जीएमसीएच स्थित एनआरसी में बच्चों को किया जाता है पोषित

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नवजात शिशुओं के मस्तिष्क और शारीरिक विकास के लिए गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार देना अतिआवश्यक:

कुपोषित बच्चों की लंबाई व वजन से मिलती हैं जानकारी: सीडीपीओ
विगत छः महीने से एनआरसी भेजने का प्रयास लाया रंग: महिला पर्यवेक्षिका
अतिकुपोषित बच्चों को पोषणयुक्त करने के उद्देश्य से लाया जाता है एनआरसी:

श्रीनारद मीडिया, पूर्णिया,(बिहार):


गर्भवती महिलाओं एवं शिशुओं के शुरुआती दिनों में बेहतर पोषण अत्यधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है। नवजात शिशुओं के मस्तिष्क और शारीरिक विकास के लिए इसे अतिआवश्यक माना जाता है। ताकि विटामिन, कैल्सियम, आयरन, वसा और कार्बोहाइड्रेट वाले पोषक तत्वों के साथ संतुलित आहार बच्चा व जच्चा को दिया जाए। कुपोषण के कारण बच्चे के शारीरिक व मानसिक विकास में रुकावट ही नहीं बल्कि मानसिक विकलांगता, जीआई ट्रैक्ट संक्रमण, एनीमिया और यहां तक कि मृत्यु भी होने की संभावना काफ़ी बढ़ जाती है। नवजात शिशुओं में होने वाले कुपोषण को दूर करने के लिए उसका समुचित उपचार करना जरुरी होता हैं लेकिन इसके पहले हमलोगों को मूल कारणों की पहचान करना भी अतिमहत्त्वपूर्ण हो जाता है। एक बार मूल कारण पता चल जाने के बाद, चिकित्सकों या डायटिशियन के द्वारा कुपोषण की समस्या को ठीक करने के लिए खाने के लिए सप्लीमेंट, फूड एवं संतुलित आहार में भोजन की सही मात्रा को शामिल कर अतिकुपोषित बच्चों में विशेष बदलाव लाने के लिए सुझाव दिया जाता है।

कुपोषित बच्चों की लंबाई व वजन से मिलती हैं जानकारी: सीडीपीओ
पुर्णिया ग्रामीण की सीडीपीओ ने गुंजन मौली ने बताया कि मेरे क्षेत्र की महिला पर्यवेक्षिका संगीता कुमारी सहित अन्य पर्यवेक्षिक द्वारा अपने-अपने क्षेत्रों में भ्रमण कर आंगनबाड़ी सेविकाओं को बच्चों में कुपोषित होने की जांच के लिए हमेशा जागरूक किया जाता है। ताकि कुपोषित नाम का कलंक जड़ से मिटाया जा सके। हालांकि इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविका एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से एएनएम के द्वारा नवजात शिशुओं की लंबाई एवं वजन की मापी की जाती है। नवजात शिशुओं में कुपोषण को निर्धारित करने के लिए मुख्य रूप से नैदानिक प्रक्रियाओं में हाथ के मध्य-ऊपरी व्यास का मापन किया जाता है। यदि मध्य-ऊपरी बांह की परिधि 110 मिमी. से नीचे है, तो यह आपके बच्चे में कुपोषण का एक स्पष्ट संकेत होता है। इसके अलावा बच्चों के खून की जांच भी कराई जाती है। जिसमें रक्त कोशिकाओं की गिनती, रक्त शर्करा, रक्त प्रोटीन या एल्बुमिन-स्तर के साथ ही अन्य प्रकार के खून की जांच कराने से बच्चों में कुपोषण की पहचान करने में मदद मिलती है।वहीं दूसरी ओर महिला पर्यवेक्षिका मनीषा कुमारी ने बताया नगर निगम क्षेत्र संख्या- 42 के बेलौरी पंचायत अंतर्गत रुई गोला निवासी पौदा राम एवं शांति देवी की पुत्री 16 महीने की निहारिका कुमारी एवं लगभग 6 वर्षीय पुत्र जीतू कुमार जन्म के समय से ही कुपोषण का शिकार हो गया था। स्थानीय आंगनबाड़ी सेविका सुनीता कुमारी के द्वारा इन दोनों बच्चों को एनआरसी पहुंचाया गया है। उम्र के हिसाब से इन दोनों का वजन नहीं था जिस कारण कुपोषित माना गया था। अब इन बच्चों को जल्द से जल्द पोषित कर वापस भेज दिया जाएगा।

विगत छः महीने से एनआरसी भेजने का प्रयास लाया रंग: महिला पर्यवेक्षिका
पूर्णिया पूर्व प्रखंड अंतर्गत आईसीडीएस की महिला पर्यवेक्षिका संगीता कुमारी ने बताया कि चांदी पंचायत के कमालपुर रानीपतरा गांव स्थित आंगनबाड़ी केंद्र संख्या-28 निवासी श्याम लाल मुर्मू के लगभग 30 महीने का मासूम शिवलाल मुर्मू जन्म के समय से ही कुपोषण का शिकार हो गया था। जिसको लेकर आंगनबाड़ी सेविका इशरत परवीन के द्वारा लगातार प्रोत्साहित एवं सलाह दी जाती थी कि एनआरसी में बच्चा को भेजवा कर ठीक करवा देते हैं लेकिन समझने को तैयार ही नहीं हो रहा था। विगत छः महीने से सेविका के द्वारा सलाह दी जा रही थी। जब भी समझाया जाता उसके बाद झारखंड के साहेबगंज अपने संबंधी के यहां भाग कर चला जाता था। काफ़ी समझाने बुझाने के बाद तैयार हुआ तो हमलोगों के द्वारा श्याम लाल मुर्मु की पत्नी एवं 30 महीने के मासूम शिवलाल मुर्मू को सदर अस्पताल स्थित एनआरसी में भिजवाया गया। जहां पर उसको पोषित करने के लिए डायटिशियन की देखरेख रखा गया है।

अतिकुपोषित बच्चों को पोषणयुक्त करने के उद्देश्य से लाया जाता है एनआरसी:
राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पताल परिसर स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र की डायटिशियन स्मृति राज ने बताया कि ज़िले के सभी बच्चों का टीकाकरण नियमित रूप से स्वास्थ्य विभाग की ओर से मिले दिशा-निर्देश के आलोक में कराया जाता है। टीकाकरण के समय नवजात शिशुओं का वजन एवं लंबाई का भी परीक्षण किया जाता है। उम्र के साथ बच्चों की लंबाई एवं वजन नहीं बढ़ने पर उन्हें कुपोषित बच्चों की श्रेणी में रखा जाता है। जिसे स्वास्थ्य विभाग, आईसीडीएस के अलावा अन्य सहयोगी संस्थाओं द्वारा कुपोषित बच्चों के परिजनों को सही सलाह के साथ मार्गदर्शन दिया जाता हैं, ताकि उसका बच्चा कुपोषण से मुक्त होकर सामान्य बच्चे की तरह रह सके। अतिकुपोषित बच्चों को पोषणयुक्त करने के उद्देश्य से उसे सदर अस्पताल स्थित एनआरसी लाया जाता है। जहां पर कुपोषण से बचाव के लिए खाद्य पदार्थों जैसे:- फल और हरि सब्जियां, दूध, पनीर, दही, डेयरी उत्पाद, चावल, आलू, अनाज, मांस, मछली, अंडे, बींस और वसा तेल, नट बीज पर्याप्त मात्रा में भोज्य पदार्थ के रूप में दिया जाता हैं। इसके बावजूद कुपोषित बच्चे के परिजनों को लगभग 250 रुपये प्रतिदिन दिए जाने का प्रावधान है। इसके साथ ही रहना, खाना एवं बेहतर उपचार बिल्कुल मुक्त में दिया जाता है।

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