केमिकल मुक्त खाद्यान्न बहुत जरूरी : डॉ. राज नेहरू 

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श्रीनारद मीडिया, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक, पलवल ( हरियाणा):

श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के स्किल फैकल्टी ऑफ एग्रीकल्चर के तत्वावधान में हुआ सिम्पोजियम का आयोजन।

पलवल : श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर राज नेहरू ने कहा कि केमिकल मुक्त खाद्यान्न बहुत जरूरी हैं। देश में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन हो रहा है, लेकिन भोजन को खाद और कीटनाशकों की भरमार से बचाना बड़ी चुनौती है। इसलिए देश में 10 हजार से भी ज्यादा स्टार्ट अप एग्रीटेक पर आधारित हैं। वह बृहस्पतिवार को स्किल फैकल्टी ऑफ एग्रीकल्चर द्वारा ‘कृषि एवं उसके विविध आयाम’ विषय पर आयोजित सिंपोजियम में मुख्यातिथि के रूप में बोल रहे थे।
कुलपति डॉ. राज नेहरू ने कृषि संकाय के विद्यार्थियों से गुणवत्तापरक कृषि के व्यवसाय में आने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि कृषि के क्षेत्र में आपार संभावनाएं हैं।

 

विकसित देशों के सामने बड़ी चुनौती। उनके पास कृषि में काम करने वाले लोग नहीं है। डॉ. राज नेहरू ने कहा कि हमारे देश में कृषि को एक दायित्व के रूप में माना जाता था। प्रकृति को नुकसान पहुंचाए बिना अन्न उगाएं। हमारा देश इसलिए सोने की चिड़िया कहलाया कि यहां बहुत अन्न पैदा होते थे और बाहर से भी लोग खरीदने आते थे। डॉ. राज नेहरू ने कहा कि आक्रांताओं ने हमारे कृषि के सिस्टम को बिगाड़ा। किसानों पर टैक्स थोपे गए।

हम उत्पादन करते थे, लेकिन ब्रिटिश सरकार उसे बाहर भेजती थी। लाल बहादुर शास्त्री जी ने अन्न क्रांति को बढ़ावा दिया। किंतु आज केमिकल और खादों का बहुत अधिक प्रयोग हो रहा है। किसान पारंपरिक व्यवथा से मॉडल व्यवस्था की ओर चले गए। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने कहा कि जो हम खाते हैं, बहुत से केमिकल हम अपने अंदर ले लेते हैं। इससे बीमारियां होती हैं। यह बड़ी त्रासदी बनी हुई है। एक दशक में सुरक्षित खाद्यान्न की ओर रुझान बढ़ा है। देश में कृषि आधारित स्टार्ट अप बढ़ रहे हैं। विद्यार्थी गुणवत्तापरक अन्न उत्पादन के क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं।

अकादमिक अधिष्ठाता प्रोफेसर आर एस राठौड़ ने कहा कि भारत की जनसंख्या दुनिया में सबसे ज्यादा हो गई है। 2070 तक इसके दोगुना होने का अनुमान है। इसलिए हमें अच्छे और अधिक अन्न की आवश्यकता होगी। इसके लिए तैयारियां अभी से जरूरी हैं।
इससे पूर्व स्किल फैकल्टी ऑफ एग्रीकल्चर के डीन प्रोफेसर जॉय कुरियाकोजे ने सिंपोजियम के उद्देश्यों और उपयोगिता पर प्रकाश डाला।

विशेषज्ञ के रूप में डॉ. आरपी मिश्रा, डॉ. अरुण कुमार, डॉ. रेमंड माइल्स, डॉ. विजय अग्रवाल और अरब खान ने अपने वक्तव्य प्रस्तुत किए।
एसिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. हरीश कुमार ने अतिथियों का आभार ज्ञापित किया। इस अवसर पर प्रोफेसर एके वाटल, डॉ. तेंजेद्र सिंह, डॉ. विकास राठी, डॉ. गीता, डॉ. स्मिता श्रीवास्तव, हेमंत त्रिपाठी, पुष्पेंद्र और ब्रह्मजीत के अलावा काफी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे।

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