शरीर से पूर्ण दिव्यांग कोई सहारा नही, कोई अपना नही, मुर्गी पालन से जीविकोपार्जन कर रहे दिव्यांग को असमाजिक तत्वों कर रहे है परेशान
पुलिस को सूचना देने के बावजूद अधिकारी देखने तक नही गए,
श्रीनारद मीडिया, पंकज मिश्रा, अमनौर, सारण (बिहार):
जिये तो कैसे जिये नही कोई अपना नही कोई सहारा, ईश्वर ने बना दिया पूरे शरीर से दिबयांग,एक छोटा पोल्ट्री फार्म खोलकर अपनी जीविका बनाया लेकिन आस पास के कुछ असामाजिक तत्व के कार्यशैली इन्हें न जीने दे रहे है न मरने,हम बात करते है स्थानीय थाना क्षेत्र के गोसी अमनौर गांव के अरुण भगत जी का,जिनका उम्र 45 के लगभग होगा,दो भाई में बड़े है,पिता कुछ दिन पहले चल बसे,बृद्ध माता हमेशा बीमार रहती है,भाई से कोई मतलब नही अपने बाल बच्चे के साथ बाहर रहता है। जिन्होंने पूरे शरीर से दिबयांग है,बस बिस्तर से किसी तरह उतरकर बगल में शौच कर लेते है इस तरह की इनकी दुर्दशा है।
फिर भी इन्होंने हिम्मत नही हरा, लोगो से कर्ज लेकर एक छोटा मुर्गी फार्म खोला है,मुर्गी के अंडे बेचकर अपना जीविका चलाते है तथा मा का भी देखभाल करते है।दुःख की बात यह है की आस पास के कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा ऐसे लोगो को भी परेशान किया जा रहा है,दो माह पूर्व लगभग एक दर्जन मुर्गियां चोरी कर फरार हो गए,बुधवार को किसी ने फार्म के निकट जहरीली दवाई छिट दिया जिससे इनका
चार पांच मुर्गियां मर गई,कई बार इन्होंने पुलिस को सूचित किया पर गरीबो असहायों के पास भला सहयोग के कौन आएगा,थाना अध्यक्ष ने कहा कि आवेदन लिखकर दीजिये तो भेज देंगे,जो ब्यक्ति पूर्ण रूप से शारिरिक दिब्यङ्ग है भला आवेदन कैसे देगा,अधिकारियों के इस रवैये से आहत अरुण भगत रोते बिलपते कहा कि कोई सुनने वाला नही है इससे अच्छा है कि कोई कोई मार ही डालता जीवन से मुक्ति पा लेता।
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