बेटी सीमा कुमारी हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से करेगी पढ़ाई, पिता दूसरे के घरों में बनाते हैं खाना.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
ओरमांझी के एक गांव के किसान की फुटबॉलर बेटी सीमा कुमारी अमेरिका के हार्वर्ड यूनिर्विटी से ग्रेजुएशन करेगी। सीमा का चयन यूनिवर्सिटी से मिलनेवाली छात्रवृत्ति के तहत हुआ है। वह अगस्त में अमेरिका जाएंगी। कोर्स सितंबर से शुरू होगा, जो चार साल तक चलेगा। सीमा का चयन युवा संस्था के शिक्षकों की मदद से हार्वर्ड यूनिर्विटी में हुआ है। सीमा ने बताया कि शिक्षकों ने इस कोर्स के लिए काफी मेहनत की। सीमा कहती हैं कि फुटबॉल खेलने से शुरू हुआ सफर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी तक पहुंचेगा, यह कभी सपने में भी नहीं सोचा था। युवा संस्था के प्रमुख फ्रांज गैस्लर ने कहा कि हमलोग बच्चों को खेल के माध्यम से पढ़ाई के लिए प्रेरित करते हैं। सीमा ने अपने टैलेंट के दम पर यह सफलता अर्जित की है।
2012 में की थी शुरुआत
सीमा ने 2012 में युवा संस्था में फुटबॉल सीखने पहुंची थी। यह संस्था ओरमांझी में ग्रामीण बच्चों के विकास के लिए फुटबॉल की ट्रेनिंग देती है। साथ ही संस्था स्कूल में उनकी पढ़ाई भी कराती है। सीमा ने बताया कि एक दिन संस्था के पास के खेत में वह अपने चाचा के साथ घास काटने गई थी। वहां उसने लड़कियों को फुटबॉल खेलते देखा। उसके गांव की एक लड़की वहां खेल रही थी। सीमा ने उससे जानकारी ली और अगले दिन खेलने पहुंच गई। वहां खेल के साथ शिक्षा के बारे में भी पता चला। गांव के सरकारी स्कूल से निकल कर 2015 में सीमा ने सातवीं कक्षा में युवा स्कूल में दाखिला लिया। यहां स्कूल के अलावा अतिरिक्त कक्षा के माध्यम से अंग्रेजी भाषा सिखाई गई।
फुटबॉल के कारण बदला नजरिया
सीमा ने बताया कि फुटबॉल खेलने के कारण 2016 में पहली बार विदेश (स्पेन) जाने का मौका मिला। वहां दोनेस्ती कप में भाग लिया। इसके बाद 2017-19 में स्पेन में ही कोचिंग कोर्स के लिए चयन हुआ। वह लौटकर गांव में लड़कियों को ट्रेनिंग देने का काम करने लगीं। इसी बीच वाशिंगटन में एक लीडरशिप कार्यक्रम में भाग लेने का मौका मिला। यहां आकर पढ़ाई के प्रति रुझान बढ़ गया। 2019 में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से दो हफ्ते का मैनेजमेंट कोर्स किया, जो संस्था द्वारा कराया गया। इसके बाद अमेरिका में ही स्कूल एक्सजेंच कार्यक्रम के तहत एक साल रहीं। यहीं से हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में ग्रेजुएशन के लिए आवेदन दिया, जहां अंतिम रूप से चयन कर लिया गया। सीमा ने कहा कि फुटबॉल मेरा शौक है। इसकी वजह से मेरा नजरिया बदल गया।
दूसरे के घरों में खाना बनाते हैं पिता
सीमा के पिता सिकंदर महतो मूल रूप से किसान हैं। पिछले साल लॉकडाउन से पहले वे एक धागे की फैक्ट्री में काम करते थे। काम बंद हो जाने के बाद अभी आसपास के गांव में शादियों में खाना बनाने के लिए जाते हैं। मां सरस्वती देवी हाउस वाइफ हैं। एक बड़ा भाई है, जो रांची के कॉलेज में पढ़ाई कर रहा है।