कुपोषण को जड़ से मिटाने के लिए सामूहिक सहभागिता आवश्यक: डीएम
• पोषण रैली को हरी झंडी दिखाकर डीएम ने किया रवाना
• सुपोषित समाज के निर्माण में आहार विविधता है जरूरी
• रंगोली बनाकर आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं ने दिया पोषण का संदेश
श्रीनारद मीडिया‚ पंकज मिश्रा‚ छपरा (बिहार)
छपरा। कुपोषण को जड़ से मिटाने के लिए सामूहिक सहभागिता के साथ-साथ सामुदायिक भागीदारी आवश्यक है। कुपोषण से जुड़ी चुनौतियों से निपटने व लोगों को पोषण के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से जिले में 1 से 30 सितंबर तक राष्ट्रीय पोषण माह का आयोजन किया जा रहा है। उक्त बातें जिलाधिकारी डॉ. नीलेश रामचंद्र देवरे ने पोषण रैली को हरी झंडी दिखाते हुए कहीं। उन्होने कहा कि पूरे माह पोषण माह अभियान का संचालन किया जाना है। इस क्रम में कुपोषित बच्चों को चिह्नित करने के साथ जिला व प्रखंड स्तर पर पोषण संबंधी संदेशों का प्रचार-प्रसार, जीविका, स्वयं सहायता समूह के माध्यम से स्वच्छ गांव समृद्ध गांव सहित स्थानीय भोजन सहित पोषण संबंधी विषयों पर चर्चा व पोषण वाटिका को बढ़ावा देने संबंधी गतिविधियों का आयोजन किया जायेगा। सदर शहरी क्षेत्र के बाल विकास परियोजना पदाधिकारी कुमारी उर्वशी के द्वारा पोषण रैली का आयोजन किया गया था। जिसमें आंगनबाड़ी सेविकाओं ने रैली के माध्यम से लोगों को पोषण के प्रति जागरूक गया। इसके साथ स्लोगन व रंगोली बनाकर पोषण के प्रति जागरूकता का संदेश दिया गया। मां का दूध बच्चों के लिए अमृत समान होता है। छह माह तक बच्चों को मां का दूध ही पिलाना चाहिए। उसके बाद ऊपरी आहार शिशु के लिए आवश्यक है। इससे मानसिक स्वास्थ्य, तंत्रिका तंत्र और शारीरिक क्षमता का विकास होता है। इस दौरान शिशुओं को खीर खिलायी गयी और उनकी माताओं को शिशु को आगे से ऊपरी आहार में दिए जाने वाले खाद्य पदार्थों की जानकारी भी दी गई। इस मौके पर डीपीओ उपेन्द्र ठाकुर, सदर शहरी क्षेत्र के सीडीपीओ कुमारी उर्वशी, पोषण अभियान के जिला समन्वयक सिद्धार्थ कुमार सिंह, परियोजना सहायक आरती कुमारी, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना की जिला कार्यक्रम समन्वयक निभा कुमारी, जिला कार्यक्रम सहायक ऋषिकेश सिंह समेत अन्य मौजूद थे।
शिशुओं में शारीरिक वृद्धि का सटीक आकलन करना जरुरी:
जिलाधिकारी डॉ. नीलेश रामचंद्र देवरे ने कहा कि बाल कुपोषण रोकने के लिए उम्र के हिसाब से शिशुओं में शारीरिक वृद्धि का सटीक आकलन करना जरुरी है। इससे अति कुपोषित, कुपोषित एवं सामान्य बच्चों की पहचान आसानी से की जा सकती है। उम्र के हिसाब से वजन एवं लम्बाई के आकलन करने से शिशुओं में कुपोषण की पहचान करना आसान हो जाता है। सही समय पर सटीक आकलन शिशुओं को कुपोषण से सुरक्षा प्रदान करता है।कुपोषण को सम्पूर्ण रूप से दूर करना तभी संभव है जब हर माँ और घर के अभिभावक, शिशु जन्म के छह महीने तक केवल स्तनपान और उसके बाद अनुपूरक आहार के आवश्यकता को ना केवल समझ लें बल्कि उस पर पूरी तत्परता से अमल करें।शिशुओं को पर्याप्त पोषण एवं ऊर्जा स्तनपान से प्राप्त होती है तथा 6 माह से 2 साल तक के बच्चों को अनुपूरक आहार एवं स्तनपान से शारीरिक विकास के लिए उर्जा मिलती है।
पोषण के पांच सूत्रों से कुपोषण पर लगेगी लगाम:
सीडीपीओ कुमारी उर्वशी ने कहा कि पोषण के 5 सूत्र जैसे- प्रथम हजार दिन, एनीमिया प्रबंधन, डायरिया से बचाव, स्वच्छता, हाथों की सफाई एवं पौष्टिक आहार आदि के बारे में गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं को जागरूक किया जाएगा तथा उचित सलाह दी जाएगी । साथ ही प्रसव पूर्व एवं प्रसव पश्चात देखभाल जन्म से 3 वर्ष तक के बच्चों के ऊपरी आहार एवं स्तनपान पर परामर्श, व्यक्तिगत स्वच्छता, हाथों की सफाई, खानपान, आहार विविधता, विभिन्न खाद्य समूह पर परामर्श दी जाएगी।
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