चीन की BRI परियोजना से भारत को सामरिक चुनौती है,कैसे?

चीन की BRI परियोजना से भारत को सामरिक चुनौती है,कैसे?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्‍क

दक्षिण एशिया में कई मुल्‍कों में आए आर्थिक संकट की आंच चीन के बेल्‍ट एंड रोड प्रोजेक्‍ट तक पहुंच रही है। यही कारण है कि कई देशों में चीन के इस प्रोजेक्‍ट पर काम रुक गया है। ऐसे में चीन की यह परियोजना कमजोर पड़ रही है। उधर, अमेरिका की भी चीन की इस परियोजना पर पैनी नजर है। आइए जानते हैं कि चीन की यह महत्‍वकांक्षी परियोजना क्‍या है। क्‍या इस परियोजना से चीन की साख को धक्‍का लगा है। अमेरिका इस क्षेत्र में चीन को कैसे टक्‍कर दे रहा है। इसके साथ यह भी जानेंगे कि भारत इस परियोजना में क्‍यों नहीं शामिल है। भारत इस परियोजना का विरोध क्‍यों करता है।

भारत ने इस परियोजना क्‍यों किया विरोध

1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि भारत प्रत्यक्ष रूप से BRI परियोजना में शामिल नहीं है। भारत ने इस चीनी परियोजना का शुरू से विरोध किया है। दरअसल, इस परियोजना का एक भाग पाकिस्‍तान के कब्‍जे वाले भारतीय क्षेत्र से होकर गुजरता है। यह भारत की संप्रभुता के लिए खतरा है।

इसके अलावा इस योजना से भारत की सामरिक चुनौतियां भी बढ़ेंगी। इस परियोजना के मार्फत चीन, भारत को घेरने का प्रयास कर रहा है। ऐसे में यदि इस परियोजना का काम रुकता है तो भारत के प्रति उसकी स्ट्रिंग आफ पर्ल की नीति को गहरा धक्का पहुंचेगा।

2- दूसरे, भारत को यह भी चिंता सता रही है कि यदि भारत के पड़ोसी मुल्‍क चीन के ऋण (श्रीलंका, पाकिस्तान बांग्लादेश, नेपाल) चुकाने में विफल रहे तो चीन इन देशों को अपना उपनिवेश बना सकता है, जो सीधे तौर पर भारत के सामरिक और रणनीतिक हितों को चुनौती देगा। हाल के दिनों में जिस तरह से पड़ोसी मुल्‍कों में तंगी आई उसके बाद से यह सवाल और भी सटीक लगता है। इसके अलावा श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह में चीनी पोत की दस्‍तक ने भारत की चिंता को बल दिया है।

अमेरिका दे रहा है कड़ी टक्‍कर

1- चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को टक्‍कर देने के लिए अमेरिका भी ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलेपमेंट में अपनी भूमिका को बढ़ाने का इच्‍छुक है। जी-7 की बैठक में अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने विकसित देशों के बीच इन्फ्रास्ट्रक्चर की खाई को पाटने के लिए एक गेम चेंजिंग प्रोजेक्ट में 600 बिलियन डालर के निवेश की घोषणा की थी।

खास बात यह है कि इस योजना में 200 बिलियन डालर का निवेश अकेले अमेरिका कर रहा है। इस महीने अमेरिका की उप विदेश मंत्री वेंडी आर शर्मन ने दक्षिण प्रशांत क्षेत्र का दौरा किया और द्वीपीय देशों के लिए समर्थन बढ़ाने के लिए एक नई साझेदारी को बढ़ावा दिया।

2- इसके तहत अमेरिका ने अफ्रीका के लिए एक योजना की घोषणा की है जिसे सब-सहारा अफ्रीका स्ट्रेटेजी नाम दिया गया है। एक ओर जब अमेरिका चीन को हराने के लिए दुनिया के अलग-अलग कोनों में पैसा झोंकने के लिए तैयार है, तब चीन की महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट खुद कई तरह की चुनौतियों से जूझ रहा है। दुनिया के कई देशों में प्रभावी साबित होने के बाद भी बेल्ट एंड रोड अब ड्रैगन के लिए सिरदर्द बन गया है। सहयोगी देशों में फंड की कमी और राजनीतिक अस्थिरता के चलते यह प्रोजेक्ट अधर में लटका हुआ है।

 क्या है BRI परियोजना

चीन द्वारा प्रस्तावित एक महत्त्वाकांक्षी आधारभूत ढांचा विकास एवं संपर्क परियोजना है। इसका लक्ष्य चीन को सड़क, रेल एवं जलमार्गों के माध्यम से यूरोप, अफ्रीका और एशिया से जोड़ना है। चीन की इस परियोजना की परिकल्पना वर्ष 2013 में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफ‍िंग ने की थी।

हालांकि, चीन इस बात से इन्‍कार करता है, लेकिन इसका छिपा हुआ मकसद वैश्विक स्तर पर अपना भू-राजनीतिक प्रभुत्व कायम करना है। वर्ष 2016 से यह परियोजना को बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के नाम से जाना जाता है। BRI एशिया, यूरोप तथा अफ्रीका के बीच भूमि और समुद्र क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिये चीन द्वारा संचालित परियोजनाओं का एक समूह है। BRI को सिल्क रोड इकोनामिक बेल्ट और 21वीं सदी की सामुद्रिक सिल्क रोड के रूप में भी जाना जाता है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!