सीडीएस विपिन रावत के क्रैश हुए हेलीकॉप्टर हादसा कई सवालों को दे रहा है जन्म ….गहन जांच होनी चाहिए
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान… क्रैश हुए हेलीकॉप्टर के पायलट….जिस चॉपर को पृथ्वी उड़ा रहे थे…उन्हें पता था कि उसमें देश का सबसे बड़ा सैन्य अधिकारी बैठा हुआ है…तो ऐसा तो हुआ नहीं होगा कि छोटी मोटी दिक्कतों की वजह से पृथ्वी सिंह चॉपर क्रैश होने देते…ऐसा भी नहीं था कि पृथ्वी सिंह नए नवेले पायलट थे…ऐसा भी नहीं था कि Mi-17v5 हेलीकॉप्टर कोई ऐरा-गैरा क्वालिटी का हेलीकॉप्टर है….उड़ान भरने से पहले प्रॉपर चेकिंग होती है…और जब बात CDS की हो तो एक्स्ट्रा प्रिकॉशन बरता गया होगा…लैंडिंग की जगह से सिर्फ दस किलोमीटर दूर हुआ हादसा कई सवालों को जन्म दे रहा है….गहन जांच होनी चाहिए….
अब पृथ्वी सिंह चौहान के बारे में कुछ बातें:
चौहान 22 जून 2002 को वायु सेना में शामिल हुए थे और 22 जून 2015 को उन्हें विंग कमांडर बनाया गया था। विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान एक अनुभवी पायलट थे और उन्हें इस हेलिकॉप्टर को उड़ाने का अच्छा-खासा अनुभव था। उन्हें भारतीय वायु सेना के सबसे अच्छे पायलटों में से एक माना जाता था। चौहान आगरा के दयालबाग के सरन नगर के रहने वाले थे। वर्तमान में उनकी तैनाती कोयंबटूर के पास वायु सेना स्टेशन में थी.पृथ्वी का विवाह साल 2007 में वृंदावन निवासी कामिनी से हुआ। उनके दो बच्चे हैं।
बड़ी बेटी आराध्या 12 वर्ष और अविराज नौ वर्ष का पुत्र है। वे परिवार के साथ वायु सेना परिसर में रह रहे थे। पिता सुरेंद्र सिंह और मां सुशीला देवी सरन नगर स्थित घर में हैं। सुरेंद्र सिंह ने बताया कि बड़ी बहन शकुंतला ने जब टीवी देखने के बाद भाई को फोन किया तो नंबर बंद था। उसके बाद ही उन्होंने पृथ्वी सिंह की पत्नी से संपर्क किया..तब शहादत की खबर मिली..एयरफोर्स ज्वाइन करने के बाद पृथ्वी को पहली तैनाती हैदराबाद में मिली थी।
इसके बाद वे गोरखपुर, गुवाहाटी, ऊधमसिंह नगर, जामनगर, अंडमान निकोबार सहित दूसरे एयरफोर्स स्टेशनों पर भी तैनात रहे। उन्हें एक वर्ष की विशेष ट्रेनिंग के लिए सूडान भी भेजा गया था।
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