हर कानून को “काला” बताना फैशन, विपक्ष के पास तर्क नहीं, केवल लाठी का जोर -सुशील कुमार मोदी
श्रीनारद मीडिया‚ पटना (बिहार):
पूर्व डिप्टी सीएम व राज्य सभा सांसद सुशील मोदी ने ट्वीट किया है कि संसदीय प्रणाली में बहस का महत्व है, लेकिन इसके लिए समझ, सद्भाव और बुद्धिमत्ता की आवश्यकता पड़ती है।
दुर्भाग्यवश, विपक्ष का नेतृव ऐसे लोगों के हाथ में, जिनके पास केवल बाहुबल और तेल पिलायी लाठियाँ हैं।
वे तर्क और प्रमाण के साथ सदन में बहस कर जब यह सिद्ध करने में खुद को असमर्थ पाते हैं कि किसी विधेयक में ” काला ” क्या है, तब वे सदन के भीतर टेबल तोड़ते हैं या विधानसभा घेरने निकल पडते हैं।
एनडीए ने विधानसभा चुनाव से पहले 19 लाख लोगों को रोजगार देने का जो वादा किया था, उसे पूरा करने के लिए प्रशासनिक, वैधानिक और नीतिगत स्तर पर तेजी से फैसले लिए जा रहे हैं।
इथनॉल उत्पादन की स्वीकृति मिलने से निवेश के प्रस्ताव मिले। अन्य क्षेत्रों में भी निवेश की बढती सम्भावना को देखते हुए जब सरकार ने औद्योगिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक लाया, तो विपक्ष इसे “काला कानून” बताने लगा।
आंदोलनजीवियों ने हर कानून को काला बताने का फैशन चला दिया है।
यह भी पढ़े
गृह सचिव से मिलकर फडणवीस ने सौंपे सबूत, CBI जांच की मांग.
गम्हरिया में भारती स्वतंत्रता संग्राम के पुरोधा शहीद – ए – आजम भगत सिंह का शहादत दिवस मनाया गया
फिर खतरनाक होते जा रहे हालात, बढ़ रही पाबंदियां, यूपी में भी स्कूलों पर ताला
बिहार हाईकोर्ट ने टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों में 451 लेक्चररों की बहाली निरस्त करने का आदेश दिया.