डॉक्टर बनने के लिए धर्म परिवर्तन, जांच के बाद मामले का हुआ उजागर

डॉक्टर बनने के लिए धर्म परिवर्तन, जांच के बाद मामले का हुआ उजागर

श्रीनारद मीडिया, यूपी डेस्‍क:

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यूपी के मेरठ में अल्पसंख्यक मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए एक दर्जन से अधिक उम्मीदवारों ने राज्य के गैरकानूनी धर्म परिवर्तन अधिनियम 2021 (यूपीपीयूसीआरए-2021) के प्रावधानों का उल्लंघन किए जाने का मामला सामने आया है। यहां लोगों ने लव जिहाद के लिए नहीं बल्कि डॉक्टर बनने के लिए उम्मीदवारों ने धर्म परिवर्तन कर डाला। इसमें प्रयागराज, वाराणसी, बिजनौर, मेरठ, हापुड़, मुजफ्फरनगर (सभी उत्तर प्रदेश में), नई दिल्ली और महाराष्ट्र के उम्मीदवार शामिल थे। उम्मीद से ज्यादा अल्पसंख्यक अभ्यर्थियों के पहुंचने से अफसर भी चौंक गए।

अधिकारियों ने बताया कि 17 उम्मीदवारों को अधिनियम में निर्धारित प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए एमबीबीएस सीट पाने के लिए धर्म परिवर्तन प्रमाण पत्र का उपयोग करते हुए पाए गए थे। नीट-यूजी-2024 काउंसलिंग के पहले दौर में प्रवेश पाने वालों में से कुछ की रैंक लगभग 12 लाख (1.2 मिलियन) थी, जो सामान्य पाठ्यक्रम में काउंसलिंग के पहले दौर में उन्हें एमबीबीएस सीट दिलाने के लिए बहुत कम रैंक थी। यह मामला तब सामने आया जब 22 उम्मीदवारों को एक मेडिकल कॉलेज में सीट आवंटित की गई और उनमें से 20 ने प्रवेश प्रक्रिया में भाग लिया। पिछले साल तक, यह मेडिकल कॉलेज पहले दौर में अधिकतम चार उम्मीदवारों को प्रवेश देता था।
महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण किंजल सिंह ने बताया, अल्पसंख्यक उम्मीदवारों की संख्या में वृद्धि से चिंतित होकर, हमने दस्तावेजों की जांच शुरू की। जांच में पता चला कि इन उम्मीदवारों ने कुछ सप्ताह पहले ही अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त किया था, उन्होंने त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए 48 घंटे के भीतर संबंधित जिलों से दस्तावेजों का सत्यापन कराया। पीपीयूसीआरए-2021 की धारा 8 (1) में कहा गया है, जो कोई भी अपना धर्म परिवर्तन करना चाहता है, उसे जिला मजिस्ट्रेट या जिला मजिस्ट्रेट द्वारा विशेष रूप से अधिकृत अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट को अनुसूची-1 में निर्धारित प्रपत्र में कम से कम साठ दिन पहले यह घोषणा करनी होगी कि वह अपनी मर्जी से और अपनी स्वतंत्र सहमति से और बिना किसी बल, दबाव, अनुचित प्रभाव या प्रलोभन के अपना धर्म परिवर्तन करना चाहता है। इस अधिनियम में उस व्यक्ति या संगठन के लिए भी प्रावधान है जो किसी को धार्मिक आधार पर धर्मांतरित करता है।

इस अधिनियम में कहा गया है कि जो व्यक्ति किसी एक धर्म के व्यक्ति को दूसरे धर्म में परिवर्तित करने के लिए धर्मांतरण समारोह करता है, उसे एक महीने पहले सूचना देनी होगी। सिंह ने कहा, इस तरह की कोई भी बात नहीं की गई, जिससे स्पष्ट रूप से अधिनियम का उल्लंघन हो। इसलिए, हमने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, उत्तर प्रदेश और गृह विभाग के साथ प्रक्रिया शुरू की। उन्होंने बताया कि अल्पसंख्यक दर्जे वाले कॉलेजों में लगभग आधी सीटें अल्पसंख्यक उम्मीदवारों को मिलती हैं। इसलिए यदि रैंक पर्याप्त नहीं है, तो भी अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त उम्मीदवार को अल्पसंख्यक संस्थान में सीट मिल सकती है।

अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक जे रीभा ने बताया, सभी उम्मीदवारों के अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र अमान्य घोषित कर दिए गए हैं और उन्हें रद्द कर दिया गया है। अल्पसंख्यक प्रमाण पत्रों के दुरुपयोग के खुलासे के बाद क्या हुआ, यह पूछे जाने पर अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ विभाग के संयुक्त निदेशक राघवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा, अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए गलत जानकारी या प्रक्रिया का पालन करने पर कार्रवाई की जाएगी। जवाबदेही तय करने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि फर्जी या जाली दस्तावेज प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी मुख्य रूप से उस उम्मीदवार की है जिसने नियमों का पालन नहीं किया है और प्रमाण पत्र जारी करने वाले अधिकारी को भी गलत प्रमाण पत्र जारी करने के लिए उत्तरदायी ठहराया जाएगा। चिकित्सा शिक्षा निदेशालय ने अब अपनी काउंसलिंग समिति को इस मामले की आगे की जांच करने और विभिन्न श्रेणियों में प्रस्तुत किए जा रहे प्रमाण पत्रों की जांच करने के लिए सतर्क कर दिया है।

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