Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
सुरंग से जीवित बाहर निकलना ऐसा है मानो जैसा दूसरा जन्म हुआ है,क्यों? - श्रीनारद मीडिया

सुरंग से जीवित बाहर निकलना ऐसा है मानो जैसा दूसरा जन्म हुआ है,क्यों?

सुरंग से जीवित बाहर निकलना ऐसा है मानो जैसा दूसरा जन्म हुआ है,क्यों?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा व डंडलगांव के बीच निर्माणाधीन सुरंग में 17 दिन तक फंसे रहने के बाद निकाले गये 41 श्रमिकों में बिहार के पांच मजदूर भी शामिल थे. जो शुक्रवार को फ्लाइट से पटना एयरपोर्ट पहुंचे और फिर अपने घरों को रवाना हुए. उनके साथ उनके परिजन भी आए. घर पहुंचने पर सभी का जोरदार स्वागत भी हुआ. सुरंग के अंदर अंधेरे में न सोने की जगह होती है और न ही शौच की. ऐसे में इन श्रमिकों ने विषम परिस्थिति में बिताए अपने 17 दिनों की आपबीती को साझा किया. सभी श्रमिकों ने उनको निकालने के लिए उत्तराखंड सरकार के प्रयासों की जमकर तारीफ की और इसे उनका दूसरा जन्म हुआ माना.

कैसे करते थे शौच-स्नान ?

मजदूरों ने बताया कि टनल में फंसने के बाद पहले 24 घंटे तक वे काफी परेशान रहे. इसके बाद जब उन्हें बाहर से खाना और अन्य सुविधाएं मिलने लगीं तो उन्हें उम्मीद जगी कि जल्द ही वे सुरंग से बाहर आ जाएंगे. इस दौरान सबसे बड़ी समस्या शौच को लेकर थी. मजदूर सुरंग के एक हिस्से में ही खुले में शौच करते थे. इसके अलावा उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था. नहाने के लिए भी अनुकूल परिस्थितियां नहीं थी. मजदूरों के पास न तो ज्यादा कपड़े थे और न ही गीले कपड़े सुखाने की कोई बेहतर व्यवस्था. ऐसे में जिन मजदूरों को नहाने की जरूरत महसूस हुई, उन्होंने सुरंग के एक हिस्से से टपक रहे प्राकृतिक पानी से ही स्नान किया.

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!