साढ़े सात महीनों में 11 मामलों की सीबीआइ जांच के आदेश,कहाँ?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिगड़ती कानून व्यवस्था समेत हिंसा व अपराध के मुद्दे पर विपक्षी दलों के निशाने पर रही बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को कलकत्ता हाई कोर्ट से एक के बाद एक लगातार झटके लग रहे हैं। इसी क्रम में हाई कोर्ट ने बंगाल के नदिया जिले के हांसखाली में 14 साल की लड़की से कथित दुष्कर्म व हत्या मामले की जांच भी सीबीआइ को सौंप दी है। अदालत ने मंगलवार देर शाम इस मामले की जांच सीबीआइ को सौंपने का आदेश दिया।

अदालत ने पुलिस से कहा है कि वो तत्काल सारे साक्ष्य सीबीआइ को सौंप दें। साथ ही हाई कोर्ट खुद इस दुष्कर्म कांड की जांच की निगरानी भी करेगा। इससे पहले मंगलवार दिन में हाई कोर्ट ने पुरुलिया जिले के झालदा में कांग्रेस पार्षद तपन कांदू हत्याकांड के मुख्य गवाह (चश्मदीद) निरंजन वैष्णव की संदिग्ध मौत मामले की सीबीआइ जांच के आदेश दिए थे।

वैष्णव, मृतक कांग्रेस पार्षद तपन कांदू हत्याकांड के चश्मदीद गवाह और उनके करीबी सहयोगी थे। पेशे से शिक्षक वैष्णव का शव छह दिन पहले उनके घर से फांसी के फंदे से झूलते हुए अवस्था में मिला था। मौके से एक सुसाइड नोट भी मिला था जिसमें वैष्णव ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए थे। यानी एक ही दिन में कलकत्ता हाई कोर्ट ने बंगाल में दो मामले की जांच सीबीआइ को सौंप कर एक तरह से ममता सरकार को बड़ा झटका दिया।

गौरतलब है कि इन दोनों मामलों को मिला दिया जाए तो, आंकड़ों के अनुसार बंगाल में पिछले साढ़े सात महीनों के दौरान कुल 11 मामलों की सीबीआइ जांच के आदेश दिए जा चुके हैं। ये सारे आदेश अदालत की तरफ से दिए गए हैं। इससे पहले कलकत्ता हाई कोर्ट ने पिछले हफ्ते सोमवार को झालदा नगरपालिका के कांग्रेस पार्षद तपन कांदू की हत्या की सीबीआइ जांच का आदेश दिया था। उससे 10 दिन पहले ही बीरभूम के रामपुरहाट में हुए नरसंहार की सीबीआइ जांच के आदेश भी दिया जा चुके हैं। स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) नियुक्ति घोटाले से जुड़े एक मामले की भी सीबीआइ जांच कर रही है।

वहीं, एसएससी से जुड़े तीन मामलों की कलकत्ता हाई कोर्ट की एकल पीठ की तरफ से सीबीआइ जांच के आदेश दिए गए थे, जिनमें से दो पर फिलहाल खंडपीठ का स्थगनादेश है। इसके अलावा बंगाल में विधानसभा चुनाव बाद हुई हिंसा और हल्दिया बंदरगाह पर रंगदारी वसूलने के एक मामले की भी केंद्रीय जांच एजेंसी तफ्तीश कर रही है। बंगाल में यूं तो विभिन्न मामलों की सीबीआइ जांच के आदेश दिए जा चुके हैं लेकिन हाल के महीनों में यह आंकड़ा तेजी से बढ़ा है।

इससे पहले वाममोर्चा के शासनकाल में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के नोबेल पदक की चोरी, छोटा अंगारिया नरसंहार व नंदीग्राम में फायरिंग की घटना का सीबीआइ जांच का आदेश दिया गया था। ममता सरकार में हुए बहुचर्चित सारधा चिटफंड घोटाले व नारदा स्टिंग आपरेशन कांड की भी सीबीआइ जांच कर रही है। बंगाल भाजपा प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने कहा कि यह दर्शाता है कि राज्य की जनता का पुलिस पर कोई भरोसा नहीं रह गया है। अदालत को भी उसपर यकीन नहीं है। पता नहीं, यह सरकार क्या करने के लिए है?

वहीं, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता तापस राय ने कहा कि अदालत अगर सीबीआइ जांच का आदेश दे तो उस मामले में कुछ कहा नहीं जा सकता लेकिन देश की सर्वोच्च अदालत सीबीआइ की पिंजरे के तोते से तुलना कर चुकी है। उन्होंने सीबीआइ की कार्यशैली पर सवाल उठाया। साथ ही कहा कि सीबीआइ की सफलता की दर भी कम है।

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