मशरक प्रखंड में छठ व्रतियों ने उगते सूर्य को दिया अर्घ्य, चार दिवसीय व्रत संपन्न
श्रीनारद मीडिया, विक्की बाबा, मशरक, सारण (बिहार):
मशरक (सारण) लोक आस्था और सू्र्य उपासना के पर्व चैती छठ के चौथे दिन सोमबारको उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया गया। शाम के समय डूबते भगवान सूरज को नदियों के किनारे जल चढ़ाया गया। वही कोरोना संक्रमण के चलते अधिकांश लोगों ने घरों पर ही भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया। मशरक प्रखंड के सतीवार तीर छठ घाट सहित प्रखंड के विभिन्न गांवों में पोखर तालाबों के तट के किनारे सैकड़ों श्रद्धालुओं ने रविवार को अस्त होने वाले भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया और पूजा-अर्चना की।वही उप प्रमुख साहेब हुसैन उर्फ टुनटुन, पूर्वी मुखिया प्रतिनिधि अमर सिंह, बहरौली मुखिया अजीत सिंह, सोनौली मुखिया संतोष परमार, मुखिया प्रत्याशी व राजद अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रखंड अध्यक्ष इम्तेयाज खान उर्फ चुन्नू बाबू,डुमरसन मुखिया प्रत्याशी अकबर अली,बंगरा मुखिया प्रत्याशी रंजन कुमार सिंह, चन्द्रशेखर सिंह,करणी सेना के सरोज कुमार सिंह, कवलपुरा मुखिया प्रत्याशी दिनेश कुमार सिंह ने छठ घाटों पर पहुंच छठी मईया से आशीर्वाद मांगा। चार दिनों तक चलने वाले इस अनुष्ठान के अंतिम दिन सोमवार को व्रती सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे।लोक आस्था का महापर्व छठ नहाय खाय के बाद शनिवार को खरना पर्व का आयोजन किया गया। खरना के उपरांत छठ व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास की शुरुआत की। जिसमें सप्तमी सोमवार की सुबह उदयगामी सूर्य को अर्घ के बाद यह पर्व संपन्न होगा।खरना के दिन गुड़ और चावल से बने प्रसाद को तैयार करने में पवित्रता का पूरा ख्याल रखा जाता है। खरना का प्रसाद पारम्परिक तरीके से मिट्टी के नये चूल्हा पर मिट्टी या पीतल के बर्तन में आम की लकड़ी से तैयार किया जाता है। जिसमें गंगाजल, चावल, दुध एवं गुड़ से खीर बनाया जाता है। सायं में छठ व्रती केला के पत्ते पर रोटी, खरना का खीर एवं फल षष्ठी माता को नैवेद्य चढाते हैंं।तत्पश्चात छठ व्रती के द्वारा प्रसाद ग्रहण करने के बाद सभी लोगों के बीच प्रसाद वितरण किया जाता है।रविवार को षष्ठी के दिन सायंकालीन अस्तांचलगामी सुर्य को अर्घ्य दिया गया। वही सोमवार को उदयगामी सूर्य को अर्घ्य के साथ छठ पर्व का समापन किया जाएगा। छठ व्रत करने की परम्परा ऋगवैदिक काल से चला आ रहा है। यह व्रत सौभाग्य आरोग्य एवं संतान कामना के लिए किया जाता है । मान्यता है कि छठ पर्व में सूर्योपासना करने से षष्ठी छठ माता प्रसन्न होती है।जिससे पूरे परिवार में सुख शांति धन धान्य से परिपूर्ण करती है।हालांकि इस बार कोरोना संक्रमण के कारण नदी तालाब पोखर छठ घाटों पर अर्घ्य देने की पाबंदी है। श्रद्धालुओं द्वारा अपने घरों में भी छठ घाटों का निर्माण किया जा रहा है। व्रतियों द्वारा स्वच्छता का अत्यधिक ख्याल रखते हुए पर्व के लिए तैयार होने वाली सामग्रियों में गेहूं को साफकर सुखाया जा रहा है।ज्ञात हो कि वर्ष में दो बार छठ पर्व का आयोजन किया जाता है। जिसमें कार्तिक माह में मनाया जाने वाले छठ को बड़े व्यापक पैमाने पर मनाया जाता है। लेकिन चैती छठ मनाने वालो की संख्या कम रहता है । शहर में चैती छठ का आयोजन शंकर चौक मंदिर परिसर स्थित पोखरों में आयोजन किया जाता है। लेकिन इस बार प्रशासन ने अपने अपने घरो में रहकर छठ पर्व मनाने की अपील की है।
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