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कोरोना को लेकर भारत में बढ़ी चिंता लेकिन Lockdown की जरूरत नहीं,कैसे? - श्रीनारद मीडिया

कोरोना को लेकर भारत में बढ़ी चिंता लेकिन Lockdown की जरूरत नहीं,कैसे?

कोरोना को लेकर भारत में बढ़ी चिंता लेकिन Lockdown की जरूरत नहीं,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कोरोना वायरस दुनिया भर में एक बार फिर तेजी से फैल रहा है। भारत में भी इसे लेकर चिंता बढ़ रही है। इसी बीच विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में इस वक्त कोविड के जो हालात हैं, उससे अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को प्रतिबंधित करने या लॉकडाउन लगाने की जरुरत नहीं है लेकिन कुछ देशों में बढ़ते मामलों को देखते हुए मजबूत निगरानी और सतर्कता की आवश्यकता है। इसके साथ, उन्होंने ये भी कहा है कि नए सिरे से फैल रहे इस कोरोना का प्रभाव अधिक नहीं है और इससे अस्पताल में भर्ती होने की भी संभावना नहीं है। भारत में लोगों को ‘हाइब्रिड इम्युनिटी’ यानी टीकाकरण का फायदा जरूर होगा।

प्रतिबंधों से फायदा नहीं

एम्स के पूर्व निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने शुक्रवार को कहा कि, ”कुल मिलाकर, कोविड के मामलों में कोई वृद्धि नहीं हुई है और भारत फिलहाल अच्छी स्थिति में है। मौजूदा परिस्थितियों में अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को प्रतिबंधित करने या लॉकडाउन लगाने की कोई जरूरत नहीं है। पिछले अनुभव बताते हैं कि संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए उड़ानों पर प्रतिबंध लगाना प्रभावी नहीं है। इसके अलावा ओमिक्रॉन सब-वैरिएंट बीएफ7, जो चीन में तेजी से फैल रहा है, हमारे देश में पहले ही पाया जा चुका है।”

टीकाकरण का मिलेगा फायदा

ये पूछे जाने पर कि क्या आने वाले दिनों में लॉकडाउन की आवश्यकता हो सकती है, डॉ गुलेरिया ने कहा कि, ”इस कोविड से अस्पताल में भर्ती होने की संभावना नहीं है क्योंकि बेहतर टीकाकरण के कारण अधिकांश भारतीय लोगों में पहले से ही इम्युनिटी है। इसलिए वर्तमान स्थिति को देखते हुए लॉकडाउन की आवश्यकता नहीं दिखती है।”

सावधानी बरतने की आवश्यकता

वहीं, सफदरजंग अस्पताल में पल्मोनरी, क्रिटिकल केयर और स्लीप मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ नीरज गुप्ता ने कहा कि भारत को चीन और कुछ अन्य देशों में कोविड के बढ़ते मामलों को देखते हुए सावधानी बरतने की जरूरत है लेकिन इस वक्त जो भारत में हालात हैं, उसे देखकर यही लगता है कि लॉकडाउन जैसी स्थिति नहीं बनेगी। उन्होंने कहा कि, ‘कोविड को लेकर सतर्कता बरतने की जरूरत है। हम वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए सुस्त नहीं पड़ सकते हैं क्योंकि महामारी अभी भी खत्म नहीं हुई है।’

रखनी होगी नजर

चिकित्सक व महामारी विशेषज्ञ चंद्रकांत लहरिया ने कहा कि, ”हमने इसे एक साल पहले ओमिक्रॉन वेरिएंट देखा था, इससे पता चलता है कि यात्रा प्रतिबंधों की अब कोई भूमिका नहीं है। दूसरी बात ये है कि भारत में पहले से ही ओमिक्रॉन के 250 से अधिक सब-वेरिएंट हैं। हमें कोविड के सभी वैरिएंट्स पर नजर रखनी होगा।’

कोविड नियमों का करना होगा पालन

वहीं, टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) के अध्यक्ष डॉ एन के अरोड़ा ने कहा कि भारत में इस वक्त कोविड की स्थिति नियंत्रण में है और घबराने की कोई बात नहीं है। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि लोगों को कोविड से बचने के नियमों का पालन करना चाहिए और इससे प्रभावित लोगों को एहतियाती खुराक लेनी चाहिए।

ये है वायरस का असर

बता दें कि जापान, अमेरिका, दक्षिण कोरिया, ब्राजील, फ्रांस और चीन में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसी बीच, भारत ने कोविड पॉजिटिव सैम्पल्स की निगरानी शुरू कर दी है। इस वक्त चीनी शहर ओमिक्रॉन स्ट्रेन, ज्यादातर बीएफ7 वायरस से प्रभावित हैं, बीजिंग में इसका खास असर देखने को मिल रहा है। बीएफ7 ओमिक्रोन के वेरिएंट बीए.5 का सब वेरिएंट है और इसमें संक्रमण की व्यापक क्षमता होती है। इसमें उन लोगों को भी संक्रमित करने की क्षमता होती है, जिन्हें टीका लगाया जा चुका है।

चीन में कोरोना भयावह रूप धारण कर चुका है. अस्पतालों में मरीजों की भीड़ लगी हुई है. इसी बीच भारत में कोविड से बचाव के लिए जरूरी कदम उठाए जाने लगे हैं। वहीं कोविड मामलों के मद्देनजर किसी भी तरह की चुनौती से निपटने के लिए केंद्र ने शनिवार को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से अस्पतालों में तरल चिकित्सकीय ऑक्सीजन, पर्याप्त मात्रा में सिलेंडर और चलती हालत में जीवन रक्षक उपकरण जैसे वैंटलेटर आदि की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए  हैं।

करते रहें मॉक ड्रिल- केंद्र

स्वास्थ्य मंत्रालय ने उनसे प्रेशर स्विंग एब्सॉप्शन (पीएसए) ऑक्सीजन उत्पादन प्लांट्स को पूरी तरह से क्रियाशील रखने और उनकी जांच के लिए समय-समय पर मॉक ड्रिल्स करने की बात भी कही। राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का लिखे पत्र में स्वास्थ्य मंत्रालय के अपर सचिव मनोहर अगनानी ने कहा कि हालांकि देश में अभी मामलों की संख्या कम है लेकिन अचानक आने वाली परिस्थिति से निपटने के लिए मेडिकल इंफ्रास्टक्चर का क्रियाशील रहना और रखरखाव करते रहना सबसे बड़ी प्राथमिकता है।

जीवन रक्षक साबित होती है ऑक्सीजन

सभी चिकित्सकीय व्यवस्थाओं में मेडिकल ऑक्सीजन सबसे प्रमुख स्रोत है। खासकर महामारी के दौरान उचित ऑक्सीजन आपूर्ति लोगों की जान बचाने में महत्वूर्ण भूमिका निभाती है। पत्र में सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के अतिरिक्त मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव, सचिव(स्वास्थ्य) से संबंधित विभागों को यह निर्देश देने के लिए कहा गया है कि पीएसए को सुचारू हालत में रखा जाए और समय-समय पर मॉक ड्रिल्स के द्वारा उनकी जांच की जाए।

पुनर्जिवित करें ऑक्सीजन कंट्रोल रूम्स

अस्पतालों में तरल चिकित्सकीय ऑक्सीजन (एलएमओ) की उपलब्धता और उसकी अबाधित आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश भी पत्र में दिए गए है। साथ ही ऑक्सीजन सिलेंडरों की पर्याप्त मात्र और बैकअप स्टॉक रखने की बात भी लिखी गई है। आक्सीजन संबंधी मामलों और समस्याओं से जल्द निपटने के लिए राज्यों से ऑक्सीजन कंट्रोल रूम्स को पुनर्जिवित करने की बात भी कही गई है।

कोविड महामारी के दौरान केंद्र ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पीएसए प्लांट शुरू करने में मदद की के अलावा आक्सीजन कंसंट्रेटर, सिलेंडर और ऑक्सीजन से जुड़ी अन्य सुविधाएं मुहैया करने में मदद की थी ताकि देश में सस्ती और विश्वसनीय चिकिस्कीय ऑक्सीजन उपलब्ध करवाई जा सके।

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