मंकीपाक्स को लेकर केंद्र सरकार अलर्ट, अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की सुरक्षा जांच की गई सुनिश्ति.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भारत में मंकीपाक्स का एक और मामला सामने आया है। केरल में मंकीपाक्स के मरीज की पुष्टि हुई है। बता दें कि मंकीपाक्स का पहला मामला भी केरल में ही मिला था। इस मामले को लेकर केंद्र सरकार ने कड़े कदम उठाने शुरु कर दिए हैं। समाचार एजेंसी एएऩआइ के मुताबिक, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health & Family Welfare) ने जानकारी दी है कि केंद्र ने अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर प्रवेश के बिंदुओं (POI) की स्वास्थ्य गतिविधियों की समीक्षा की। सभी राज्यों, हवाई अड्डे और बंदरगाह के स्वास्थ्य अधिकारियों को मंकीपाक्स रोग के आयात के जोखिम को कम करने के लिए सभी अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की स्वास्थ्य जांच सुनिश्चित करने की सलाह दी गई है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने आगे जानकारी दी कि राज्य प्रशासन, आप्रवासन ब्यूरो, हवाई अड्डे और बंदरगाह स्वास्थ्य कार्यालयों के बीच प्रभावी समन्वय बैठाने की कोशिश की जा रही है।
केरल में आया मंकीपाक्स का दूसरा मामला
बता दें केरल में मंकीपाक्स के दो मामले सामने आने के बाद केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जार्ज ने कहा कि केरल में मंकीपाक्स का एक और मामला मिला है। उन्होंने कहा कि ये मामला कन्नूर जिले में मिला है। संदिग्ध में मंकीपाक्स के लक्षण मिलने के बाद सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे। जांच में इसकी पुष्टि हो गई है। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि 31 वर्षीय शख्स में इसकी पुष्टि हुई है। मरीज के संपर्क में रहने वालों को निगरानी में रखा गया है। इससे पहले केरल में 14 जुलाई को मंकीपाक्स का पहला मामला सामने आया था।
कोविड से जूझ रही दुनिया में एक दुर्लभ संक्रमण के उभरने से वैज्ञानिक चिंतित हैं जिसका नाम मंकीपॉक्स है। हालांकि भारत में अभी तक इससे संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन ब्रिटेन, इटली, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन और अमेरिका में लोग इससे संक्रमित पाए गए हैं। कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस इस बीमारी के संभावित संक्रमणों की जांच कर रहे हैं जिनमें मृत्यु दर 10 प्रतिशत हो सकती है। कुल मिलाकर, मंकीपॉक्स के 100 से अधिक संदिग्ध और पुष्ट मामले सामने आए हैं।
मंकीपॉक्स क्या है?
मंकीपॉक्स मानव चेचक के समान एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है। यह पहली बार 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था। मंकीपॉक्स से संक्रमण का पहला मामला 1970 में दर्ज किया गया था। यह रोग मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में होता है और कभी-कभी अन्य क्षेत्रों में पहुंच जाता है।
हैदराबाद के यशोदा अस्पताल में संक्रामक रोगों पर सलाहकार डॉ. मोनालिसा साहू ने कहा, ‘मंकीपॉक्स एक दुर्लभ जूनोटिक बीमारी है जो मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण के कारण होती है। मंकीपॉक्स वायरस पॉक्सविरिडे परिवार से संबंधित है, जिसमें चेचक और चेचक की बीमारी पैदा करने वाले वायरस भी शामिल हैं।’
साहू ने कहा, ‘अफ्रीका के बाहर, अमेरिका, यूरोप, सिंगापुर, ब्रिटेन में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं और इन मामलों को अंतरराष्ट्रीय यात्रा व बीमारी से ग्रस्त बंदरों के एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने से जोड़ा गया है।’
बीमारी के लक्षण
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, मंकीपॉक्स आमतौर पर बुखार, दाने और गांठ के जरिये उभरता है और इससे कई प्रकार की चिकित्सा जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। रोग के लक्षण आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक दिखते हैं, जो अपने आप दूर होते चले जाते हैं। मामले गंभीर भी हो सकते हैं। हाल के समय में, मृत्यु दर का अनुपात लगभग 3-6 प्रतिशत रहा है, लेकिन यह 10 प्रतिशत तक हो सकता है। संक्रमण के वर्तमान प्रसार के दौरान मौत का कोई मामला सामने नहीं आया है।
संक्रमण का प्रसार कैसे होता है?
मंकीपॉक्स किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवर के निकट संपर्क के माध्यम से या वायरस से दूषित सामग्री के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है। ऐसा माना जाता है कि यह चूहों, चूहियों और गिलहरियों जैसे जानवरों से फैलता है।
यह रोग घावों, शरीर के तरल पदार्थ, श्वसन बूंदों और दूषित सामग्री जैसे बिस्तर के माध्यम से फैलता है। यह वायरस चेचक की तुलना में कम संक्रामक है और कम गंभीर बीमारी का कारण बनता है।
स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि इनमें से कुछ संक्रमण यौन संपर्क के माध्यम से संचरित हो सकते हैं। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वह समलैंगिक या उभयलिंगी लोगों से संबंधित कई मामलों की भी जांच कर रहा है।
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