क्या शासन-प्रशासन में हिंदी सशक्त हुई है?
क्या शासन-प्रशासन में हिंदी सशक्त हुई है? श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क आर्थिक उदारीकरण की नीतियों से तालमेल करते हुए देश आर्थिक मोर्चे पर नई इबारत तेजी से लिखना शुरू कर चुका था। बाजार बहुराष्ट्रीय उपभोक्ता वस्तुओं से सजने लगे थे। उत्पादों का बाकायदा लांचिंग समारोह होता, जिसमें पत्रकार भी बुलाए जाते थे। अखबार अपने कारोबार…