Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
जातिगत जनगणना पर नहीं दे सकते निर्देश-सुप्रीम कोर्ट - श्रीनारद मीडिया

जातिगत जनगणना पर नहीं दे सकते निर्देश-सुप्रीम कोर्ट

जातिगत जनगणना पर नहीं दे सकते निर्देश-सुप्रीम कोर्ट

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सुप्रीम कोर्ट से बिहार सरकार को बड़ी राहत मिली है। बिहार सरकार द्वारा पूरे राज्य में जाति आधारित जनगणना कराने के फैसले के खिलाफ लगी याचिकाओं पर विचार करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को संबंधित उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने और कानून के अनुसार, उचित उपाय खोजने की स्वतंत्रता है। इसी के साथ अब बिहार में जातिगत जनगणना कराना जारी रह सकेगा।

हाई कोर्ट जाने की सलाह

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि याचिकाएं विचार करने योग्य नहीं है और याचिकाकर्ताओं को संबंधित उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एक प्रचार हित याचिका है।

किसे कितना आरक्षण दें, ये हम नहीं तय करेंगे- SC

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि हम विशेष जाति को कितना आरक्षण दिया जाना चाहिए, इस बारे में निर्देश कैसे जारी कर सकते हैं। जजों ने कहा कि हम इस तरह के निर्देश जारी नहीं कर सकते हैं और इन याचिकाओं पर विचार नहीं कर सकते हैं।

उचित उपाय खोजने को कहा

शीर्ष अदालत ने एक एनजीओ और अन्य द्वारा दायर तीन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता उचित उपाय के लिए पटना उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं। पीठ ने आदेश दिया कि सभी याचिकाओं को वापस ले लिया गया मानकर खारिज किया जाता है और कानून में उचित उपाय खोजने की स्वतंत्रता दी जाती है। बता दें कि 11 जनवरी को शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह इस मामले को 20 जनवरी को सुनेगी, क्योंकि याचिकाकर्ताओं में से एक ने मामले की तत्काल लिस्टिंग का उल्लेख किया था।

जाति आधारित गणना पर बिहार सरकार को फिलहाल राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई में याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने के लिए कहा। याचिकाकर्ता ने नोटिफिकेशन रद्द करने की मांग की थी।

बिहार सरकार की तरफ से जारी की गई जाति आधारित गणना की अधिसूचना को रद्द कराने के लिए तीन याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थीं। इसी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।

याचिका में जाति आधारित गणना को समाज को तोड़ने वाला बताया गया। हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले दिनों इस याचिका पर बयान देते हुए कहा था कि हम लोग जनगणना नहीं करा रहे हैं। जाति आधारित गणना करा रहे हैं, जो राज्य सरकार करा सकती है।

अखिलेश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के एक सामाजिक कार्यकर्ता अखिलेश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने बिहार सरकार के जातिगत गणना कराने के फैसले को असंवैधानिक कहा था।

अखिलेश का कहना है कि जनगणना कराने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार को है। बिहार सरकार किसी भी तरह का की गणना नहीं करा सकती है। कहा गया है कि 6 जून 2022 के उस अति आधारित गणना के नोटिफिकेशन को रद्द किया जाए।

मकान और परिवार की गिनती की जा रही है

बिहार में पहले चरण के जातिगत आधारित गणना की शुरुआत 7 जनवरी से की गई है। मकान और परिवार की गिनती की जा रही है। इसके बाद अप्रैल महीने में जाति आधारित जनगणना का दूसरा चरण होगा। जिसमें परिवार के अंदर रहने वाले सभी सदस्यों की जानकारी ली जाएगी। उस परिवार के जाति जानकारी ली जाएगी, साथ ही आर्थिक स्थिति का भी जायजा लिया जाएगा। बताया जा रहा है कि दूसरे चरण में करीब 26 प्रश्न होंगे जिसके जवाब परिवार को देने होंगे।

इस तरह से होगी मकान का गणना

राज्य सरकार के स्तर पर अभी मकानों की कोई नंबरिंग नहीं की गई है। वोटर आईकार्ड में अलग, नगर निगम के होल्डिंग में अलग नंबर है। पंचायत स्तर पर मकानों की कोई नंबरिंग ही नहीं है। शहरी क्षेत्र में कुछ मोहल्लों में मकानों की नंबरिंग है भी तो वह हाउसिंग सोसायटी की ओर से दी गई है, न कि सरकार की ओर से।

अब सरकारी स्तर पर दिया गया नंबर ही सभी मकानों का स्थायी नंबर होगा जो पेन मार्कर या लाल रंग से लिखा जाएगा। इसे 2 मीटर की दूरी से पढ़ा जा सकेगा।

पहले चरण में यदि कोई मकान नंबरिंग में छूट जाता है या कोई नया मकान बन जाता है तो उसका नंबर बगल के नंबर के साथ ABCD या ऑब्लिक 123…आदि जोड़ कर किया जाएगा। इसे ऐसे समझें… यदि किसी मकान का नंबर 20 है और उसके बाद खाली जगह है। अगले मकान का नंबर 21 है। मकान नंबर 20 और 21 के बीच खाली जगह पर भविष्य में तीन नए मकान बनते हैं तो इनका नंबर 20A, 20B और 20C या 20/1, 20/2 या 20/3 होगा। मकानों की नंबरिंग, रोड और गली के आधार पर होगी।

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!