स्कैम, आरोप और विवादों में फंसी कैप्टन सरकार,कैसे?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
पंजाब कांग्रेस में बीते कुछ दिनों से ही सियासी उठा-पटक की खबरें आ रही हैं। राज्य में विधानसभा चुनाव होने में एक साल का वक्त शेष रह गया है। एक तरफ राज्य की सरकार खुद की पार्टी में हो रहे विवाद को खत्म करने की कवायद में कांग्रेस के दिल्ली दरबार के चक्कर काट रही है। वहीं कोरोना काल में पहले तो वैक्सीन को निजी अस्पतालों में देने और संकट के इस दौर में किट में घोटाले का खुलासा हुआ। जिसको लेकर भारतीय जनता पार्टी हमलावर है। ऐसे में आइए जानते हैं अगले वर्ष चुनावी समर में उतरने वाला राज्य पंजाब और उसकी सरकार बीते दस दिनों में किन वजहों से सुर्खियों में है।
दो खेमों में बंटी कांग्रेस
कांग्रेस की पंजाब इकाई के बीच की लड़ाई दो खेमों में बंट गई है। एक में सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह तो दूसरी ओर नवजोत सिंह सिद्धू समेत अन्य नेता नजर आ रहे हैं। पिछले महीनों में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले के बाद से राज्य कांग्रेस इकाई में ज्यादा तनातनी देखी गई। सूबे के मुख्यमंत्री ने तो खुले तौर पर अपनी ही पार्टी के नेता और वर्तमान में कैप्टन सरकार के बड़े आलोचक नवजोत सिंह सिद्धू को उनके खिलाफ चुनाव लड़ने की चुनौती दी थी।
कलह सुलझाने के लिए पैनल गठित
कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि पार्टी आलाकमान पर सबकी नजर है। राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता वाली समिति का गठन कांग्रेस आलाकमान की तरफ से किया गया है, जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और और पंजाब प्रभारी हरीश रावत तथा दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जेपी अग्रवात शामिल है। वाली समिति ने पिछले चार-पांच दिनों में कांग्रेस के पंजाब से ताल्लुक रखने वाले 100 से अधिक नेताओं से उनकी राय ली है। इसमें अधिकतर विधायक हैं। प्रदेश अध्यक्ष और नवजोत सिंह सिद्धू समेत करीब दो दर्जन विधायक पैनल से मुलाकात कर चुके। बागियों ने अपनी ही सरकार पर जनता से वादा खिलाफी का संगीन आरोप मढ़ दिया है। जिसके बाद बीते दिनों पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस पैनल से मुलाकात की। बैठक के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि 6 महीने में चुनाव आ रहे हैं और ये हमारी पार्टी में आत्मनिरीक्षण है जो हमने किया है।
कैप्टन ही होंगे पंजाब में कांग्रेस का प्रमुख चेहरा
पंजाब मामलों के प्रभारी हरीश रावत पहले ही साफ कर चुके हैं कि कांग्रेस की परंपरा के मुताबिक पंजाब में कैप्टन ही पार्टी का नेतृत्व करेंगे। इस एलान ने विधायक नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश इकाई का प्रधान पद देने की अटकलों पर सवालिया निशान लगा दिया है, क्योंकि अगर सिद्धू प्रदेश प्रधान बनाए जाते हैं तो आगामी चुनाव में टिकट बंटवारे में भी उनका दखल अवश्य होगा और कैप्टन ऐसा नहीं चाहेंगे। दरअसल, पंजाब प्रदेश कांग्रेस में इस समय कैप्टन के अलावा अन्य कोई भी नेता इतना कद्दावर नहीं है, जो अपने दम पर पार्टी को जिता सके। अगर मौजूदा स्थिति पर नजर डालें तो कैप्टन समर्थक खेमे में ही नहीं बल्कि नाराज खेमे में भी ऐसा कोई चेहरा दिखाई नहीं देता, जिसके दम पर हाईकमान 2022 के चुनाव में उतरने का जोखिम मोल ले।
मुफ्त टीकाकरण की बजाय पंजाब ने बेच दी वैक्सीन
कोरोना महामारी के बीच जहां कई राज्यों में वैक्सीन की किल्लत है। कई जगह वैक्सीन न मिल पाने की वजह से टीकाकरण केंद्रों पर ताले लगाने पड़े हैं। लेकिन कांग्रेस शासित पंजाब राज्य में कोरोना टीके को लेकर गंभीर आरोप कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार पर लग रहे हैं। कांग्रेस सरकार पर कोरोना वैक्सीन की कालाबाजारी के आरोप लगाए जा रहे हैं। जिसके बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस मुद्दे पर राज्य सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि आज एक ख़बर आई है कि पंजाब सरकार को वैक्सीन की 1,40,000 से ज़्यादा डोज़ 400 रुपये में मिलीं और वो वैक्सीन उन्होंने 20 निजी अस्पतालों को 1000 रुपये में दी।
वैक्सीनेशन में भी राज्य सरकार मुनाफा कमाना चाहती है, ये जनता का कैसा प्रशासन है। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी की तरफ से भी कहा गया कि कोविड वैक्सीन ऊंची कीमतों पर बेचे जा रहे हैं। पुरी ने कहा कि मुझे पंजाब के कुछ लोगों ने बताया कि मोहाली में मैक्स और फोर्टिस अस्पताल ने टीका 3,000 और 3,200 रुपए का बेचा। राज्यों को अपनी वैक्सीन की जो खरीद करनी थी वो उस पर मुनाफाखोरी कर रहे हैं।
क्या है पूरा विवाद
कुछ दिन पहले शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार पर वैक्सीन निजी अस्पतालों को बेचने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ऊंचे कीमतों पर निजी अस्पतालों को कोरोना टीके बेच रही है। वैक्सीन 1060 रुपए में निजी अस्पतालों को बेची जा रही है। प्रदेश में टीका नहीं है। आम लोगों को मुफ्त में टीका लगाने की बजाय सरकार प्राइवेट हॉस्पिटल को खुराक बेच रही है। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार मैक्स के अलावा 39 अन्य संस्थानों ने केवल 100 से 1,000 तक टीके खरीदे थे। मैक्स हेल्थकेयर और फोर्टिस उन नौ अस्पतालों में शामिल हैं, जिन्होंने निजी अस्पतालों के वैक्सीन कोटा का 50 प्रतिशत हिस्सा खरीदा है। मैक्स ने छह शहरों में 12.97 लाख डोज खरीद की है।
कोरोना फतेह किट पर उठे सवाल
पंजाब में अब कोरोना वायरस की महामारी के दौरान कोविड फतेह किट के नाम पर सियासी घमासान शुरू हो गया है। मुनाफा कमाने के लिए निजी अस्पतालों को वैक्सीन बेचे जाने के आरोप के बाद अब कोविड फतेह किट को लेकर विपक्ष ने कैप्टन सरकार पर हमला बोला है। विपक्ष ने कोविड फतेह किट को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए घोटाले का आरोप लगाया है।
कोरोना फतेह किट है क्या
फतेह मतलब जीत। पंजाब में जो भी कोविड पॉजिटिव आता है उसे एक विशेष किट प्रोवाइड करवायी जाती है जिसका नाम है कोरोना फतेह किट। कोरोना मरीज के टेस्ट के बाद अगर वो पॉजिटिव आता है तो पंजाब सरकार की हेल्थ विभाग की टीम उनके पास किट लेकर जाती है। मौके पर उसका ऑक्सीजन लेवल चेक किया जाता है। किट में स्टीम इन्हेल्रर होत है। काढ़ा, गार्गल के लिए ओरल सॉल्यूशन, सेनेटाइजर की शीशी होती है। मास्क का एक पूरा पैकेज होता है। एक कफ सीरफ होता है। इसके साथ ही क्या करना है, क्या नहीं करने है इससे संबंधित पर्चे बॉक्स में मौजूद होते हैं।
अकाली दल ने साधा निशाना
कैप्टन सरकार के खिलाफ हमला बोलते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री और अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि प्राइवेट अस्पतालों को सरकारी वैक्सीन मोटी कीमत पर बेचने के बाद ये फतेह किट का एक और नया घोटाला सामने आया है। इस घोटाले में कई बार रेट को लेकर टेंडर बदला गया. 50 दिन में 5 बार टेंडर के रेट बदले गए। 750 रुपये की किट का टेंडर 1500 में दिया गया।
बीजेपी ने उठाए सवाल
बीजेपी के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि पंजाब में वैक्सीन की कीमत को बढ़ाकर निजी अस्पताल में दिया जा रहा था, इस पर अभी कार्रवाई भी नहीं हुई कि आज एक और मामला सामने आया-फतह कोविड-19 किट स्कैम। कांग्रेस पार्टी की पंजाब की सरकार कैसे घोटाले पर घोटाले कर रही है ये केवल भ्रष्टाचारी कांग्रेस ही कर सकती है। गौरव भाटिया ने कहा कि पंजाब सरकार ने कोविड में एक निर्णय लिया कि फतह कोविड किट्स नागरिकों के लिए खरीदेंगे। लेकिन अप्रैल के पहले हफ्ते में पहला टेंडर आया जिसमें इसकी कीमत पहले से ही बढ़ी हुई थी, कीमत 837 रु. थी। 20 अप्रैल के आस-पास दूसरे टेंडर में इसकी कीमत बढ़कर 1,226 हो गई।
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