कालाजार उन्मूलन में जनप्रतिनिधियों की सहयोग अपेक्षित: प्रखंड विकास पदाधिकारी

 

कालाजार उन्मूलन में जनप्रतिनिधियों की सहयोग अपेक्षित: प्रखंड विकास पदाधिकारी
• बनियापुर में बीडीओ की अध्यक्षता में हुई बैठक
• कालाजार उन्मूलन पर जनप्रतिनिधियों के साथ हुई चर्चा

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श्रीनारद मीडिया‚ पंकज मिश्रा‚ छपरा (बिहार):

छपरा जिले में कालाजार उन्मूलन को लेकर अभियान चलाया जा रहा है। 15 जुलाई से सिंथेटिक पैरा-थैराइड का छिड़काव किया जा रहा है। इसी कड़ी में सोमवार को बनियापुर प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी कर्पूरी ठाकुर की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गयी। बैठक में जनप्रतिनिधियों जैसे- मुखिया, वार्ड पार्षद, विकास मित्र पंच-सरपंच को शामिल किया गया था। इस मौके पर बीडीओ ने कहा कि कालाजार बीमारी के उन्मूलन का लक्ष्य दिसंबर २०२१ तक प्राप्त करना है। इस लक्ष्य के प्राप्ति के लिए बनियापुर प्रखंड के कालाजार से प्रभावित गांव में 15 जुलाई से कीटनाशक का छिड़काव शुरू हो चुका है। इस कार्य में आपका सहयोग अपेक्षित है। छिड़काव कर्मियों के गांव में पहुंचने पर आप घरों सभी कमरों में यथा रसोईघर सोने का कमरा, गोहाल में सभी दीवारों पर छिड़काव जरूर कराए। जिले में कालाजार जैसी बीमारी को जड़ से मिटाने के लिए स्वास्थ्य विभाग, के अलावा केयर इंडिया व पीसीआई के अधिकारी व कर्मी अपने-अपने स्तर से लगे हुए हैं।

कालाजार मरीजों को 7100 रूपये की क्षतिपूर्ति राशि:
सरकार की ओर से कालाजार के मरीजों के सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने पर मुख्यमंत्री रहत योजना से 6600/ रूपये एवं भारत सरकार द्वारा 500/ अर्थात कुल 7100/ रूपये की श्रम उतिपूर्ति का प्रावधान है। संभावित कालाजार मरीजों की जांच एवं इलाज सरकारी अस्पतालों में निशुल्क उपलब्ध है। हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम सब अपने घरों में कीटनाशक का छिड़काव अवश्य कराएं एक अपने गांव जिले एवं प्रदेश को कालाजार से मुक्त कराए। छिड़काव से एक भी घर छूटा अर्थात सुरक्षा चक्र टूटा।
कालाजार समाज के लिए काली स्याह की तरह:
कालाजार समाज के लिए काली स्याह की तरह है। इस बीमारी को जन-जागरूकता व सामूहिक सहभागिता से ही हराया जा सकता है। कालाजार तीन तरह के होते हैं । जो वीएल कालाजार, वीएल प्लस एचआइवी और पीकेडीएल हैं । कालाजार रोग लिशमेनिया डोनी नामक रोगाणु के कारण होता है। जो बालू मक्खी काटने से फैलता है। साथ ही यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी प्रवेश कर जाता है। दो सप्ताह से अधिक बुखार व अन्य विपरीत लक्षण शरीर में महसूस होने पर अविलंब जांच कराना अति आवश्यक है। इस मौके पर पीसीआई के क्षेत्रीय समन्वयक संजय यादव, भीबीडीएस विजय शंकर प्रसाद, केयर इंडिया के बीसी सुमित पांडेय, बीसीएम मुकेश कुमार समेत अन्य मौजूद थे।

 

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