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प्राण प्रतिष्ठा में शामिल नहीं होंगे माकपा नेता सीताराम येचुरी,क्यों?

प्राण प्रतिष्ठा में शामिल नहीं होंगे माकपा नेता सीताराम येचुरी,क्यों?

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राम मंदिर पर सैम पित्रोदा के बयान से कांग्रेस ने बनाई दूरी

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होनी है और इससे पहले इस पर जमकर राजनीति हो रही है। विपक्ष के बीच इसमें शामिल होने को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है। इसी बीच माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने का निमंत्रण ठुकरा दिया है। साथ ही उन्होंने भाजपा पर जमकर निशाना साधा है।

माकपा ने राम मंदिर उद्घाटन समारोह को बताया स्टेट स्पॉन्सर्ड

माकपा नेता येचुरी ने अपने एक्स हैंडल पर कहा कि वह अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा अपने राजनीतिक लाभ के लिए राम मंदिर उद्घाटन समारोह का इस्तेमाल कर रही है। सीताराम येचुरी ने मंदिर के उद्घाटन को स्टेट स्पॉन्सर्ड कार्यक्रम बताया है।

माकपा की नीति धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करने और लोगों के विश्वास को आगे बढ़ाने के अधिकार की रक्षा करने की रही है। धर्म एक व्यक्तिगत पसंद है, जिसका उपयोग राजनीतिक लाभ के लिए नहीं किया जाना चाहिए। यह पीएम और सीएम की उपस्थिति में स्टेट स्पॉन्सर्ड कार्यक्रम है।

माकपा नेता ने भाजपा और आरएसएस पर साधा निशाना

माकपा की तरफ से जारी पत्र में भाजपा और आरएसएस पर निशाना साधा गया। पत्र में कहा गया कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा और आरएसएस ने एक धार्मिक समारोह को राज्य प्रायोजित कार्यक्रम बना दिया है और इस कार्यक्रम में सीधे तौर पर देश के प्रधानमंत्री, यूपी के मुख्यमंत्री और अन्य सरकारी अधिकारी शामिल हो रहे हैं।

सीताराम येचुरी ने सुप्रीम कोर्ट की दी दुहाई

माकपा नेता ने सुप्रीम कोर्ट की दुहाई देते हुए कहा कि इस कार्यक्रम के जरिए सुप्रीम कोर्ट के सिद्धांत का उल्लंघन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि किसी राज्य की कोई धार्मिक संबद्धता नहीं होनी चाहिए। कार्यक्रम के निमंत्रण को लेकर सीताराम येचुरी ने कहा कि नृपेंद्र मिश्रा के साथ एक वीएचपी नेता आए थे और उन्होंने मुझे निमंत्रण दिया।

अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में निमंत्रण को लेकर सियासी संग्राम देखने को मिल रहा है. अलग-अलग राजनीतिक दलों के नेताओं की प्रतिक्रिया आ रही है. इसी बीच शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद भी प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर कहा कि हम इस इवेंट में नहीं जाएंगे, ये बीजेपी की रैली है. हम इस कार्यक्रम के बाद अयोध्या में रामलला के दर्शन के लिए जाएंगे.

इससे पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार की भी राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में निमंत्रण को लेकर प्रतिक्रिया आई थी. उन्होंने कहा था कि उन्हें अगले महीने अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है. बीजेपी पर निशाना साधते हुए शरद पवार ने कहा कि यह समझना मुश्किल है कि क्या पार्टी इस मुद्दे का इस्तेमाल राजनीतिक या व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए कर रही है. शरद पवार ने कहा, ‘‘पता नहीं कि वह (भाजपा) इस मुद्दे का इस्तेमाल राजनीतिक या व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए कर रही है.”

‘आस्था के दो-तीन स्थानों पर जाता हूं’

पवार ने कहा कि हमें खुशी है कि मंदिर बन रहा है, जिसके लिए कई लोगों ने योगदान दिया. पवार से जब पूछा गया कि क्या उन्हें आमंत्रित किया गया है, तो उन्होंने नकारात्मक जवाब दिया. पवार ने कहा, ‘‘मैं आस्था के दो-तीन स्थानों पर जाता हूं जिनके बारे में मैं सार्वजनिक रूप से बात नहीं करता हूं. यह एक निजी मामला है.”

राम मंदिर पर सैम पित्रोदा के बयान से कांग्रेस ने बनाई दूरी

सैम पित्रोदा ने राम मंदिर को लेकर कहा था, “उन्हें किसी धर्म से कोई परेशानी नहीं है. आप एक बार मंदिर जाकर दर्शन कर सकते हैं, लेकिन इसे एक प्लेटफॉर्म बनाना गलत है.” उन्होंने कहा था कि राम मंदिर मुद्दा नहीं है बल्कि बेरोजगारी मुद्दा है.

‘राम मंदिर मुद्दा है या महंगाई?’

न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में उन्होंने पीएम मोदी पर हमला करते हुए कहा था, “वो सिर्फ एक पार्टी के नहीं बल्कि सभी लोगों के प्रधानमंत्री हैं और ये भारत के लोग ये संदेश उनसे चाहते हैं. रोजगार, महंगाई, विज्ञान और तकनीकि के साथ साथ अन्य चुनौतियों के बारे में बात करें. ये उन लोगों (जनता) को तय करना है कि असली मुद्दे क्या हैं?  क्या राम मंदिर असली मुद्दा है? या फिर बेरोजगारी असली मुद्दा है. क्या राम मंदिर असली मुद्दा है या फिर महंगाई असली मुद्दा है.”

सैम पित्रोदा को बीजेपी नेताओं ने लिया निशाने पर

उनके इस बयान के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेताओं ने उन्हें निशाने पर लिया और कहा कि पित्रोदा की टिप्पणी से पता चलता है कि कांग्रेस पार्टी को भगवान राम और हिंदुओं से कितनी एलर्जी है. केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, “मंदिर प्रतिष्ठा समारोह से कांग्रेस में नुकसान, निराशा और भय की भावना पैदा हुई है. पित्रोदा की टिप्पणी से भगवान राम और हिंदुओं के प्रति पार्टी की एलर्जी का पता चलता है.”

वहीं, राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा, “उन्होंने ईवीएम और राम मंदिर पर भी सवाल उठाए. हो सकता है कि उन्हें भगवान में विश्वास न हो. भगवान राम और हमारे रीति-रिवाज बेरोजगारी जितने ही महत्वपूर्ण हैं. सैम पित्रोदा जैसे लोगों को हमारी संस्कृति के बारे में कोई जानकारी नहीं है.”

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