टीबी मुक्त पंचायत अभियान को लेकर सीएचओ को किया गया प्रशिक्षित

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टीबी उन्मूलन अभियान में टीबी चैंपियन की अहम भूमिका: सिविल सर्जन
टीबी मुक्त भारत निर्माण के सामुदायिक स्तर पर हर व्यक्ति का सहयोग जरूरी: सीडीओ

श्रीनारद मीडिया‚  पूर्णिया,(बिहार)

सशक्त पंचायत टीबी मुक्त पंचायत को शत- प्रतिशत लागू कराने को लेकर ग्रामीण स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने वाले आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन एएनएम स्कूल के सभागार में रीच इंडिया के सहयोग किया गया। इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी, ग़ैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ मिहिरकान्त झा, डीपीएस राजेश कुमार शर्मा, डीईओ अमित कुमार, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के डीपीसी धर्मेंद्र कुमार रस्तोगी, रीच इंडिया के जिला समन्वयक चंदन कुमार श्रीवास्तव, टीबी चैंपियन साक्षी गुप्ता, मनेंद्र कुमार, नसीम अख्तर, अली रजा सहित डगरुआ, के नगर, श्री नगर, बायसी, जलालगढ़ एवं कसबा के वरीय यक्ष्मा पर्यवेक्षक (एसटीएस) सहित सभी छः प्रखंडों के सीएचओ शामिल थे।

 

टीबी उन्मूलन अभियान में टीबी चैंपियन की अहम भूमिका: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपनों के भारत निर्माण के लिए हम सभी अपने-अपने स्तर से सहयोग करने में जुटे हुए हैं। भारत सरकार, राज्य सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग के अलावा टीबी मुक्त अभियान में अपनी महती भूमिका निभाने वाले सभी सहयोगी संस्थाओं के अधिकारी एवं कर्मियों का सहयोग लिया जा रहा है। क्योंकि टीबी मुक्त भारत निर्माण और राष्ट्रहित में बेहतर और सराहनीय कदम उठाया जा रहा है। जिले में वर्ष 2022 में 4910 मिले टीबी मरीजों का फॉलोअप सहित टीबी उन्मूलन में टीबी जैसी बीमारी से ठीक हुए टीबी चैंपियन की भूमिका काफ़ी सराहनीय रही है। वहीं जिले वासियों से अपील करता हूं कि ना सिर्फ ख़ुद बल्कि आपको अन्य कोई भी व्यक्ति जिनमें टीबी का लक्षण दिखे तो उन्हें तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र भेज कर या ले जाकर उनका इलाज कराने का प्रयास करना चाहिए।

 

टीबी मुक्त भारत निर्माण के सामुदायिक स्तर पर हर व्यक्ति का सहयोग जरूरी: सीडीओ
ग़ैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ मिहिरकान्त झा ने कहा कि भारत सरकार द्वारा वर्ष 2025 तक पूर्ण रूप से टीबी मुक्त भारत निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। इसको सार्थक रूप देने के लिए सामुदायिक स्तर पर प्रत्येक व्यक्ति की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए आपसी समन्वय जरूरी है। इसीलिए इस बीमारी को जड़ से मिटाने के लिए ना केवल खुद जागरूक होने की जरूरत है, बल्कि पूरे समुदाय को भी जागरूक करने की आवश्यकता है। टीबी बीमारी का इलाज़ संभव है लेकिन समय से पहले उसकी जांच अनिवार्य रूप से करानी होगी। इसके साथ ही चिकित्सकों द्वारा परामर्श के अनुसार नियमित रूप से दवा का सेवन भी अतिआवश्यक है। क्योंकि शुरुआती दौर में ही इलाज शुरू करने मात्र से ही इस बीमारी को आसानी से मिटाया जा सकता है। अनावश्यक रूप से परेशानियों का भी सामना नहीं करना पड़ेगा।

 

टीबी बीमारी के प्रारंभिक लक्षण-
-15 दिन या इससे अधिक दिनों तक लगातार खांसी या बुखार का रहना
-बलगम में खून आना
-एक माह या इससे अधिक दिनों तक सीने में दर्द रहना
-लगातार शरीर वजन कम होना एवं कमजोरी महसूस होना।

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