Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
डांस थेरेपी से बच्चे-किशोर-युवा खुद को बनाएं मजबूत. - श्रीनारद मीडिया

डांस थेरेपी से बच्चे-किशोर-युवा खुद को बनाएं मजबूत.

डांस थेरेपी से बच्चे-किशोर-युवा खुद को बनाएं मजबूत.

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस 2021

अमेरिका में हुए एक हालिया सर्वे के अनुसार, स्मार्टफोन की लत छोटे बच्चों के गुस्से को बढ़ा रही है। कोरोना काल में बच्चों का स्क्रीन टाइम वैसे ही बढ़ गया है। स्कूल की पढ़ाई के अलावा भी उनका काफी समय ऑनलाइन वीडियो देखने या गेम खेलने में जाता है। इससे आंखों पर तो असर पड़ ही रहा, उनमें चिड़चिड़पने आदि की शिकायत भी हो रही हैं।

ऐसे में नृत्य न सिर्फ बच्चों को शारीरिक, बल्कि मानसिक रूप से भी स्वस्थ रख सकता है। इससे उनमें एक अनुशासन आता है। माइंड-बॉडी में कनेक्शन बनता है। क्रिएटिविटी बढ़ती है। बच्चे अपने भीतर छिपी प्रतिभा को पहचान पाते हैं। यही वजह है कि इन दिनों एक स्किल के तौर पर नृत्य सीखने के साथ उसे थेरेपी के रूप में भी लिया जा रहा है। बड़ी संख्या में बच्चे-किशोर-युवा ‘डांस मूवमेंट थेरेपी’ अभियान का हिस्सा बन रहे हैं।

कोरियोग्राफर, डांस थेरेपिस्ट एवं ‘क्रिएटिव मूवमेंट थेरेपी एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ की सह-संस्थापक रितु जैन बीते कई वर्षों से किशोरों के साथ काम कर रही हैं। इसके तहत वे क्रिएटिव मूवमेंट के जरिये उन्हें खुद को तलाश करना, अपने विचारों को अभिव्यक्त करना, दूसरों से संवाद करना सिखाती हैं। वे अमेरिका के लेसले यूनिवर्सिटी से एक्सप्रेसिव थेरेपीज में पीएचडी भी कर रही हैं।

रितु कहती हैं कि डांस में वह खूबी है कि वह व्यक्ति को नई ऊर्जा एवं उम्मीदों से भर देता है। इसलिए जब कोविड-19 के दस्तक दी, तो इन्होंने घर में बंद लोगों के लिए कुछ करने का फैसला किया। इसके बाद शुरुआत हुई ऑनलाइन थेरेपेटिक सेशंस, ‘मूवमेंट ऑन वीकेंड’ (एमओडब्ल्यू) की। कोई भी इच्छुक व्यक्ति इस सत्र को मुफ्त में ज्वाइन कर सकता था। वह कहती हैं, ‘हमने बहुत आसान सा एक प्रोग्राम तैयार किया, जिसमें कोई भी इस मुश्किल घड़ी में सेल्फ केयर के बारे में जान सकता है। हमने दिव्यांग बच्चों एवं बुजुर्गों के लिए भी विशेष सत्र आयोजित किए।

इन सत्रों की ये विशेषता होती है कि बच्चे अपने मन की बात साझा कर पाते हैं। वे खुद को एक्सप्लोर करने के लिए प्रेरित होते हैं। उनमें कॉन्फिडेंस आता है। वे सशक्त महसूस करते हैं।‘ रितु के अनुसार, क्रिएटिव मूवमेंट थेरेपी, जिसे डांस मूवमेंट थेरेपी भी कहते हैं, इसमें शरीर के मूवमेंट के साथ व्यक्ति के शारीरिक, भावनात्मक, कॉग्निटिव एवं सामाजिकता पर फोकस किया जाता है।

उससे होने वाली अनुभूति से इंसान मन से सुकून महसूस करता है। इसमें कोई तकनीकी डांस स्टेप नहीं होता, बल्कि डांस थेरेपिस्ट भारतीय शास्त्रीय नृत्यों एवं लोक नृत्यों से युक्त क्रियाओं का समावेश होता है। दिल्ली की कथक नृत्यांगना अंशिता पुरी की मानें, तो डांस न सिर्फ सकारात्मकता का संचार करता है, बल्कि यह मन को एकाग्र भी करता है। तनाव से दूर रखता है। तभी तो कोरोना काल में जब मैंने ऑनलाइन नृत्य की कक्षाएं लेनी शुरू की, तो उम्मीद के विपरीत भारत के अलावा दुनिया के विभिन्न देशों से बच्चों एवं युवाओं ने उसमें रुचि दिखायी। उनका कहना है कि पहले मैं सिर्फ शहर के बच्चों-युवाओं को ही कथक सिखा पाती थी। अब केरल सहित विभिन्न राज्यों एवं दूसरे देशों के बच्चे भी इस नृत्य को सीखने के लिए आगे आ रहे हैं।

यह भी पढ़े…

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!