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सिविल सेवा शासन का मेरुदंड है - श्रीनारद मीडिया

सिविल सेवा शासन का मेरुदंड है

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प्रत्येक वर्ष 21 अप्रैल को ‘सिविल सेवा दिवस मनाया जाता है

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सिविल सेवा दिवस पर शासन और जनकल्याण के कार्यों में अहम भूमिका निभाने के लिए सभी नौकरशाहों को शुभकामनाएं दी हैं। पीएम मोदी ने कहा कि हमारे देश की सेवा में उनके कठिन परिश्रम और प्रतिबद्धता से कार्य करने के लिए वह उनके आभारी हैं।

देश के विभिन्न सार्वजनिक सेवा विभागों में लगे अधिकारियों के काम को स्वीकार करने के लिए हर साल 21 अप्रैल को राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस मनाया जाता है. यह दिन सिविल सेवकों के लिए देश की प्रशासनिक मशीनरी को सामूहिक रूप से और नागरिकों की सेवा के प्रति समर्पण के साथ चलाने की भी याद दिलाता है.

हर साल लाखों उम्मीदवार लगभग एक हजार पदों के लिए भारतीय सिविल सेवा परीक्षा के लिए आवेदन करते हैं. लेकिन हम इस बात को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि सिविल सेवा वह स्तंभ है जिस पर सरकार देश के लिए नीतियां और कार्यक्रम चलाती है. समाज और राष्ट्र के प्रति सिविल सेवकों के योगदान को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता है. इसलिए, राष्ट्र में उनके अपार योगदान के लिए सिविल सेवकों को प्रोत्साहित करने के लिए 21 अप्रैल को सिविल सेवा दिवस के रूप में मनाया जाता है.

राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस का इतिहास

भारत के स्वतंत्र होने के बाद देश के सिविल सेवकों के पहले बैच को सरदार वल्लभ भाई पटेल ने संबोधित किया था. देश के सिविल सेवकों को समर्पित इस प्रेरक भाषण में सरदार वल्लभ भाई पटेल ने उन्हें भारत का स्टील फ्रेम कहा था. 1947 में, सरदार वल्लभ भाई पटेल ने घोषणा की कि देश के लिए सिविल सेवकों के योगदान का सम्मान करने के लिए हर साल राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस मनाया जाएगा. 21 अप्रैल 2006 को विज्ञान भवन में पहला राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस मनाया गया. तब से, यह दिन हर साल एक ही दिन मनाया जाता है.

राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस का महत्व

देश का विकास और समृद्धि काफी हद तक देश के सिविल सेवकों के काम पर निर्भर करती है. यह दिन सभी के लिए अच्छा जीवन सुनिश्चित करने के लिए उनके द्वारा की गई कड़ी मेहनत की याद दिलाता है. यह सिविल सेवकों के प्रयास को भी स्वीकार करता है.
राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस से जुड़े रोचक तथ्य
21 अप्रैल, 1947 को सरदार वल्लभ भाई पटेल ने मेटकाफ हाउस में स्वतंत्र भारत के पहले सिविल सेवकों के समूह को भाषण दिया.
अपने ओजस्वी भाषण में उन्होंने लोक सेवकों को “भारत का स्टील फ्रेम” कहा.
1947 के बाद भारतीय सिविल सेवा अपने वर्तमान स्वरूप में विकसित हुई.
भारत में प्रवास करने वाले पहले भारतीय सत्येन्द्रनाथ टैगोर थे.
एक आईएएस अधिकारी का सबसे वरिष्ठ पद कैबिनेट सचिव होता है.
अन्ना जॉर्ज मल्होत्रा आईएएस पद संभालने वाली पहली महिला थीं.
पहली महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी हैं.
आईएफएस अधिकारी बेनो जेफिन एन एल पूरी तरह से दृष्टिबाधित हैं.

पीएम मोदी  कहा कि देश के नौकरशाह शासन के कामकाज को आगे बढ़ाने और जनकल्याण के कार्यक्रमों में अहम भूमिका निभाते हैं। वह देश की नीतियों को अमल में लाने में भी सबसे आगे रहते हैं। वह हर चुनौतियों से निपटने में और सामाजिक बदलाव लाने में अग्रिम मोर्चे पर रहते हैं। उनके आने वाले उद्यमों के लिए भी शुभकामनाएं।इसी तरह, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी एक्स पर पोस्ट कर शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह दिन केवल स्मरोणोत्सव ही नहीं, बल्कि यह मर्मपूर्ण तरीके से याद भी दिलाता है कि हमारी जिम्मेदारी देश की सेवा की भावना से कार्य करना है। इस दिन हम सबको समाज के वंचितों को भी हरेक नागरिक के प्रेरणा के साथ जोड़ना है।

उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने वर्ष 2006 से प्रत्येक वर्ष 21 अप्रैल को ‘सिविल सेवा दिवस’ मनाने की शुरुआत की। इसे नौकरशाहों को नागरिकों के लिए समर्पित करने, लोकसेवा तथा कार्य में बेहतरी के लिए उनको प्रेरित करने के लिए मनाया जाता है।

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