गलवान के शहीद कर्नल संतोष को मिलेगा महावीर चक्र, चीनियों के पत्थरों के आगे भी डटे रहे; पढ़ें बलिदान की कहानी
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
पूर्वी लद्दाख की बर्फीली गलवान घाटी में चीनी सैनिकों से झड़प के दौरान सर्वोच्च बलिदान देने वाले कर्नल संतोष बाबू को महावीर चक्र सम्मान दिया जाएगा। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आज कर्नल संतोष बाबू को मरणोपरांत यह सम्मान देंगे, जिसके लिए उनके परिजनों को आमंत्रित किया गया है। बीते साल 15 जून की रात को कर्नल संतोष बाबू गलवान घाटी में चीनी सैनिकों से झड़प के दौरान शहीद हो गए थे। वह गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों की टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे थे। इसी दौरान चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की थी, जिसका भारतीय सैनिकों की ओर से विरोध किया गया।
इस दौरान कर्नल संतोष बाबू के नेतृत्व में भारतीय सैनिकों ने चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी का विरोध किया और कहा कि वे अपने इलाके में चले जाएं। पूरी विनम्रता के साथ कर्नल संतोष बाबू ने चीनी सैनिकों को समझाया, लेकिन अपनी जमीन से एक इंच पीछे नहीं हटे। इसी दौरान चीनी सैनिकों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी, लेकिन उसके आगे भी कर्नल संतोष डटे रहे। कर्नल संतोष की टुकड़ी ने चीनी सैनिकों को पीछे हटने पर मजबूर दिया था। इस घटना में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। कई मीडिया रिपोर्ट्स में चीन के भी करीब 40 सैनिकों के मारे जाने की बात सामने आई थी। हालांकि चीन ने 4 से 5 सैनिकों के ही मारे जाने की पुष्टि की थी।
इसी साल जून में गलवान घाटी में हुई झड़प के एक साल पूरा होने के मौके पर तेलंगाना सरकार ने उनके नाम पर स्मारक बनवाने का भी ऐलान किया था। वह तेलंगाना के ही सूर्यपेट के रहने वाले थे, जो राजधानी हैदराबाद से 140 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कर्नल बाबू गलवान घाटी में तैनात 16 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर के तौर पर जिम्मेदारी संभाल रहे थे। इस रेजिमेंट के 20 जवानों ने गलवान घाटी में सीमा की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया था। तेलंगाना सरकार की ओर से कर्नल संतोष बाबू के परिजनों को 5 करोड़ रुपये की सहायता राशि दी गई थी। इसके अलावा उनकी पत्नी को ग्रुप 1 की सरकारी नौकरी का भी ऐलान किया गया था।