छठ महापर्व :  त्रेतायुग युग से ही चला आ रहा है महापर्व छ्ठ पूजा की परंपरा

छठ महापर्व :  त्रेतायुग युग से ही चला आ रहा है महापर्व छ्ठ पूजा की परंपरा
भगवान श्री राम , माता कुंती एवं द्रोपदी ने किया था इस आस्था का ब्रत

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श्रीनारद मीडिया, एम सावर्ण,  भगवानपुर हाट, सीवान (बिहार):

कार्तिक मास में मनाए जाने वाले लोक आस्था का महापर्व छ्ठ की महत्ता तो आज से ही
नहीं बल्कि त्रेतायुग में भी था । तभी तो भगवान श्री राम ने भी इस कठिन ब्रत को किया
था ।सूर्य उपासना के संदर्भ में आदि काल से ऐसे कई प्रमाण मौजूद है जो इस बात की ओर
संकेत देते है कि सूर्य उपासना का हमारे जीवन में कितना अधिक महत्व है ।

छ्ठ पर्व की महत्ता की चर्चा करते हुए क्षेत्र ही नहीं बल्कि कई प्रदेशों में ख्याति अर्जित किए
रामपुर कोठी निवासी आचार्य सर्वानंद उपाध्याय ने बताया कि सूर्य कुल में जन्मे भगवान श्री
राम रावण पर विजय हासिल करने के लिए सूर्य उपासना का ब्रत छ्ठ पूजा किया था । उन्होंने
बताया कि रामायण एवं महाभारत काल में कई ऐसे साक्ष्य मौजूद है । जिनसे इस बात का पता
चलता है कि उस काल में भी छ्ठ ब्रत की बड़ी महत्ता रही ।

 

आचार्य श्री उपाध्याय ने कहा कि जब राम रावण संग्राम का परिणाम नहीं निकलते देख देवतागण चिंतित हो गए और अदृश्य रूप
से महर्षि अगस्त को भगवान श्री राम के पास यह कहते भेजा कि संग्राम में सूर्य के छ नाम क्रमशः रश्मि मते नमः , सस त्रू घते नमः , देवासुर नमस्कृताय नमः , विवा स्ते नमः , भास्कराय
नमः एवं भूमेश्वरराय नमः का जाप करे ।परिणामस्वरूप भगवान सूर्य के आशीर्वाद से श्री राम
ने उक्त मन्त्रों के जाप करते हुए रावण से महा संग्राम लडी एवं विजय हासिल की । उन्होंने बताया कि महाभारत काल में भी सूर्य उपासना का ब्रत करने से देवी कुंती को पराक्रमी पुत्र
कर्ण मिला था । वही कौरवों से अपमानित द्रोपदी ने सूर्य ब्रत करने का संकल्प लिया था ।

आचार्य श्री उपाध्याय ने चौथी शताब्दी का चर्चा करते हुए कहा कि राजा विशालदेव द्वारा निर्मित कोणार्क का सूर्य मंदिर सूर्य उपासना का ज्वलंत प्रमाण है । कहा जाता है कि समय सीमा पर मंदिर तैयार होते न देख भगवान सूर्य देव बालक रूप में प्रकट हो मंदिर निर्माण कराने में मदद की थी । लोक आस्था के इस महापर्व की महत्ता बताते हुए उन्होंने कहा कि मगध सम्राट अपने
पुत्र को कुष्ठ रोग से मुक्ति के लिए जीवन भर पत्नी संग छ्ठ ब्रत करने का संकल्प लिया था ।

 

भिक्षाटन कर आदि काल से है छ्ठ पूजा करने की परंपरा

श्रीनारद मीडिया, एम सावर्ण,  भगवानपुर हाट, सीवान (बिहार):

आस्था के इस पावन पर्व छ्ठ पूजा अमीर गरीब सभी को भिक्षाटन कर इस महापर्व को
करने की अनोखी परंपरा है । कहा जाता है कि भिक्षाटन कर छ्ठ पूजा करने से अभिमान
से मुक्ति मिलती है । आदि काल में भी महाभारत के समय कुंती के छ्ठ पूजा करने के लिए
पांडवो ने भिक्षाटन किया था । वैसे वर्तमान में आस्था वाले इस परंपरा का स्वरूप बदल गया
है । छ्ठ पूजा के नाम पर लोग अब पेट पालने के लिए भिक्षाटन करते देखे जा रहे है ।

भगवानपुर हाट प्रखंड के रामपुर कोठी निवासी आचार्य सर्वानंद उपाध्याय के अनुसार छ्ठ
ब्रत का अनुष्ठान एक विराट यज्ञ है क्योंकि इसमें यज्ञ के सभी तत्व प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष
रूप से विद्यमान है । उन्होंने कहा कि एक यह भी मन्यता है कि मनोकामना पूरी होने पर भिक्षाटन कर छ्ठ ब्रत करना है । कहा जाता है कि लोक आस्था के इस महान पर्व को करने
वाले सभी ब्रती किसी न किसी रूप में भिक्षाटन जरूर करते है और भीख में मिली समाग्री से
छ्ठ ब्रत करते है । सारीप ट्टी गाॅ व की ब्रती महिला मीरा देवी , वीणा देवी बताती है कि यह एक
ऐसा महान पर्व है । जिसको करने वाले को अपने समर्थवान होने का अभिमान त्याग कर इस कठिन ब्रत को करना पड़ता है ।

 

छठ पूजा में परदेसी यो के आगमन से गांव घर होने लगा गुलजार
स्वच्छता एकता का संदेश देता है छठ पूजा

श्रीनारद मीडिया, एम सावर्ण,  भगवानपुर हाट, सीवान (बिहार):

छ्ठ पूजा के अवसर पर प्रदेश से गांव आने वाले परदेसियों के आगमन से गां व , घर गुलजार
होने लगा है । ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी बाबुओं एवं उनके बच्चो के आगमन से गांव की रौनक
बढ़ गई है । वहीं परदेसियों द्वारा अपने अपने घरों की सफाई एवं रंग रोगन कराने , सड़कों
की सफाई कराने से घरों एवं सड़कों की सूरत बदल गई है । कई ऐसे घर है जो वर्षों से बन्द
पड़े थे । उनमें रौनक लौट गए है । प्रदेश से आए लोगों से देश प्रदेश की चर्चा करने उनके दरवाजे
पर पड़ोस के लोग जमा हो जाते दिख रहे है ।

परदेसियों के कारण स्थानीय बाजार में भी रौनक
बढ़ गई है । कोई गुजरात के अहमदाबाद , तो कोई दिल्ली , कोई कोलकता , कोई हरियाणा
से छ्ठ ब्रत करने गांव आए हुए है । लोक आस्था के इस पर्व पर विदेशों से भी लोग गांव आए हुए
है । छठ पूजा देता है स्वच्छता का संदेश । इस पावन अवसर पर सभी जगह सफाई का महत्त्व दिया जा रहा है ।

अहमदाबाद से अपने मायके सारी पट्टी अपने पूरे परिवार के साथ पहली बार छठ व्रत करने पहुंची ज्योति सिन्हा बताती है कि वह पहली बार सूर्य उपासना का व्रत छठ पूजा करने अपने मायके आई है । उन्होंने कहा कि काफी अच्छा लग रहा है । आस्था के इस व्रत को ले वह काफी सजग है ।

 

 

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