भागवत कथा का श्रवण करने मात्र से मनुष्य के सारे संताप दूर हो जाते हैं-केशव जी महाराज
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
श्रीमद् भागवत सप्ताह कथा ज्ञान यज्ञ प्रवक्ता संत प्रवर आचार्य डॉक्टर केशव जी महाराज भागवत कथा के तीसरे दिन उपस्थित अपार जनसमूह भगवान वामन की झांकी का दर्शन कर भाव विभोर हो गया वस्तुतः समग्रता की प्रतिमूर्ति भगवान का प्राकट्य तभी संभव है जब कुशल मातृत्व प्राप्त हो। मां आदिति के शांतिपूर्ण उपासना के फल स्वरुप भगवान वामन रूप में अवतार ग्रहण कर बलि के यज्ञशाला में याचक बनकर गये एवं तीन पग भूमि मांग कर संपूर्ण सत्ता का ही ग्रहण कर लिए। जिससे पुनः देवत्व की स्थापना संभव हो सकी। कथा वाचक ने कहा कि जो मनुष्य श्रीमद भागवत कथा का श्रवण करता है उसके सारे दु:खों का हरण हो जाता है।
कुशल मातृत्व के परिणाम स्वरूप दैत्य पत्नी कयाधु के गर्भ से प्रहलाद जैसा भागवत पुत्र जन्म लिया एवं अपनी साधना के बल पर भगवान को नरसिंह के रूप में प्रगट होने को विवश कर दिया। प्रहलाद पिता जो स्वतः को भगवान घोषित कर चुका था एवं नहीं मरने का वर प्राप्त कर लिया था वह दैत्य राज भी भक्तिमयी साधना के फल स्वरुप विवस्ता पूर्वक बिना अस्त्र-शस्त्र के ही भगवान नरसिंह के हाथों सद्गति को प्राप्त हुआ। एक ओर आतंक तो दूसरी ओर त्याग तपस्या और साधुता की कटुता एवं आतंक पराजित हुआ तथा त्याग तपस्या की विजय हुई।
अतः सदा सर्वदा त्याग तपस्या और भक्ति भावना ही मानवता के कल्याण में समर्थ है। भगवत सत्ता सकुशल मातृत्व को ग्रहण कर साधुता के साधना एवं स्थापना हेतु प्रगट होते रहती है। कथा का आयोजन पांडेय रोडलाइंस के ओर से किया गया। संयोजक आचार्य पंडित मृत्युंजय मिश्रा संरक्षक पंडित श्री अरुण त्रिपाठी,आयोजक मंडल पांडेय रोड लाइंस चित्तौड़गढ़ श्री अक्षयवर पांडेय, श्री लक्ष्मण पांडेय,अजय पांडेय,विजय पांडेय,सोनू पांडेय संगीत साधना पंडित श्री विशंभर नाथ दुबे, पंडित श्री अवधेश जी पांडेय, पंडित रमैया पांडेय, आचार्य शिव जी मिश्र एवं पंडित मुन्ना जी शास्त्री रहे.