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समझौता हमेशा सुखदायी है, ईसमें सामाजिक विकास और शांति का मर्म निहित है - न्यायमूर्ति श्री शरण - श्रीनारद मीडिया

समझौता हमेशा सुखदायी है, ईसमें सामाजिक विकास और शांति का मर्म निहित है – न्यायमूर्ति श्री शरण

समझौता हमेशा सुखदायी है, ईसमें सामाजिक विकास और शांति का मर्म निहित है – न्यायमूर्ति श्री शरण

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श्रीनारद मीडिया, स्‍टेट डेस्‍क:

पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सह दरभंगा न्यायमंडल के निरीक्षी न्यायाधीश अंजनी कुमार शरण ने कहा कि समझौता हमेशा सुखदायी है, ईसमें सामाजिक विकास और शांति का मर्म निहित है।
जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वावधान में दरभंगा व्यवहार न्यायालय प्रांगण में रिमझिम फूहारों के बीच जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह प्राधिकार के अध्यक्ष विनोद कुमार तिवारी की अध्यक्षता में आयोजित तृतीय राष्ट्रीय लोक अदालत का उदघाटन करते हुए न्यायमूर्ति अंजनी कुमार शरण ने कहा कि
लोक अदालतें विशेष न्यायालय हैं जो भारत में वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र के रूप में कार्य करती हैं। यह अदालत सस्ती और त्वरित न्याय प्रदान करती है। लोक अदालत लोगों की अदालत है जिसमें पक्षकार स्वंय अपना जज हैं।

उन्होंने कहा कि दीवानी मामलों में दादा द्वारा संस्थित वादों को पोता तक को लड़ना पड़ता है। इससे निजात पाने का सर्वोत्तम उपाय लोक अदालत है। ये अदालतें मध्यस्थता और सुलह के माध्यम से मामलों को निपटाने पर केंद्रित हैं। वे सिविल और श्रम विवादों, परिवार विवादों, मोटर दुर्घटना दावों और अन्य कानूनी मुद्दों से संबंधित मामलों को देखते हैं। लोक अदालतों में एक सौहार्दपूर्ण और सहकारी दृष्टिकोण होता है, जहां वादी और प्रतिवादी एक समझौते पर पहुंचने के लिए एक साथ काम करते हैं। यह न्याय प्रक्रिया को कम औपचारिक और कम तनावपूर्ण बनाता है। जिससे पक्षकारों के बीच सौहार्दपूर्ण वातावरण बनता है।

श्री शरण ने कहा कि लोक अदालतों के कई लाभ हैं। लोक अदालतों में कोई अदालती शुल्क नहीं होता है, जिससे यह एक सस्ता विकल्प बन जाता है।
वहीं लोक अदालतों में मामलों को तेजी से निपटाया जाता है, जिससे लंबी अदालती प्रक्रिया से बचा जा सकता है। साथ ही लोक अदालतों में मध्यस्थता और सुलह की प्रक्रिया सरल और समझने में आसान होती है।
उन्होंने कहा कि लोक अदालतों में समझौता करने के लिए वादी और प्रतिवादी के बीच बातचीत होती है, जिससे दोनों पक्षों के लिए एक सौहार्दपूर्ण समाधान निकलता है। उन्होंने कहा कि संवाद में स्थानीय भाषा का उपयोग करने से वह संदेश ज्यादा से ज्यादा लोगों तक तुरंत पहुंच जाता है।

कार्यक्रम का शुभारंभ सर्वप्रथम जन गण मन के गायन से हुई।तत्पश्चात मिथिला के परंपरानुसार जिला बार एसोसिएशन की ओर से अध्यक्ष रविशंकर प्रसाद और महासचिव कृष्णकुमार मिश्रा ने मंचासीन मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति श्री शरण, जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री तिवारी, जिलाधिकारी राजीव रौशन, वरीय पुलिस अधीक्षक जगुनाथ रेड्डी जला रेड्डी, एवं सचिव रंजनदेव को पाग-चादर और माला से सम्मानित किया।अधिवक्ता सह मैथिली गीतकार श्याम विहारी राय सरस ने अतिथियों का स्वागत मैथिली स्वागतगाण से किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिला एवं सत्र न्यायाधीश विनोद कुमार तिवारी ने कहा कि लोक अदालत से त्वरित और निःशुल्क न्याय मिलती है। इससे लोगों का समय और धन दोनों की बचत तो होती हीं है,पक्षकारों के मन की कटूता भी मिट जाती है जिससे विकास का मार्ग प्रशस्त होता है। लोक अदालत का निरंतर आयोजन का परिणाम सुखद है तथा लोगों को इसका लाभ मिल रहा है।

जिलाधिकारी राजीव रौशन ने कहा कि मिथिला की धरती आदिकाल से हीं समाधान की धरती रही है। न्याय और दर्शन का यह क्षेत्र उद्भव स्थल रहा है।न्याय शास्त्र के लिए विख्यात महर्षि गौतम का जन्म भी मिथिला में ही हुआ है। उन्होंने कहा कि आपसी विवाद से न केवल वर्तमान प्रभावित होता है अपितु हमारे बच्चों का भविष्य भी प्रभावित होता है। लोक अदालत में आवें तथा अपनी सभ्यता, संस्कृति और समाधान के लिए शांति का मार्ग अपनावें। वरीय पुलिस अधीक्षक जगुन्नाथ रेड्डी जला रेड्डी ने कहा कि पक्षकारों के हित में जिला पुलिस बल द्वारा ससमय हजारों पक्षकारों को नोटिस का तामिला कराया गया है। पक्षकार लोक अदालत का लाभ लें।
कार्यक्रम को बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रविशंकर प्रसाद, महासचिव कृष्णकुमार मिश्रा, दरभंगा विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव रंजनदेव, वरीय अधिवक्ता जीतेन्द्र नारायण झा, अरुण कुमार चौधरी आदि ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन मुंसिफ़ मजिस्ट्रेट मोहिनी कुमारी ने किया। वही धन्यवाद ज्ञापन जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव रंजन देव ने किया।

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