चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हुआ चंद्रयान-3
चंद्रयान-3,22 दिन बाद चंद्रमा की ऑर्बिट में पहुंचा
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित हो गया है। इसरो ने ट्वीट कर जानकारी दी है। इसरो ने बताया कि चंद्रयान-3 का अगला ऑपरेशन 6 अगस्त, 2023 को लगभग 23:00 बजे के लिए निर्धारित है।
चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित हुआ चंद्रयान-3
इसरो ने ट्वीट कर लिखा कि ये चंद्रयान-3 है और मैं चंद्र गुरुत्वाकर्षण महसूस कर रहा हूं। चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हो गया है।
14 जुलाई को लॉन्च हुआ था मिशन
बता दें कि चंद्रयान-3, 14 जुलाई को लॉन्च हुआ था। इसके बाद से ही अंतरिक्ष यान चंद्रमा की लगभग दो-तिहाई दूरी तय कर चुका है। चंद्रयान-3 को प्रक्षेपित किए जाने के बाद से उसे कक्षा में ऊपर उठाने की प्रक्रिया को पांच बार सफलतापूर्वक पूरा किया गया है।
इससे पहले एक अगस्त को अंतिरक्ष यान को पृथ्वी की कक्षा से ऊपर उठाकर चंद्रमा की ओर बढ़ाने की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा किया गया और यान को ‘ट्रांसलूनर कक्षा’ में डाल दिया गया था।
चंद्रयान-3 ने 22 दिन के सफर के बाद आज शाम करीब 7:15 बजे चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया। 14 जुलाई को ये पृथ्वी से लॉन्च हुआ था। यान चंद्रमा की ग्रैविटी में कैप्चर हो सके इसके लिए यान की स्पीड कम की गई। स्पीड कम करने के लिए इसरो वैज्ञानिकों ने यान के थ्रस्टर कुछ देर के लिए फायर किए। इसरो ने X पोस्ट में इसकी जानकारी दी।
इसरो ने X पोस्ट में लिखा, ‘MOX, ISTRAC, दिस इज चंद्रयान-3। मैं चंद्र गुरुत्वाकर्षण महसूस कर रहा हूं। चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हो गया है। अब 6 अगस्त 2023 को रात करीब 11 बजे चंद्रयान की ऑर्बिट को कम किया जाएगा।’ 23 अगस्त को लैंडिंग से पहले चंद्रयान 4 बार अपनी ऑर्बिट बदलेगा।
थ्रस्टर तब फायर किए जब ऑर्बिट में चंद्रमा के सबसे करीब था चंद्रयान
इसरो ने बताया कि पेरिल्यून में रेट्रो-बर्निंग का कमांड मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (MOX), ISTRAC, बेंगलुरु से दिया गया था।
- पेरिल्यून यानी वह पॉइंट जिस पर चंद्र कक्षा में एक यान चंद्रमा के सबसे करीब होता है।
- रेट्रो-बर्निंग यान के थ्रस्टर को अपोजिट डायरेक्शन में फायर करने को कहा जाता है।
- यान की स्पीड धीमी करने के लिए ओपोजिट डायरेक्शन में थ्रस्टर फायर किए जाते हैं।
1 अगस्त को चंद्रयान-3 पृथ्वी की कक्षा से चांद के लिए निकला था
1 अगस्त को रात करीब 12 बजे चंद्रयान-3 को पृथ्वी की ऑर्बिट से चांद की तरफ भेजा गया था। इसे ट्रांसलूनर इंजेक्शन कहा जाता है। इससे पहले चंद्रयान ऐसी अंडाकार कक्षा में घूम रहा था, जिसकी पृथ्वी से सबसे कम दूरी 236 km और सबसे ज्यादा दूरी 1 लाख 27 हजार 603 किलोमीटर थी। ये 23 अगस्त को चंद्रमा पर लैंड करेगा।
ट्रांसलूनर इंजेक्शन के लिए इंजन को कुछ देर के लिए चालू किया था
ट्रांसलूनर इंजेक्शन के लिए बेंगलुरु में मौजूद इसरो के हेडक्वार्टर से वैज्ञानिकों ने चंद्रयान का इंजन कुछ देर के लिए चालू किया था। इंजन फायरिंग तब की गई जब चंद्रयान पृथ्वी से 236 km की दूरी पर था। इसरो ने कहा- चंद्रयान-3 पृथ्वी के चारों ओर अपनी परिक्रमा पूरी कर चंद्रमा की ओर बढ़ रहा है। इसरो ने अंतरिक्ष यान को ट्रांसलूनर कक्षा में स्थापित कर दिया है।
चंद्रमा पर 14 दिन तक प्रयोग करेंगे लैंडर और रोवर
चंद्रयान-3 में लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं। लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे और 14 दिन तक वहां प्रयोग करेंगे। प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स का अध्ययन करेगा। इस मिशन के जरिए इसरो पता लगाएगा कि चांद की सतह पर भूकंप कैसे आते हैं। यह चंद्रमा की मिट्टी का अध्ययन भी करेगा।
अब तक का चंद्रयान-3 का सफर…
- 14 जुलाई को चंद्रयान-3 को 170 km x 36,500 km के ऑर्बिट में छोड़ा गया।
- 15 जुलाई को पहली बार ऑर्बिट बढ़ाकर 41,762 km x 173 km किया गया।
- 17 जुलाई को दूसरी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 41,603 km x 226 km किया गया।
- 18 जुलाई को तीसरी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 5,1400 km x 228 km किया गया।
- 20 जुलाई को चौथी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 71,351 x 233 Km किया गया।
- 25 जुलाई को पांचवी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 1.27,603 km x 236 km किया गया।
- 31 जुलाई और 1 अगस्त की मध्यरात्रि पृथ्वी की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की बढ़ गया।
- 5 अगस्त को चंद्रयान-3 ने अपनी स्पीड कम कर चंद्रयान की कक्षा में प्रवेश किया।
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