
राष्ट्रीय डाक दिवस पर विशेष: चिट्ठिया हो तो हर कोई बांचे, भाग्य ना बांचे कोय,सजनवा बैरी हो गये हमार
राष्ट्रीय डाक दिवस पर विशेष: चिट्ठिया हो तो हर कोई बांचे, भाग्य ना बांचे कोय,सजनवा बैरी हो गये हमार श्रीनारद मीडिया, एके मिश्रा, सीवान (बिहार) संचार क्रांति व डिजिटलाइजेशन के इस दौर ने चिट्ठियों को निगल लिया। अब चिट्ठी-पत्री का कोई नामलेवा तक नहीं रहा गया है। बच्चों और युवा पीढ़ी के लिए तो…