर्ग की महिलाओं के लिए 104,  आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 250 और आर्थिक रूप से कमजोर महिला उम्मीदवार के लिए 107 पद आरक्षित हैं। आवेदन करने की न्यूनतम आयु 21 और सामान्य वर्ग के लिए अधिकतम आयु 42 वर्ष है। अन्य कोटि के अभ्यर्थियों को अधिकतम आयु में तीन से पांच वर्ष की छूट दी गई है।

 सीएचओ के कार्य

सीएचओ का कार्य ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुगम बनाना है। इसके तहत मरीजों का इलाज करना व कराना, ग्रामीण क्षेत्रों में ओपीडी का संचालन, गर्भवती और स्तनपान करने वाली महिलाओं को उचित परामर्श देना, आवश्यकता पडऩे पर उपचार सुविधा मुहैया कराना और प्राथमिक उपचार मुहैया कराना है। इनका मुख्य कार्य गरीब मरीजों तक स्वास्थ्य सेवा पहुंचने में आ रही सभी बाधाओं को दूर करना है।

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