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संरक्षण के अभाव में नगदी फसल खैनी का खेती समाप्ति के कगार पर

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श्रीनारद मीडिया‚ एम सावर्ण‚ भगवानपुर हाट‚ सीवान (बिहार)


सीवान जिले के भगवानपुर हाट प्रखंड क्षेत्र के लगभग दो दर्जन गांवो में परंपरागत ढंग से हो रही नगदी फसल खैनी की खेती अब समाप्ति के कगार पर पहुंच गया है । इसका कारण कृषि विभाग द्वारा खैनी के खेती को
बढ़ावा नहीं देना माना जाता है । कभी प्रखंड क्षेत्र के सबसे अधिक खैनी की खेती करने वाले गांवो में भगवानपुर , सारी पट्टी , रामपुर , सहस रा व , ब्रह्मस्थान , भिखमपुर , मोरा , बिलासपुर
आदि दर्जन भर गां व में खैनी की खेती किसानों के आर्थिक सबलता का प्रतीक था । किसान
खैनी के फसल बेंच कर सालो भर घर परिवार चलाते थे । इसी नगदी फसल से होने वाले आर्थिक आय से किसान अन्य फसलों की खेती का खाद बीज खरीदते थे तथा अपने परिवार
के बच्चो को पढ़ाने लिखाने एवं शादी विवाह करने का काम भी करते थे । वर्तमान समय में इन सभी गांवो के लगभग एक सौ से अधिक किसान खैनी की खेती करना छोड़ दिया है । खैनी की खेती करने वाले खेत में आलू, सरसो , गेहूं की खेती हो रही है । सबसे बड़ी बात खैनी की खेती में यह था कि लगभग पांच माह तक मजदूरों को काम मिलता था ।

यह एक ऐसा फसल है कि किसान अपने जरूरत के अनुसार बेच अपना काम चला लेते थे । किसी साहूकार के यहां नहीं जना पड़ता था । कृषक ओम प्रकाश पांडेय , दूधनाथ सिंह , शंभू नाथ सिंह , अशोक रस्तोगी , आशुतोष पांडेय ने बताया कि
खैनी के खेती काफी महंगी खेती हो गई है ।

सबसे बड़ी बात उन्होंने बताया कि इस फसल के खेती को बढ़ावा देने के लिए आज तक कृषि विभाग अथवा सरकार द्वारा कभी प्रयास तक नहीं किया । किसान परंपरागत ढंग से खैनी की खेती करते करते नुकसान पर नुकसान का सामना कर खेती करना छोड़ दिया । ओम प्रकाश पांडेय ने बताया कि मौसम की बेवफाई भी खैनी की खेती के विपरित चला गया ।

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