साइबर ठग ऐसे आपके बैंक खाते से उड़ा लेते है मोटी रकम.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बिहार में कई जगह साइबर क्राइम की घटनाएं बढ़ गयी है. कभी एकाउंट से पैसा उड़ा लेने तो कभी फेसबुक एकाउंट हैक कर पहचान वालों से पैसा मांगने की शिकायत सामने आती है. कई बार तो शिकायतकर्ता के पहचान वाले के नंबर से ही फोन कर उनसे एकाउंट की जानकारी मांग ली जाती है.
लोगों में जानकारी व जागरूकता की कमी
इन सभी साइबर फ्रॉड का मुख्य कारण लोगों में जानकारी व जागरूकता की कमी है. पिछले दिनों हुए साइबर की घटनाओं को देखा जाय तो अधिकांश मामलों में साइबर फोर्ड ने ठगी के लिए कोई बड़ा हैकिंग का रास्ता तो नहीं अपनाया, लेकिन लोभ देकर लोगों में जानकारी की कमी का फायदा उठाया जा रहा है.
अंजान नंबर से आता है फोन
कई बार देखा जाता है कि पीड़ित को किसी अंजान नंबर से फोन आता है. उनसे या तो पुराने लोन चुकाने की बात कही जाती है या फिर किसी इनाम का लालच दिया जाता है. अधिकांश मामलों में साइबर ठग डिजिटल पेमेंट एप के मनी रिक्वेस्ट का इस्तेमाल करते है. पीड़ित को मनी रिक्वेस्ट भेज कर उन्हें कहा जाता है कि इस प्रोसेस के बाद एकाउंट में पैसा आ जायेंगे और एक सिंगल क्लिक से वह साइबर ठगी के शिकार बन जाते है.
छोटी सी गलती से ठगों को दे बैठते हैं सारे पैसे
मनी रिक्वेस्ट में किसी ऑफर या लॉटरी का मैसेज डालने पर लोग आसानी से शिकार बन जाते है. कई बार खुद को सरकारी कर्मचारी कहकर लोगों को बोला जाता है कि ये कॉल कृषि विभाग की ओर से की गयी है. वही साइबर एक्सपर्ट की माने तो बैंक एकाउंट से पैसा निकलना आसान नहीं है. इसलिए पहले लोगों से एटीएम की जानकारी और ओटीपी मांगकर ठगी की जाती थी, लेकिन अब इसमें जागरूकता आई तो अब पेमेंट एप का इस्तेमाल किया जा रहा है. जो लोग खुद अपनी छोटी गलती से साइबर ठग को पैसा दे देते है. लोगों को किसी भी तरह के पेमेंट में पहले उसे अच्छे से परख लेना चाहिए. मनी रिक्वेस्ट में लिखा रहता है लेकिन लोग जल्दबाजी में पढ़ते नहीं है.
लिंक पर क्लिक करते ही सोशल मीडिया का आइडी और पासवर्ड
फेसबुक सहित सोशल मीडिया पर आइडी हैक होने और उसी आईडी से पैसा मांगने या फिर उसका गलत उपयोग करने की घटना इनदिनों आम है. इसका मुख्य कारण ऑफर देखकर लोगों का बेवजह की लिंक पर क्लिक करना है. डिजिटल वर्ल्ड में इन दिनों कई ऐसे एप और वेबसाइट हैं जो शैडो वेबसाइट तैयार करता है. लोग इसे असली मानकर इसमें लॉगिन कर लेते हैं और अपनी जानकारी साइबर ठग को सौप देते है. साथ ही अपने पहचान वालों के नंबर से ही फोन जाता है और उनसे विभिन्न जानकारी मांग ली जाती है. कई बार तो दूसरे के नंबर से किसी अन्य को धमकी देने आदि की शिकायत भी आती है.
प्ले स्टोर के एप से ऐसे लेते हैं जानकारी
दरअसल प्ले स्टोर पर ऐसे कई एप हैं जो यूजर को प्रोलोंग नंबर उपलब्ध कराता है. इसके बाद मनमर्जी नंबर सेट कर बदमाशों द्वारा घटनाओं को अंजाम दिया जाता है. ऐसे में आमलोगों को सावधानी बरतने की जरूरत है. साइबर एक्सपर्ट्स की मानें तो जब तक आवाज से व्यक्ति को नहीं पहचानें तब तक उसे अपनी जानकारी देना खतरे से खाली नहीं है. इससे आपके बैंक में रखें सारे सेविंग पैसे को चुना लग सकता है. वहीं कुछ लोग थाना में आवेदन भी नहीं देते हैं. उन्हें लगता है कि कौन झमेला में पड़े. इसलिए वह अफसोस कर बैठ जाते हैं. इससे साइबर फ्रॉड का और मनोबल बढ़ जाता है.
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