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Crimes:'तंदूर में जलाने' से लेकर 'इंसानी दिमाग' खाने तक की खौफनाक हत्याएं - श्रीनारद मीडिया

Crimes:’तंदूर में जलाने’ से लेकर ‘इंसानी दिमाग’ खाने तक की खौफनाक हत्याएं

Crimes:’तंदूर में जलाने’ से लेकर ‘इंसानी दिमाग’ खाने तक की खौफनाक हत्याएं

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

देश में बीते कुछ समय से कई ऐसे मामले देखने को मिले हैं जिसने लोगों को ये सोचने पर मजबूर कर दिया कि कोई व्यक्ति ऐसा भी कर सकता है। हाल ही में हुए श्रद्धा हत्याकांड़ में जिस तरह से आफताब अमीन पूनावाला ने उसके शव के टुकड़े किए और फिर ठीक उसी तर्ज पर बीते कुछ दिन पहले ही महाराष्ट्र के ठाणे से सरस्वती वैद्य की हत्या का मामला भी सामने आया, जिन्होंने प्यार जैसे शब्द पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

वहीं, हाल ही में हुए मामले इतिहास में कोई नई बात बिल्कुल भी नहीं है। इससे पहले अगर में हम 90 के दशक की बात करें तो भी ठीक श्रद्धा और सरस्वती जैसे ही हुबहु मामले सामने आए हैं। जिन्होंने उस समय भी लोगों के दिल और दिमाग को हिला कर रख दिया था।

बेलारानी दत्ता हत्याकांड – 31 जनवरी 1954

31 जनवरी, 1954 का वो दिन जिस दिन कोलकाता में एक स्वीपर ने टॉयलेट के पास एक अखबार में लिपटा एक पैकेट देखा था। उसने उस अखबार पर खून के कुछ छींटे भी देखी थीं और इंसानी अंगुली भी देखी। जिसके बाद उसने इस घटना की सूचना पुलिस को दी थी। पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू की। घटना का जो खुलासा हुआ, उससे हर कोई हैरान रह गया।

बीरेन नाम के एक युवक का बेलारानी और मीरा नाम की महिलाओं से संबंध था। वह दोहरी जिंदगी जी रहा था। मिलने में देरी होती तो दोनों महिलाएं उससे सवाल पूछती थीं और बीरेन परेशान हो जाता था। इसी बीच बेलारानी ने बीरेन को बताया कि वह प्रेग्नेंट है।

इसके बाद बीरेन ने उसे मार डाला और उसके शरीर को टुकड़ों में काट डाला। इसके बाद उसने उस घर की आलमारी में शरीर के टुकड़ों को रख दिया और दो दिन तक सोता रहा। बाद में उसने बेलारानी के शरीर के टुकड़ों को शहर के अलग-अलग हिस्सों में फेंक दिया। मामले में दोषी पाए जाने पर बीरेन को फांसी की सजा मिली थी।

नैना साहनी हत्याकांड (तंदूर कांड – 2 जुलाई, 1995)

दो जुलाई, 1995 में नैना साहनी को उसके पति सुशील शर्मा ने मार डाला। सुशील शर्मा कांग्रेस का युवा नेता और दिल्ली में विधायक था। सुशील को नैना के मतलूब खान से रिश्तों पर ऐतराज था। मतलूब और नैना एक-दूसरे को स्कूल के दिनों से जानते थे। घटना के दिन सुशील ने नैना को मतलूब से फोन पर बात करते हुए देख लिया था।

वह गुस्से से भर उठा और नैना को गोली मार दी। इसके बाद वह नैना की बॉडी लेकर एक रेस्टोरेंट में गया और वहां के मैनेजर के साथ मिलकर बॉडी ठिकाने लगाने की सोची। बॉडी को राख में तब्दील करने के मकसद से तंदूर में रख दिया गया। बाद में पुलिस ने रेस्टोरेंट मैनेजर को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन शर्मा भागने में कामयाब रहा। बाद में उसने आत्मसमर्पण कर दिया।

अनुपमा गुलाटी हत्याकांड (17 अक्टूबर, 2010)

देश की राजधानी दिल्ली में हुए श्रद्धा मर्डर केस ने देहरादून के चर्चित अनुपमा गुलाटी हत्याकांड  को एक बार ताजा कर दिया है। देवभूमि की शांत दून घाटी में 2010 में एक ऐसी वारदात हुई, जिसने पूरे देहरादून ही नहीं देश को भी झकझोर कर रख दिया था। 17 अक्टूबर 2010 को अनुपमा के पति राजेश गुलाटी ने उसकी निर्मम तरीके से हत्या कर दी थी।

सिर्फ इतना ही नही दरिंदगी की हदें बार करते हुए राजेश ने शव के 72 टुकड़े कर डीप फ्रीजर में रख दिए थे। अपनी बहन का कोई हाल चाल न मिलने पर जब भाई सूरज 12 दिसंबर 2010 को दिल्ली से देहरादून पहुंचा तो जघन्य हत्याकांड का खुलासा हुआ। 2011 में इस प्रकरण में देहरादून पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी।

अपने जुर्म को छुपाने के लिए राजेश ने एक डीप फ्रीजर खरीदा और अनुपमा के शव को उसमे रख दिया था। जब शव बर्फ में जम गया तो स्टोन कटर मशीन से अनुपमा के शव के टुकड़े किए और धीरे-धीरे मसूरी के जंगलों में फेंक दिए।

2017 में देहरादून के जिला सत्र न्यायालय ने इस घटना को जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा और हत्यारोपी राजेश को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और 15 लाख का आर्थिक दंड भी लगाया था।

गीता और संजय फिरौती मामला (1978)

26 अगस्त, 1978 का दिन हिंदुस्तान कभी नहीं भुला पाएगा, जब दिल्ली की होनहार लड़की गीता और प्रतिभाशाली लड़के संजय चोपड़ा को दो बदमाशों रंगा-बिल्ला (Who is ranga billa) ने मौत की नींद सुला दिया था। दोनों रिश्ते में भाई-बहन थे। गीता को एक बार ऑल इंडिया रेडियो से एक ऑफर आ गया। जहां जाने के लिए गीता का भाई संजय (Geeta and Sanjay extortion case) भी तैयार हो गया। उन्हें 26 अगस्त 1978 को वेस्टर्न सॉन्गस के एक इन द ग्रूव प्रोग्राम में हिस्सा लेना था। वह उसी रात 8 बजे ऑन एयर होना था।

इस प्रोग्राम के लिए दोनों घर से निकले तो कॉलोनी के ही एक व्यक्ति ने लिफ्ट दी और गोल डाकखाना छोड़ दिया। यहां से आकाशवाणी केंद्र थोड़ी ही दूरी पर था। गीता और संजय टैक्सी के इंतजार में सड़क किनारे खड़े हो गए। तभी रंगा-बिल्ला पीले रंग की फिएट कार लेकर आए और लिफ्ट देने के बहाने दोनों को बिठा लिया।

जब गाड़ी दूसरी ओर मुड़ी तो गीता ने कहा- कहां ले जा रहे हो? आकाशवाणी तो दूसरे रास्ते पर है। दोनों ने कुछ नहीं बोला। जिसके बाद गीता ने गाड़ी को रूकवाने की बहुत कोशिश की लेकिन गाड़ी नहीं रूकी। बिल्ला ने धारदार हथियार से संजय के कंधे और हाथ पर हमला कर दिया।

संजय की हत्या करने के बाद गीता के साथ दुष्कर्म किया

रंगा और बिल्ला गाड़ी भगाते हुए रिज इलाके में पहुंच गए। यहां गाड़ी रोकी और सबसे पहले संजय की हत्या कर दी। इसके बाद दोनों ने मिलकर गीता के साथ दुष्कर्म किया। दुष्कर्म के बाद रंगा गीता को उसके भाई की लाश की तरफ ले जा रहा था, तभी पीछे से बिल्ला ने तलवार निकाली और गीता की गर्दन पर वार कर दिया। गीता मौके पर ही मर गई। उसकी लाश को उठाया और सड़क के किनारे फेंककर भाग गए।

निठारी कांड (2006)

साल 2006 में निठारी गांव की कोठी नंबर D-5 से 19 बच्चों और महिलाओं के मानव कंकाल मिले थे। वहीं, कोठी के पास नाले से बच्चों के अवशेष भी मिले थे। इस निठारी कांड (Nithari killings case) का खुलासा लापता लड़की पायल की वजह से हुआ था। उस समय यह मामला काफी सुर्खियों में रहा था। कहा गया था कि यहां से मानव शरीर के हिस्सों के पैकेट मिले थे, साथ ही नरकंकालों को नाले में फेंका गया था।

उत्तराखंड का रहने वाला सुरेंद्र कोली डी-5 कोठी में मोनिंदर सिंह पंढेर का नौकर था। परिवार के पंजाब चले जाने के बाद दोनों कोठी में रह रहे थे।

इस मामले में मुख्य अभियुक्त सुरेंद्र कोली को मौत की सजा सुनाई गई थी। साथ ही इस मामले के आरोपी मोनिंदर सिंह पंधेर को देह व्यापार के धंधे में दोषी पाए जाने पर 7 साल की सजा सुनाई गई थी।

साइनाइड मल्लिका

साइनाइड मल्लिका के नाम से मशहूर भारत की पहली महिला सीरियल किलर की जिसने बेंगलूरु के एक मंदिर को अपने गुनाहों का ठिकाना बनाया। ये वो हैवान थी जिसने इंसान तो छोड़ो अपने लालच के चक्कर में भगवान को भी नहीं छोड़ा। बैंगलोर में एक मंदिर में केडी केमपम्मा नाम की महिला रहती थी। ये खुद को भगवान की सबसे बड़ी भक्त कहती थी।

ये दावा करती थी कि मंदिर ले जाकर ये महिलाओं के सारे दुख-दर्द दूर कर देगी। ये खुद को भगवान का मसीहा बताती थी। वो महिलाओं को विश्वास दिलाती थी कि उसके पास वो साधना है जिसकी बदौलत वो उनकी ज़िंदगी में सुख ला देगी।

केडी केमपम्मा मंदिर में पूजा पाठ करती, लेकिन इसकी नजर मंदिर में आने वाली अमीर महिलाओं पर होती। ये उन महिलाओं की तरह अमीर बनना चाहती थी और यहीं से इसके शातिर दिमाग में एक ऐसे खौफनाक अपराध ने जन्म लिया जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया।

अपराध को अंजाम देने का साइनाइड मल्लिका का तरीका बेहद भयानक था। ये मंदिर में आने वाली अमीर महिलाओं से मिलती जुलती और उनके दुखों के बारे में जानती। ये उन्हें भगवान के चमत्कार की कहानियां सुनाती और उन्हें अपने झांसे में लेकर उनके कष्टों को दूर करने की बात करती। केडी केमपम्मा ने कई अमीर घर की महिलाओं को प्रसाद में सायनाइड दे कर मौत के घाट उतार दिया था।

पुलिस के लिए अब ये मामला बेहद चैलेंजिंग हो गया था। मरने वालीं सारी बड़े घरों की महिलाएं थी। छानबीन शुरू हुई और इस बार ये साइनाइड मल्लिका नहीं बच पाई। 2007 में पुलिस ने केडी केमपम्मा को बस स्टैंड से गिरफ्तार किया।

नीरज ग्रोवर हत्याकांड (2008)

मुंबई की एक पॉश सोसाइटी के फ्लैट में आधी रात में जो हुआ उससे पूरी मुंबई ही नहीं बल्कि पूरा देश दहल गया था। एक फ्लैट में आधी रात में एक शख्स का कत्ल हुआ। कत्ल के बाद कातिल ने उसकी लाश को छोटे-छोटे 300 टुकडों में काटा और फिर उन टुकडों को प्लास्टिक के बैग में भरकर जंगल में ले जाकर जला दिया।

ये कहानी है टेलीविजन एक्जक्यूटिव नीरज ग्रोवर  उनकी दोस्त और कन्नड़ एक्ट्रेस मारिया सुसाइराज और मारिया के मंगेतर एमिल जेरोम मैथ्यू की।

एमिल मैथ्यू को नीरज ग्रोवर और मारिया की दोस्ती पसंद नहीं होती है। एक बार मारिया को अपना घर शिफ्ट करना था जिसमें नीरज ने भी उसकी मदद की थी। जिसके बाद नीरज मारिया के ही फ्लैट पर रूक गया था। ये बात एमिल मैथ्यू को बिल्कुल भी पंसद नहीं आई और वो आग बबूला हो गया।

आधी रात में ही एमिल मैथ्यू कोच्ची से फ्लाइट पकड़कर मुंबई आया और सीधा अपनी गर्लफ्रेंड के फ्लैट पहुंचा। वहां नीरज और मारिया को एक साथ देखकर वो गुस्से से लाल हो गया। जिसके बाद नीरज और मैथ्यू के बीच हाथापाई हो गई। मारिया उस वक्त वहीं मौजूद थी। इसी हाथापाई के दौरान मैथ्यू नीरज को चाकू मार देता है और फिर नीरज की वहीं मौत हो जाती है।

नीरज की मौत के बाद मारिया और मैथ्यू को घबराहट होती है। सामने नीरज (who is neeraj grover) की लाश थी। दोनों इस लाश को ठिकाने लगाने का प्लान बनाते हैं। मैथ्यू और मारिया नीरज की लाश के 300 टुकड़े करते हैं। लाश के छोटे-छोटे टुकड़ों को प्लास्टिक बैग में भरा जाता है। इसके बाद मारिया अपने एक दोस्त की कार लेकर आती है। ये दोनों लाश को एक बड़े बैग में रखते हैं और फिर कार से जंगल की तरफ रवाना हो जाते हैं। जंगल में जाकर ये दोनों लाश के टुकड़ों को जला देते हैं।

2011 में आखिरकार इस हाई प्रोफाइल नीरज ग्रोवर मर्डर केस में कोर्ट अपना फैसला सुनाता है। फॉरेंसिक टीम की मदद से पुलिस इस कत्ल को साबित करने में कामयाब हो जाती है। मैथ्यू को कत्ल और सबूत मिटाने के आरोप में 10 साल की सजा मिलती है। वही मारिया को कोर्ट 3 साल की सजा सुनाती है। हालांकि मारिया तीन साल का वक्त जांच के समय ही पूरा कर चुकी होती है इसलिए उसे रिहा कर दिया जाता है।

राजा कोलंडर केस, 2000

राजा कोलंदर एक ऐसा शख्स जिसका नाम लेते ही लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। उसे नाम से ज्यादा जिले का पहला साइको किलर, इंसान की शक्ल में हैवान, खूनी दरिंदा आदि नामों से जाना जाता है। वह अपराध सिर्फ इसलिए नहीं करता था कि वह अपराधी था या अपराध करना उसकी फितरत थी। अपराध उसकी मानसिक खुराक थी।

हत्या तो बहुत से अपराधियों ने की होगी लेकिन इंसान को मारकर उसका भेजा खाने वाला नर पिशाच शायद इकलौता कोलंदर होगा। पत्रकार धीरेंद्र की हत्या के बाद जब उसके आपराधिक कारनामों को खुलासा हुआ तो लोगों को यकीन नहीं हुआ कि उनके बीच का कोई शख्स इस कदर हैवान हो सकता है। इस हैवान ने सन 2000 में शहर को दहला दिया था।

राजा कोलेंद्र ने सीओडी में काम करने वाले काली प्रसाद श्रीवास्तव को 50 हजार रुपये उधार दिया था। काली प्रसाद ने रुपये वापस नहीं किए लेकिन वह उसे अपराध कर पुलिस से बचने के अचूक नुस्खे बताता था। संयोग था कि 14 हत्याओं के बाद भी कोलेंद्र कभी पकड़ा नहीं गया। वह काली प्रसाद की बुद्धि का कायल था।

हालांकि जब काली प्रसाद ने उसका पैसा नहीं लौटाया और कोलेंद्र को लगा कि वह पैसा नहीं लौटाएगा तो उसने उसका भी वही हश्र किया। वह काली प्रसाद को लेकर शंकरगढ़ गया और टंडन वन के पास गला रेतकर उसे मार डाला। उसकी खोपड़ी को वह पिगरी फार्म ले आया और उबालकर इसलिए खा लिया कि उसकी बुद्धि बहुत तेज थी और कोलेंद्र को अपनी बुद्धि भी तेज करनी थी।

राजा कोलंदर के काले कारनामों में शामिल रहे उसके साले बछराज को भी आजीवन कारावास की सजा हुई है। दोनों पहले नैनी जेल में थे। बाद में लखनऊ जेल पहुंचे। इन दिनों उन्नाव जेल में सजा काट रहे हैं।

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