चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने पांच बड़े मामलों में निर्णय सुरक्षित रखा है

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) को अल्पसंख्यक संस्थान माना जाएगा या नहीं, इसका जवाब इसी सप्ताह मिल जाएगा। सुप्रीम कोर्ट एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे और उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड की वैधानिकता सहित पांच बड़े मामलों में इसी सप्ताह फैसला सुना सकता है। इन मामलों की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने की थी और फैसला सुरक्षित है।
जस्टिस चंद्रचूड़ 10 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उनके पास अब कुछ ही कार्य दिवस हैं। ऐसे में उनकी सेवानिवृत्ति से पहले इन मामलों में फैसला आ जाएगा। जस्टिस चंद्रचूड़ अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में फैसला देने वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के सेवानिवृत्त होने वाले आखिरी न्यायाधीश हैं।
यह संयोग ही है कि उनकी सेवानिवृत्ति से एक दिन पहले नौ नवंबर को अयोध्या पर आए फैसले को पांच वर्ष पूरे हो जाएंगे। गत जुलाई में ही जस्टिस चंद्रचूड़ अयोध्या गए थे और रामलला का दर्शन किया था। शायद वह पहले प्रधान न्यायाधीश हैं जो रामलला के दर्शन करने अयोध्या गए।

सेवानिवृत्ति से पहले पांच बड़े मामलों में फैसला सुनाएंगे चीफ जस्टिस

सेवानिवृत्ति से पहले जस्टिस चंद्रचूड़ जिन पांच बड़े मामलों में फैसला सुनाएंगे वे मामले आम जनता से जुड़े और सामाजिक व राजनीतिक असर डालने वाले होंगे।

  1. इसमें सबसे अहम मामला एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे का है। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय संविधान पीठ ने एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे पर सुनवाई कर एक फरवरी 2024 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट का फैसला इस मुद्दे को तय करेगा कि एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान माना जाएगा कि नहीं।
  2. दूसरा अहम मामला यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट की संवैधानिकता का है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी के मदरसा एक्ट को असंवैधानिक घोषित कर दिया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट मदरसा एक्ट की संवैधानिकता पर फैसला देगा।
  3. तीसरा मामला लाइट मोटर व्हिकल (एलएमवी) के लाइसेंस से जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट फैसला देगा कि लाइट मोटर वाहन (एलएमवी) चलाने का लाइसेंस रखने वाले व्यक्ति को 7,500 किलोग्राम तक के वजन वाला ट्रांसपोर्ट व्हीकल चलाने का अधिकार है कि नहीं। इस फैसले का असर हजारों एलएमवी लाइसेंस धारक ट्रांसपोर्ट वाहन चलाने वाले ड्राइवरों पर पड़ेगा।
  4. चौथा बड़ा फैसला अधिग्रहित की गई निजी संपत्ति के पुनर्वितरण से जुड़ा है। चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ फैसला सुनाएगी कि क्या सरकार को निजी संपत्ति अधिग्रहित कर उसका पुनर्वितरण करने का अधिकार है।
  5. पांचवां फैसला इस मुद्दे पर आएगा कि क्या भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों और शर्तें में बदलाव किया जा सकता है। यह मामला राजस्थान हाई कोर्ट में अनुवादकों की नियुक्ति से उठा था।

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