सीएए कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती,क्यों?

सीएए कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती,क्यों?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

जान दे दूंगी, बंगाल में नहीं बनने दूंगी डिटेंशन सेंटर- ममता बनर्जी

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

केंद्र सरकार की ओर से नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) लागू करने की अधिसूचना जारी किए 24 घंटे का समय भी नहीं बीता कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में उस पर रोक लगाने की मांग वाली याचिकाएं भी दाखिल हो गईं। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आइयूएमएल) और डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन आफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग अर्जी दाखिल कर कोर्ट से सीएए लागू करने की अधिसूचना पर रोक लगाने की मांग की है। इनमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट में बहुत सी याचिकाएं लंबित हैं जिनमें सीएए की वैधानिकता को चुनौती दी गई है, ऐसे में उन याचिका पर सुनवाई पूरी होने तक सीएए लागू करने पर रोक लगा दी जाए।

संसद ने 11 दिसंबर 2019 को सीएए पारित किया था और अगले दिन 12 दिसंबर 2019 को राष्ट्रपति ने उसे मंजूरी दे दी थी। इस कानून में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए हिंदू, जैन, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसियों को नागरिकता प्रदान करने का प्रविधान है। आइयूएमएल ने 12 दिसंबर यानी उसी दिन कानून को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दे दी थी। वैसे करीब 250 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में सीएए पर लंबित हैं।

शीर्ष अदालत ने कानून के क्रियान्वयन पर रोक लगाने से इन्कार करते हुए 18 दिसंबर, 2019 को याचिकाओं पर केंद्र को नोटिस जारी किया था। उस वक्त केंद्र ने कोर्ट में कहा था कि अभी इसके नियम तय नहीं हुए हैं, इसलिए कानून फिलहाल लागू नहीं होगा। अब केंद्र ने 12 मार्च को सीएए लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी है।

याचिका में कहा गया है कि जब केंद्र ने कानून पारित होने के साढ़े चार साल तक नियम तय कर इसे लागू नहीं किया तो अब भी इसकी कोई जल्दी नहीं है। इसमें धर्म के आधार पर नागरिकता देने की बात संविधान के प्रविधानों का उल्लंघन है। मुसलमानों के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव किया गया है, इसमें उन्हें नागरिकता देने की बात नहीं है। जो लोग भारत आ चुके और यहीं रह रहे हैं व उन्हें वापस भेजे जाने का खतरा नहीं है तो फिर इसे लागू करने की इतनी जल्दबाजी क्यों?

मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद इसे लागू किया जाए। अगर कोर्ट याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सीएए रद कर देता है तो जिन लोगों को इस कानून के तहत नागरिकता मिल चुकी होगी, वह चली जाएगी और एक अजीब सी स्थिति पैदा होगी। इसलिए सीएए लागू करने पर रोक लगा दी जाए या फिर केंद्र को आदेश दिया जाए कि वह सभी लोगों को जोकि इस कानून में नागरिकता आवेदन के बाहर रखे गए हैं, उन्हें भी आवेदन करने की छूट दे।

सीएए लागू किए जाने पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा व केंद्र सरकार पर फिर निशाना साधते हुए कहा कि इसमें जिन नियमों को अधिसूचित किया गया है उनमें कोई स्पष्टता नहीं है। उन्होंने सीएए नियमों की कानूनी वैधता पर संदेह जताते हुए कहा कि केंद्र ने विशेष रूप से कल का दिन चुना है, क्योंकि आज से रमजान शुरू हो गया है।

ममता ने कहा कि सीएए का सीधा संबंध एनआरसी से है। उत्तर 24 परगना जिले के हाबरा में सरकारी वितरण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि हम बंगाल में किसी भी सूरत में एनआरसी डिटेंशन कैंप बनाने की अनुमति नहीं देंगे और न ही हम यहां किसी को भी लोगों के अधिकार छीनने की इजाजत देंगे। इसके लिए मैं अपनी जान देने के लिए तैयार हूं।

जिन्हें नागरिकता नहीं मिली, उन्हें डिटेंशन कैंप भेज देंगे

ममता ने लोगों से सीएए के तहत नागरिकता के लिए ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन करने से पहले कई बार सोचने का आग्रह भी किया। उन्होंने कहा कि जैसे ही आप आवेदन करेंगे, आपको अवैध नागरिक घोषित कर दिया जाएगा। जिन लोगों को नागरिकता नहीं मिलेगी, उन्हें डिटेंशन कैंप में भेज दिया जाएगा। आपकी संपत्ति जब्त कर ली जाएगी।

Leave a Reply

error: Content is protected !!