रोज चलाएं 30 मिनट साइकिल,क्यों?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
आज के दिन यानि 3 जून की पूरे विश्व में विश्व साइकिल दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन को इसलिए मनाया जाता है ताकि दुनिया में लोगों के साइकिलिंग के फायदे पता चल सकें। साइकिल सेहत से जुड़ी कई बीमारियों को दूर रखने में मदद करती है। शरीर को फिट और स्वस्थ बनाए रखने के लिए आपको शारीरिक रुप से एक्टिव रहने की आवश्यकता होती है। स्वंय को फिट रखने के लिए आपको अपनी डेली रुटिन में योग-व्यायाम को शामिल करना चाहिए। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, रोजाना साइकिल चलाने से स्वास्थ्य जोखिम को कई गुणा कम किया जा सकता है। बच्चे, बड़े, बुजुर्ग सभी साइकिलिंग करके स्वास्थ्य को बेहतर कर सकते हैं। साइकिल से होने वाले फायदे बताने के लिए और लोगों को जागरुक करने के लिए हर साल 3 जून को विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है।
शोध के अनुसार
शोध के अनुसार, रोजाना 30 मिनट साइकिल चलाने से मोटापा, हृदय रोग, मानसिक बीमारियां, शुगर और गठिया जैसी बीमारियों का जोखिम कम होता है। इसके अलावा साइकिल एक ऐसा सरल साधन है जो पर्यावरण के संरक्षण में भी बहुत ही योगदान देती है।
इस दिन का इतिहास
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 3 जून 2018 के दिन विश्व साइकिल दिवस के रुप में मनाए जाने के लिए घोषणा की थी। तब से हर साल 3 जून को यह दिन मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का प्रस्ताव अमेरिका के मोंटगेमरी कॉलेज के प्रोफेसर लेस्जेक सिबिल्सकी ने याचिका के तौर पर किया था। 1990 तक साइकिल का दौर बहुत ही अच्छा था। लेकिन अन्य वाहनों के आ जाने से इसका महत्व कम होता चला गया। दोबारा से इसके महत्व को बताने के लिए इस दिन की शुरुआत की गई थी।
क्या होते हैं सेहत को फायदे?
शरीर रहेगा एक्टिव
रोजाना साइकिलिंग करने से आपका शरीर एकदम एक्टिव रहता है। इसके अलावा आपके इम्यून सेल्स भी एक्टिव रहेंगे। इम्यून सेल्स के एक्टिव रहने से आप जल्दी बीमारियों की चपेट में भी नहीं आएंगे।
मोटापा होगा कम
साइकिल चलाना एक तरह की एरोबिक गतिविधि होती है। इससे आपके हृदय, रक्त वाहिकाओं और फेफड़ों का व्यायाम होता है। इसके अलावा जो लोग वजन कम करना चाहते हैं उनके लिए साइकिलिंग करना बहुत ही अच्छा अभ्यास होता है। शोध के मुताबिक, 30 मिनट तक साइकिल चलाने से 210-311 कैलोरी बर्न होती हैं। इससे आपके शरीर का मोटापा कम होगा।
हृदय रोग के लिए फायदेमंद
डेनिश अध्ययन में पाया गया कि नियमित तौर पर साइकिल चलाने से हृदय रोगों का खतरा भी कम होता है। यह आदत आपके हृदय रोग के जोखिम को 50 फीसदी तक कम कर सकती है।
शरीर में होगी ऑक्सीजन की पूर्ति
यदि आप रोजाना 30 मिनट के लिए साइकिल चलाते हैं तो आपके ब्लड सेल्स और स्किन में ऑक्सीजन की पूर्ति होगी। आपकी त्वचा साफ और चमकदार नजर आएगी।
अनिद्रा की समस्या होगी दूर
यदि आपको नींद नहीं आती तो रोजाना 30 मिनट साइकिल चलाएं। इससे आपकी अनिद्रा की समस्या दूर होगी।
मांसपेशियां होगी मजबूत
रोजाना 30 मिनट साइकिलिंग चलाने से आपकी मांसपेशियां मजबूत होगी। आपके यादाश्त भी तेज होगी और शारीरिक पावर भी बढ़ेगी। शोध के अनुसार, रोज साइकिलिंग करने से आपका दिमाग 15 से 20 फीसदी एक्टिव रहेगा।
साइकिल दिवस को मनाने की शुरुआत साल 2018 में हुई। अप्रैल 2018 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व साइकिल दिवस मनाने का फैसला लिया। इसके लिए 3 जून का दिन तय किया गया। तब से अब तक भारत समेत कई देश विश्व साइकिल दिवस हर साल 3 जून को मनाते हैं।
दरअसल, तकनीक के विकास के साथ ही गाड़ियों का उपयोग बढ़ने लगा। लेकिन इससे लोगों की दिनचर्या पर गहरा असर पड़ा। लोगों ने समय की बचत और सुविधा के लिए साइकिल चलाना कम कर दिया। बाइक, कार आदि को परिवहन का साधन बना लिया। लेकिन साइकिल के उपयोग और जरूरत के बारे में बच्चों और अन्य लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से इस दिन की शुरुआत हुई। स्कूल, कॉलेज, शैक्षणिक संस्थानों, ऑफिस, सोसायटी आदि में साइकिल चलाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए इस दिन की शुरुआत हुई।
जब संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 2018 में 3 जून को विश्व साइकिल दिवस मनाने की घोषणा की तो उनके इस निर्णय का कई देशों ने समर्थन किया। इस दिन की शुरुआत को लेकर लेसजेक सिबिल्स्की ने कैंपेन चलाया था, जिसका तुर्कमेनिस्तान और 56 अन्य देशों ने समर्थन किया था। हर साल विश्व साइकिल दिवस की एक थीम निर्धारित की जाती है, जिसके आधार पर दुनिया के तमाम देश विश्व साइकिल दिवस मनाते हैं।
यूरोपीय देशों में साइकिल के इस्तेमाल का विचार 18वीं शताब्दी के दौरान लोगों को आया था लेकिन 1816 में पेरिस में पहली बार एक कारीगर ने साइकिल का आविष्कार किया, उस समय इसका नाम हाॅबी हाॅर्स यानी काठ का घोड़ा कहा जाता था। बाद में 1865 में पैर से पैडल घुमाने वाले पहिए का आविष्कार किया। इसे वेलाॅसिपीड कहा जाता था। इसे चलाने से बहुत ज्यादा थकावट होने के कारण इसे हाड़तोड़ कहा जाने लगा। साल 1872 में इसे सुंदर रूप दिया गया। लोहे की पतली पट्टी के पहिए लगाए गए। इसे आधुनिक साइकिल कहा गया। आज साइकिल का यही रूप उपलब्ध है।
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