विलायती कीकर हटाने का अभियान लटका,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

घरेलू’ खींचतान में एक साल से लटके सेंट्रल रिज से विलायती कीकर हटाने के अभियान पर अब जल्द ही काम शुरू होने के आसार हैं। इसे हटाने के तौर तरीकों पर सलाहकार समिति के सदस्यों की असहमति के बीच दिल्ली सरकार ने सख्त रुख अपना लिया है। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने वन विभाग को दो टूक निर्देश दिया है कि सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना के पायलट प्रोजेक्ट पर जल्द काम शुरू किया जाए।

ये है योजना: पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर विलायती कीकर हटाने के अभियान की शुरूआत सेंट्रल रिज से की जानी है। दिल्ली विश्वविद्यालय के पर्यावरण अध्ययन विभाग के वनस्पति विज्ञानी प्रो. सीआर बाबू के निर्देशन में यह प्रक्रिया पांच साल में पूरी की जाएगी। इसके लिए दिल्ली सरकार ने जनवरी 2021 में कैबिनेट बैठक में 12.21 करोड़ रुपये का बजट भी स्वीकृत किया था।

इस तरह पाई जाएगी विलायती कीकर से मुक्ति:  प्रो. बाबू के प्रस्ताव के पहले चरण में सेंट्रल रिज पर वन विभाग के अधीन आने वाली 423 हेक्टेयर भूमि से विलायती कीकर और झाड़ियों को हटाकर बायो डायवर्सिटी पाकों की तर्ज पर स्वदेशी प्रजाति के पौधे लगाए जाएंगे। छोटे-छोटे तालाब भी बनाए जाएंगे। कीकर के पेड़ों को जड़ से नहीं काटकर ऊपर से काटा जाएगा।

क्या है अब वन विभाग का कदम: पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर अभी 10 हेक्टेयर क्षेत्र में काम शुरू किया जाएगा। लैंटाना प्रजाति को जड़ समेत काटा जाएगा और विलायती कीकर तो ऊपर से काट-छांटकर धरती तक धूप आने का रास्ता तैयार किया जाएगा। विलायती कीकर के आसपास स्वदेशी पौधे भी लगाए जाएंगे।

ऐसे उठा विवाद: दिल्ली सरकार की पांच सदस्यीय सलाहकार समिति, जिसमें वनस्पति विज्ञानी प्रो. सीआर बाबू, पर्यावरणविद प्रदीप कृष्णन, आर्किटेक्ट सुदित्या सिन्हा, पर्यावरण कार्यकर्ता रीना गुप्ता और प्रधान सचिव (वन एवं पर्यावरण) संजीव खैरवार सदस्य हैं, विलायती कीकर हटाने के तौर-तरीकों पर एकमत नहीं हुए। समिति की दो बैठकें हुईर्ं, एक आनलाइन, एक आफलाइन। वैचारिक असहमति के कारण प्रोजेक्ट आगे बढ़ने के बजाए बीच में ही रूका रहा।

कृष्णन बोले-कीकर को काटना-छांटना अस्थायी तरीका: विलायती कीकर को जड़ समेत न हटाकर ऊपर से काटना-छांटना अस्थायी तरीका है। इससे तो हर तीन साल बाद फिर से कटाई-छंटाई करने की नौबत आ जाएगी। प्रो. सीआर बाबू स्वदेशी प्रजाति के जिन 10 पौधों को रिज पर लगाने की बात कर रहे हैं, उनमें से भी आधे दिल्ली की जलवायु के अनुकूल ही नहीं हैं। प्रो. बाबू के प्रस्ताव में रिज क्षेत्र में छोटे-छोटे तालाब बनाने की भी बात है, जबकि वहां पर नमी की जो स्थिति पहले से है, उसे छेड़ना तर्कसंगत नहीं।

प्रो. सीआर बाबू ने कहा-यह सलाहकार समिति बेमानी है: मैं सलाहकार समिति से अपना इस्तीफा दे चुका हूं। यह समिति बेमानी है। इसके रहते काम हो भी नहीं सकता। काम की निगरानी हो तो फिर भी अच्छा है, लेकिन यहां तो काम ही शुरू नहीं हो पा रहा।

 

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