छपरा के प्रसिद्ध कपड़ा व्यवसाई सह समाजसेवी की पुत्री ने पहले ही प्रयास में नीट की परीक्षा में 720 में 691 अंको के साथ सारण में पाई सर्वोच्च स्थान:
माहिया माहेश्वरी ने सारण जिले में सर्वोत्तम अंक लाकर घर परिवार समाज सहित पूरे जिले का किया नाम रौशन:
दादा के सपनों को पोती ने किया साकार: सुलेखा माहेश्वरी
श्रीनारद मीडिया, छपरा, (बिहार):
सारण प्रतिभावान युवाओं की भूमि रही है और समय समय पर यहां के युवक युवतियों द्वारा इसे साबित भी किया जाता रहा है वही किसी मां बाप के अधूरे सपने को पूरा करने जब उन्ही युवाओं के बीच से कोई आगे आता है तो इसकी चर्चा होना लाजमी है। छपरा शहर के श्रीनंदन पथ निवासी सह प्रसिद्ध कपड़ा व्यवसाई व समाजसेवी लखन लाल महेश्वरी की पोती और पिता राजीव महेश्वरी एवं माता सुलेखा महेश्वरी की सुपुत्री माहिया महेश्वरी ने पूरे भारत मे नीट के परीक्षा में कुल 2096202 उम्मीदवारों में 660वां और सारण जिले में प्रथम रैंक प्राप्त किया है जो अपने आप में माहिया महेश्वरी द्वारा एक इतिहास रचा गया है पहली ही बार में उसने सफलता हासिल किया है।
माहिया माहेश्वरी ने सारण जिले में सर्वोत्तम अंक लाकर घर परिवार समाज सहित पूरे जिले का किया नाम रौशन:
वैसे तो जिले में दर्जनों होनहार बच्चों द्वारा देश की प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश जांच परीक्षा में सफलता प्राप्त कर जिले का मान बढ़ाया गया है इसी बीच की माहिया माहेश्वरी द्वारा सारण जिले में सर्वोत्तम अंक लाकर अपने घर परिवार समाज सहित पूरे जिले का नाम रौशन किया है। उनकी इस सफलता से घर परिवार में खुशी का माहौल है क्योंकि माहिया द्वारा अपने पिता ही नही बल्कि अपने दादा के अधूरे सपने को पूरा कर दिखाया है। माहिया महेश्वरी छपरा शहर के ब्रज किशोर किंडर गार्टेन से दसवीं पास करने के बाद दिल्ली पब्लिक स्कूल रांची से इंटर की परीक्षा पास की उसके साथ ही रांची के ही बायोम इंस्टीट्यूट से मेडिकल की तैयारी की और आज डॉक्टर बनने का राह पकड़ चुकी है।
दादा के सपनों को पोती ने किया साकार: सुलेखा माहेश्वरी
माहिया के बारे मे उसकी मां सुलेखा माहेश्वरी ने बताया कि हर व्यक्ति को अपने संतान में कोई फर्क नही समझना चाहिए, बल्कि गर्व करना चाहिए। क्या पता कब किसका भाग्य साथ दे और वो सफल हो जाएं। माहिया भी एक लड़की होते हुए पूरे परिवार को जो खुशी दी है उस खुशी के लिए उसके पिता, चाचा और दादा ने नही पूरा किया आज माहिया पर हम सभी को गर्व है कि उसने अपने दादा जी के डॉक्टर बनकर समाजसेवा करने के अधूरे सपने को आज पूरा करने का राह प्रबल कर दिया है।
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