क्या लालू परिवार की बढ़ सकती हैं मुश्किलें?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

दिल्ली की एक विशेष अदालत 25 फरवरी को यह तय करेगी कि पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव और अन्य के खिलाफ दायर ‘जमीन के बदले नौकरी’ मामले में आरोपपत्र पर संज्ञान लिया जाए या नहीं. बता दें कि, विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने को इस मामले में शुक्रवार को फैसला सुनाना था. लेकिन, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से कुछ बिंदुओं पर स्पष्टीकरण लेने के बाद उन्होंने सुनवाई को 25 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दिया.

CBI की मंजूरी पर सवाल

इससे पहले न्यायाधीश ने 30 जनवरी को आरोपपत्र में दर्ज आरोपों को लेकर CBI से कुछ स्पष्टीकरण मांगे थे. विशेष रूप से लोकसेवक आर.के. महाजन के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी को लेकर सवाल उठाए गए थे. सोलह जनवरी को अदालत ने कहा था कि यदि महाजन के खिलाफ मंजूरी प्रक्रिया 30 जनवरी तक पूरी नहीं हुई तो सक्षम प्राधिकारी को स्पष्टीकरण प्रस्तुत करना होगा.

CBI ने 26 नवंबर 2024 को इस मामले में 30 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी की जानकारी अदालत को दी थी. लेकिन महाजन के खिलाफ स्वीकृति लंबित होने की बात कही गई थी.

क्या है मामला?

CBI के अनुसार यह मामला 2004 से 2009 के बीच जबलपुर (मध्य प्रदेश) स्थित रेलवे के पश्चिम मध्य क्षेत्र में ग्रुप-डी की नियुक्तियों से जुड़ा हुआ है. आरोप है कि इन भर्तियों के बदले में लालू यादव के परिवार या उनके सहयोगियों के नाम पर जमीनें उपहार में दी गईं या हस्तांतरित की गईं.

18 मई 2022 को CBI ने लालू प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, दो बेटियों और कई अज्ञात सरकारी अधिकारियों व निजी व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. अब अदालत का फैसला यह तय करेगा कि इस मामले में कानूनी प्रक्रिया आगे बढ़ेगी या नहीं.

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