परिस्थितियों ने बनाया था शहाबुद्दीन को पहली बार विधायक, सत्ता का संरक्षण पाते ही बन गये डान
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
वैसे सभी जानते हैं कि हमारे जीवन में परिस्थितियों की बहुत बड़ी भूमिका होती है।परिस्थितियां मनुष्य को फर्श से अर्श पर तो अर्श से फर्श पर पहुंचा देती है।तभी तो कहा जाता है कि “अल्लाह मेहरबान तो गधा पहलवान”।
तो हम बात कर रहे 2015 में महागठबंधन की सरकार बनने और जमानत पर बाहर आए सिवान के पूर्व सांसद मो• शहाबुद्दीन के उस जुमले की जो 10 सितंबर 2016 को दिया गया था। जिसमें यह कहा गया कि “नीतीश कुमार परिस्थितियों के सीएम हैं।” यह जुमला काफी प्रचलित हुआ इनके समर्थकों द्वारा.. तो आज आपको यह जानना जरूरी है कि..
बात_1990 की है।जीरादेई विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से सिवान जिले के पचरूखी थाना क्षेत्र (प्रखंड भी)के सहलौर गांव के मुखिया स्व • ध्रुवशंकर सिंह भाजपा से एवं स्व• डा •त्रिभुवन सिंह कांग्रेस के उम्मीदवार थे।जेल में बंद मो • शहाबुद्दीन सहित और भी निर्दलीय उम्मीदवार थे। जीरादेई विधानसभा में मुख्य तौर पर कांग्रेस और भाजपा में आमने-सामने की लड़ाई थी।बिगुल बज चुका था।चुनाव प्रचार जोरों पर था।उस समय मो• शहाबुद्दीन को कोई नहीं जानता था।
तत्समय जीरादेई विधानसभा क्षेत्र में पचरूखी प्रखंड तथा हुसैनगंज प्रखंड के कुछ हिस्से थे।पचरूखी प्रखंड में हमेशा से वोट का प्रतिशत कम रहने का ट्रेंड था।क्योंकि आम तौर पर इधर बूथ कब्जा नहीं हो पाता था।लेकिन हुसैनगंज की तरफ शांतिपूर्वक 90-92% तक पोलिंग होती थी।मेरा आज भी मानना है कि वोटर लिस्ट की रियल पोलिंग 70% से ज्यादा कभी भी नहीं हो सकती है।खैर चुनावी प्रचार कांग्रेस और भाजपा के बीच ही टिका रहा।चुनाव हुए और सभी मतगणना का इंतजार करने लगे।
मतगणना प्रारंभ हुआ।आज के दौर की अपेक्षा तब मतगणना रात तक जारी रहता था।रिजल्ट दूसरे-तीसरे दिन तक आता था।सभी उम्मीदवारों के मतगणना एजेंट मतगणना के समय जमे हुए थे।रात्रि का समय था।गिनती चल रही थी।कांग्रेस के उम्मीदवार डा• त्रिभुवन सिंह को लगभग दो हजार विजयी घोषित कर दिया गया था। प्रमाण पत्र देने की तैयारी चल रही थी।कांग्रेस के समर्थक गाजे-बाजे के साथ नाचने लगे थे।भाजपा के उम्मीदवार के समर्थक मायूस थे।क्योंकि ध्रुवशंकर सिंह के लगभग सात हजार वोट बंट गये थे।कुल मिलाकर दो हजार के आस पास के वोटों से यह हारकर दूसरे स्थान पर घोषित किए गये थे।हालांकि इनके समर्थक मतगणना स्थल पर बहुत बड़ी संख्या में थे।तभी भाजपा के उम्मीदवार ध्रुवशंकरसिंह ने मतगणना स्थल पर मो• शहाबुद्दीन के गिने-चुने मतगणना एजेंट जो कि बच गये थे से कहा कि वास्तविक रूप में मो•शहाबुद्दीन जीत चुके हैं।अगर आपलोगों द्वारा पुनर्मतगणना करा दी जाए तो निश्चित तौर पर मो• शहाबुद्दीन विजयी होंगे।अब बारी मो• शहाबुद्दीन के समर्थकों की थी।जुटान शुरू हुआ..पुनर्मतगणना की मांग हुई।जो खारिज कर दी गयी।शुरू हुआ गाड़ियों में तोड़-फोड़..अधिकारियों की गाड़ियां भी तोड़ी गयीं.. देख लेने की धमकी भी मिली।अंततोगत्वा पुनर्मतगणना शुरू हुई और मो• शहाबुद्दीन तीन सौ सात(307) वोट से विजयी घोषित किए गये।चुनाव लड़ने के समय इनकी उम्र विधायक बनने की निर्धारित उम्र 25 वर्ष से तीन महीने कम थी।अर्थात् 24 वर्ष 9 महीने थी।इनकी उम्मीदवारी कैसे एसेप्ट हुई.. कैसे यह बचे रह गये.. कैसे यह डाॅन बने.. यह सर्वविदित है।
परंतु ध्रुवशंकरसिंह के इस कदम पर पहली बार विधायक बने,फिर सांसद बने मो • शहाबुद्दीन ने क्या सिला दिया,यह इसी से समझ सकते हैं कि उन्हें भी धमकी मिल चुकी थी और मजबूरन राजद ज्वाईन किए और राजनीति चौपट हो गयी उनकी।क्योंकि शहाबुद्दीन ने यह वादा किया था कि जीरादेई की सीट पर वे ध्रुवशंकर सिंह की जीत दिलाएंगे।परंतु पहले शिवशंकर यादव और बाद में अपने जीजाजी एजाजुल हक के साथ आ गये।
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