कोरोना के तीन वैरिएंट ने भारत को पहुंचाया सबसे अधिक नुकसान,कैसे?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने सरकार से लेकर विशेषज्ञों और लोगों को गहरी चिंता में डाला हुआ है। दूसरी लहर फरवरी 2021 से शुरू हुई थी जब देश में कोरोना संक्रमण के मामलों में अचानक तेजी देखने को मिली थी। इसके बाद इसकी रफ्तार ने न सिर्फ देश बल्कि विदेशों को भी हैरत में डाल दिया। ये लहर इतनी तेज थी कि इसका अंदाजा पहले नहीं लगाया गया था।
दूसरी लहर में कोरोना संक्रमण के रोजाना आने वाले नए मामले 4 लाख से भी पार हो गए थे। हालांकि राहत की बात ये है कि अब इन मामलों में गिरावट देखी जा रही है। यही वजह है कि जानकार मान रहे हैं कि देश में दूसरी लहर का सर्वोच्च स्तर अब आकर निकल गया है। जानकारों का ये भी कहना है कि अब मामलों में धीरे-धीरे ही सही लेकिन गिरावट का दौर जारी रहेगा।
आपको बता दें कि भारत में कोरोना वायरस के जिन तीन वैरिएंट या प्रकार ने सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है उनमें बी117, बी1618 और बी1167 शामिल है। इनमें बी1167 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सबसे अधिक खतरनाक माना है। संगठन का कहना है कि इस वैरिएंट से संक्रमण बड़ी तेजी से फैलता है। शायद यही वजह है कि जानकार कहते हैं कि भारत में आई कोरोना की दूसरी लहर में देश की लगभग 50 फीसद आबादी संक्रमण के घेरे में आई है। साइंस जर्नल नेचर में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस के लगातार नए रूप सामने आ रहे हैं जो पहले के मुकाबले अधिक संक्रामक हैं। इनकी वजह से ही हालात खराब हो रहे हैं।
बी117 की ही बात करें तो इसका सबसे पहले पता ब्रिटेन में चला था, लेकिन इसके बावजूद इसका असर भारत में अधिक देखा गया। इसका फैलाव भी भारत में अधिक तेजी से देखने को मिला था। राजधानी दिल्ली समेत पंजाब में इसके कई मामले सामने आए थे। इसी तरह से बी1618 का पहला मामला पश्चिम बंगाल में सामने आया था। वायरस के रूप में आए इस बदलाव की शुरुआत यहीं से हुई थी। इसके बाद ये भी बड़ी तेजी से फैला था।
दिल्ली में भी इसके कई मामले सामने आए थे। बी1167 इन सभी में घातक रहा है। महाराष्ट्र में इसका प्रकोप अधिक देखने को मिला है। इसके अलावा भी कई अन्य राज्यों में इसकी वजह से काफी नुकसान हुआ है। मौजूदा समय में देश के अधिकतर राज्यों में इस वैरिएंट के मामले सामने आए हैं। इसका सबसे अधिक असर मरीज के फैंफड़ों पर पड़ता है।
कैब्रिज यूनिवर्सिटी के मुताबिक वायरस का ये वैरिएंट का प्रभाव इस कदर व्यापक था कि ये अब से पहले सामने आए सभी वैरिएंट पर भारी पड़ा। इसके संक्रमण की रफ्तार भी पहले के मुकाबले काफी तेज थी। विशेषज्ञ ये भी मानते हैं कि इसका प्रमुख कारण ये भी हो सकता है कि बी1617 दूसरे वैरिएंट के मुकाबले अधिक अनुकूलन क्षमता रखता है। ब्रिटेन के बर्मिंघम यूनिवर्सिटी के माइक्रोबियल जीनोमिस्ट निक लोमन का कहना है कि जितनी तेजी से भारत में वायरस का संक्रमण फैला है उसने इस बात की आशंका को बल दिया है कि इसके कई दूसरे वैरिएंट भी हो सकते हैं। इसका पता लगाने के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग में तेजी लानी होगी।
ये भी पढ़े…
- इजरायल-फलस्तीन संघर्ष में क्यों हजारों लोग मरते या घायल होते हैं?
- इजरायल का एयर डिफेंस सिस्टम, जिससे खौफ खाते हैं दुश्मन,क्यों?
- ब्लैक फंगस से बचकर रहना है,कैसे?
- असम में पीड़ितों से मिले राज्यपाल जगदीप धनखड़.
- अपने पुत्र की शहादत देकर भी अपराधियों के खिलाफ लड़ाई लड़ते रहे रामाकांत पाठक : ओपी यादव पूर्व सांसद
- बिहार में मांस, मछली और अंडा की बिक्री पर रोक नहीं.
- ढाबा पर ट्रक ड्राइवर को भोजन करना पड़ा महंगा