कोचिंग संस्थानों को विज्ञापन में बतानी होगी जरूरी जानकारी,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

 केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने कोचिंग संस्थानों के लिए विज्ञापन से संबंधित गाइडलाइंस का मसौदा प्रस्ताव तैयार किया है। यह गाइडलाइंस कोचिंग क्षेत्र से जुड़े सभी लोगों पर लागू होंगी।

मसौदा प्रस्ताव के अनुसार, कोचिंग संस्थान को पाठ्यक्रम के नाम (चाहे मुफ्त हो या भुगतान) और सफल उम्मीदवार द्वारा चुने गए पाठ्यक्रम की अवधि या किसी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी से संबंधित जानकारी छिपाने की अनुमति नहीं है, जो उपभोक्ताओं के उनकी सेवाओं को चुनने के निर्णय को प्रभावित कर सकती है।

दिशानिर्देशों का मकसद भ्रामक विज्ञापनों से बचाना

सीसीपीए ने कहा कि दिशानिर्देशों का मकसद लोगों को कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापनों से बचाना है। इसके अलावा कोचिंग संस्थान सत्यापन योग्य साक्ष्य उपलब्ध कराए बिना किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में छात्रों की सफलता दर, चयन की संख्या या रैंकिंग के बारे में दावा नहीं कर सकेंगे।

प्रस्तावित दिशानिर्देश हितधारकों में स्पष्टता लाएंगे

सीसीपीए ने कहा कि प्रस्तावित दिशानिर्देश हितधारकों में स्पष्टता लाएंगे तथा उपभोक्ता हितों की रक्षा करेंगे। इन पर 16 मार्च तक सार्वजनिक टिप्पणियां मांगी हैं।

देश में स्कूल से ज्यादा कोचिंग सेंटर्स की भरमार हो गई है. लाखों कोचिंग संचालक मोटी फीस लेकर पढ़ाई को लेकर बड़े-बड़े दावे करते हैं. लेकिन, अब ऐसा नहीं चलेगा क्योंकि उपभोक्ता संरक्षण नियामक सीसीपीए ने कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम के लिए दिशानिर्देशों के मसौदे पर 16 मार्च तक सार्वजनिक टिप्पणियां मांगी हैं.

आधिकारिक बयान के अनुसार, केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने कोचिंग संस्थानों, विधि कंपनियों, सरकार और स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों सहित सभी हितधारकों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श के बाद मसौदा दिशा-निर्देश तैयार किए है.

16 मार्च तक दें जवाब
बयान में कहा गया, ‘‘ सार्वजनिक टिप्पणियां/सुझाव/प्रतिक्रिया मांगी जाती है और 30 दिन के भीतर (16 मार्च 2024 तक) केंद्रीय प्राधिकरण को प्रदान की जा सकती है.’’ मसौदा ‘‘कोचिंग’’ को परिभाषित करता है और ऐसी शर्तें बताता है जो भ्रामक विज्ञापनों के अंतर्गत आती हैं.

मिसाल के तौर पर कोचिंग संस्थानों को पाठ्यक्रम के नाम (चाहे मुफ़्त हो या भुगतान) और सफल उम्मीदवार द्वारा चुने गए पाठ्यक्रम की अवधि या किसी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी से संबंधित जानकारी छिपाने की अनुमति नहीं है जो उपभोक्ताओं के उनकी सेवाओं को चुनने के निर्णय को प्रभावित कर सकती है.

सीसीपीए ने कहा कि दिशानिर्देशों का मकसद लोगों को कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापनों से बचाना है. यह कोचिंग में लगे प्रत्येक व्यक्ति पर लागू होगा. कोचिंग क्षेत्र द्वारा भ्रामक विज्ञापनों को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत नियंत्रित किया जाएगा और प्रस्तावित दिशानिर्देश हितधारकों में स्पष्टता लाएंगे तथा उपभोक्ता हितों की रक्षा करेंगे.

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने 8 जनवरी 2024 को कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापनों पर एक हितधारक परामर्श आयोजित किया। दरअसल, यह मसौदा सभी हितधारकों से विस्तृत विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया है। प्रस्तावित दिशानिर्देश उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 18 (2) (एल) के तहत जारी किए जाएंगे।

मसौदा दिशानिर्देश में कोचिंग को संस्थान के रूप में परिभाषित किया गया है। हालांकि, इस संस्थान में शिक्षा किसी भी व्यक्ति के द्वारा दी जा सकती है।Coaching Instituteदिशानिर्देश में भ्रामक विज्ञापनों के लिए कुछ शर्तें निर्धारित की गई हैं। यही नहीं, अगर कोई इस तरह के कोचिंग को संचालित करने में लिप्त पाया गया, तो उसे भ्रामक विज्ञापन बनाने की प्रक्रिया में संलिप्त माना जाएगा।

संस्थानों को सफल उम्मीदवारों द्वारा चुने गए पाठ्यक्रम के नाम (चाहे मुफ़्त हो या पैसे लेकर) और पाठ्यक्रम की अवधि से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी या कोई अन्य महत्वपूर्ण जानकारी बतानी होगी।

संस्थान सत्यापन योग्य साक्ष्य उपलब्ध कराए बिना किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में छात्रों की सफलता दर, चयन की संख्या या रैंकिंग के संबंध में झूठे दावे नहीं कर सकता।अत्यावश्यकता की झूठी भावना या छूट जाने का डर नहीं दिखाया जा सकता जिससे छात्रों या अभिभावकों में चिंताएं बढ़ सकती हैं।

कोई भी अन्य प्रथा जो उपभोक्ताओं को गुमराह कर सकती है या उपभोक्ता की स्वायत्तता और पसंद को नष्ट कर सकती है, कानून के खिलाफ होगी। कोचिंग से जुड़े हर व्यक्ति पर दिशानिर्देश लागू किए जाएंगे। प्रस्तावित दिशानिर्देश ऐसे भ्रामक विज्ञापनों को रोकने का प्रयास करते हैं जो एक वर्ग के रूप में उपभोक्ताओं को प्रभावित करते हैं।

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