तेजस्वी यादव के खिलाफ CBI ने दाखिल की चार्जशीट,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

Land For Jobs Scam : लैंड फॉर जॉब घोटाले मामले में बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव (Lalu Prasad Yadav) के परिवार की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सोमवार (3 जुलाई) को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में लैंड फॉर जॉब घोटाले मामले में आरोप पत्र दाखिल किया है. आरोप पत्र में बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) और कंपनियों समेत कई अन्य लोगों के नाम आरोपी के तौर पर शामिल हैं.

राउज एवन्यू कोर्ट अब 12 जुलाई को सुनवाई करेगा. नौकरी के बदले जमीन घोटाले से संबंधित मामले में सीबीआई पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और कई अन्य के खिलाफ पहले ही आरोप पत्र दायर कर चुकी है.

सीबीआई ने अपने विशेष लोक अभियोजक एडवोकेट डीपी सिंह के माध्यम से अदालत को सूचित किया गया है कि मामले में एक नया आरोप पत्र दायर किया गया है। सीबीआई के अनुसार एक आरोप पत्र पहले ही दायर किया जा चुका है क्योंकि कथित कृत्य एक अलग तरीके से किया गया है। अदालत को यह भी सूचित किया गया कि लालू और तीन अन्य के खिलाफ धाराओं पर मंजूरी का इंतजार है।

कोर्ट में सीबीआई ने क्या कहा?

सीबीआई ने अदालत को बताया कि पहले से ही आरोप पत्र दायर होने के बावजूद मामले में एक नया आरोप पत्र दायर किया गया है क्योंकि कथित मामला एक अलग कार्यप्रणाली के साथ किया गया है. कोर्ट को ये भी बताया गया कि लालू और तीन अन्य के खिलाफ मंजूरी का इंतजार है.

आरजेडी का बीजेपी पर निशाना

तेजस्वी यादव का चार्जशीट में नाम आने पर आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा कि तेजस्वी यादव ने तो खुद कहा था कि चार्जशीट में उनका नाम आएगा. अभी जिस तरह का माहौल है और बीजेपी जैसी राजनीति कर रही है उसमें यही होना था, लेकिन हमारी राजनीति में कोई बदलाव नहीं आएगा. देश को हिंदू राष्ट्र बनाने से रोकने के लिए जो भी कुर्बनी देनी होगी उसके लिए हम तैयार हैं.

क्या है लैंड फॉर जॉब घोटाला? 

ये मामला लालू प्रसाद यादव के परिवार को तोहफे में जमीन देकर या जमीन बेचने के बदले में लोगों को रेलवे में कथित तौर पर नौकरी देने से संबंधित है. ये मामला 2004 से 2009 के बीच का है जब लालू यादव रेल मंत्री थे. सीबीआई का आरोप है कि जो जमीनें ली गई थी वो राबड़ी देवी और उनकी बेटी मीसा भारती के नाम पर भी ली गई थीं.

सीबीआई ने की थी पूछताछ

इस मामले को लेकर सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी से बीते मार्च के महीने में घंटों पूछताछ की थी. जिसके बाद आरजेडी ने केंद्र पर जोरदार हमला बोलते हुए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था.

क्या है नौकरी के बदले जमीन घोटाला?

यह कथित घोटाला उस समय हुआ जब लालू प्रसाद कांग्रेस नीत केंद्र की यूपीए-1 सरकार में रेल मंत्री थे। आरोप है कि 2004-09 की अवधि के दौरान भारतीय रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में समूह ‘डी’ पदों पर विभिन्न व्यक्तियों को नियुक्त किया गया था और इसके बदले में संबंधित व्यक्तियों ने तत्कालीन रेल मंत्री प्रसाद के परिवार के सदस्यों को और इस मामले में लाभार्थी कंपनी ‘एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड’ को अपनी जमीन हस्तांतरित की थी।

नौकरी के बदले जमीन मामले में ईडी भी लालू परिवार से कर चुकी है पूछताछ

बता दें कि नौकरी के बदले जमीन घोटाला मामले में सीबीआई राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी से पूछताछ कर चुकी है। इसके अलावा ईडी ने राजद प्रमुख के परिवार के परिसरों में छापे मारे थे। ईडी ने छापेमारी के बाद कहा था कि उसने एक करोड़ रुपये की आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक नकदी बरामद की है और अपराध में इस्तेमाल 600 करोड़ रुपये के लेनदेन का पता लगाया है।

लालू प्रसाद के परिवार और उनके सहयोगियों की तरफ से रियल एस्टेट समेत विभिन्न क्षेत्रों में किए गए और निवेश का पता लगाने के लिए जांच की जा रही है। इस मामले में तेजस्वी यादव और उनकी बड़ी बहन और सांसद मीसा भारती भी पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष भी पेश हुई थीं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उनका बयान धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज किया गया था।

लालू परिवार से CBI ने मांगा था संपत्ति का ब्योरा

इससे पहले मई में रेलवे में नौकरी के बदले जमीन मामले की जांच के क्रम में सीबीआइ ने लालू परिवार के सभी सदस्यों के नाम से खरीदी गई संपत्ति का ब्योरा मांगा था।

साल 2004 से 2009 तक तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद, मंत्री तेजप्रताप एवं मीसा भारती समेत लालू की सभी सात बेटियों के नाम से खरीदी, गिफ्ट की गई या लीज पर दी गई अचल संपत्ति का विवरण मांगा गया था।

बता दें कि सीबीआई के पुलिस अधीक्षक, आर्थिक अपराध इकाई ने राज्य के निबंधन महानिरीक्षक (आइजी) को पत्र भेजकर यह ब्योरा उपलब्ध कराने के लिए कहा था।

इसके तहत सहायक निबंधन महानिरीक्षक मनोज कुमार संजय ने राज्य के सभी जिला अवर निबंधक एवं अवर निबंधक को निर्देश भी जारी किए थे। इसमें सभी विवरण सीधे सीबीआई के पुलिस अधीक्षक को भेजने के लिए कहा गया था।

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